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एकता महिला स्व-सहायता समूह की इन दीदीयों के हौसलों के आगे लोहा भी नरम पड़ गया, जानिए क्या है मामला

एकता महिला स्व-सहायता समूह की इन दीदीयों के हौसलों के आगे लोहा भी नरम पड़ गया, जानिए क्या है मामला
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रायपुर । छत्तीसगढ़ की महिलाएं अब पुरूषों का व्यवसाय माने जाने वाले कई क्षेत्रों को अपनाकर आत्मनिर्भर बन रही हैं। महासमुन्द जिले के विकासखंड बागबाहरा के अंदरूनी गाँव कोमाखान में छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत संचालित बिहान की दीदीयां लोहे की तार फेंसिंग के निर्माण कार्य से जुड़ी हैं। एकता महिला स्व-सहायता समूह की इन दीदीयों के हौसलों के आगे लोहा भी नरम पड़ गया है। बिहान समूह की दीदीयों ने कुछ माह में ही 169 बण्डल फेंसिंग तार का विक्रय कर एक लाख 90 हजार 365 रूपए की आमदनी अर्जित की है। इनके बनाए फेंसिंग तार की सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं में बहुत माँग है।
आत्मनिर्भर बनकर ये महिलाएं न सिर्फ अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को मजबूत बना रहीं है, बल्कि दूसरों को भी रोजगार प्रदान कर उन्हें आगे बढ़ने में मदद कर रही हैं। महिलाएं फेसिंग तार के साथ आचार, पापड़, निरमा, साबुन, फिनाइल का भी निर्माण करती हैं। समूह की महिलाओं ने बताया कि फेंसिंग तार का काम मुश्किल है, पर मास्टर ट्रेनर द्वारा प्रशिक्षण देने से आसान लगने लगा।
उल्लेखनीय है कि ग्रामीण क्षेत्र में निवासरत महिला एवं युवतियों को स्व-सहायता समूह के रूप में गठित कर उन्हें विभिन्न आजीविका गतिविधियों का प्रशिक्षण देकर स्वरोजगार से जोड़ा जा रहा है। राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत महासमुंद जिले मंे 5 हजार 223 महिला स्व-सहायता समूह काम कर रही हैं। इनमें 55 हजार 910 महिलाएं मोमबत्ती, दीया, वाशिंग पाउडर, फिनॉयल, बाँस की टोकरी सहित अन्य सामग्रियां बनाकर आत्मनिर्भर बनी हैं। इसके साथ ही बिहान दीदीयां सिलाई-कढ़ाई करने, जैविक खाद बनाने और खुद बनाए सामानों को बजार में बेचने का काम करती हैं।
 



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