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छत्तीसगढ़ का एक खास गांव, जहां आज जलेगी होलिका, कल उड़ेगा रंग-गुलाल

छत्तीसगढ़ का एक खास गांव, जहां आज जलेगी होलिका, कल उड़ेगा रंग-गुलाल
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पूरे देश में रंगों के पर्व होली को लेकर उत्साह का माहौल है। 17 18 मार्च को त्योहार मनाने की तैयारियां की जा रही है। फाल्गुन त्योहार को सेलिब्रेट करने अपने-अपने तरीके से लोग योजना बना रहे हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ का एक गांव बेहद खास है। आज यहां होलिका दहन है और रविवार को रंग-गुलाल खेला जाएगा। गुरुवार की रात गांव के प्रमुख-चौराहों पर शुभ मुहूर्त में होलिका जलेगी, जिसके तैयारियों में बच्चे, युवा और बुजुर्ग जुटे हुए हैं। 

13 सौ की आबादी वाले धमतरी जिले के कुरुद ब्लॉक के सेमरा (सी) गांव की पूरे प्रदेश में अलग पहचान है। यहां हर त्योहार एक सप्ताह पहले ही मना लिया जाता है। गांव के गजेंद्र कुमार सिन्हा व नैतिक सिन्हा ने बताया कि हम सभी गांव वाले परंपरा के अनुसार हर साल निर्धारित तिथि से एक सप्ताह पहले ही होली, दीपावली सहित अन्य त्योहार मना लेते थे। शनिवार 12 मार्च को होलिका दहन से त्योहार की शुरुआत हो रही है। 13 मार्च को रंग-गुलाल त्योहार मनाया जाएगा। ग्रामीणों ने बताया कि होली त्योहार की सूचना सगे संबंधी और रिश्तेदारों को दिए हैं और वे लोग भी गांव में त्योहार मनाने आए हैं। 

सिरदार देव की पूजा-अर्चना से त्योहार की शुरुआत 
गांव के कन्हैया निषाद व खोरबाहरा निर्मलकर ने बताया कि सबसे पहले सिरदार देव की पूजा अर्चना करते हैं, उसके बाद त्योहार मनाते हैं। होली, दीपावली, दशहरा और पोला पर्व भी एक सप्ताह पहले ही गांव में मनाया जाता है। इस गांव में सैकड़ों साल पहले एक बुजुर्ग आया था, जो यहीं बस गया। उनका नाम सिरदार था। उनके कहने पर ही प्रमुख त्योहारों को तय तिथि से एक सप्ताह पहले मनाने की शुरुआत की गई है। गांव में पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही इस परंपरा से किसी ने मुंह नहीं मोड़ा है। ग्रामीणों ने बताया कि त्योहार को लेकर युवा, बच्चे, महिलाओं और बुजुर्गों में भारी उत्साह है। 

ग्राम देवता का आदेश- सप्ताहभर पहले मनाओ त्योहार
जगदीश निषाद व हिरदे चक्रधारी ने बताया कि बचपन से पूर्वजों से सुनते आ रहे हैं कि ग्राम देवता ने गांव के मुखिया, बैगा को सपने में आकर कहा था कि गांव में त्योहार सात दिन पहले ही मनाया जाए, वरना विपदा आ सकती है। इसके बाद से यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है। गांव में सिरदार की ग्राम देवता के रूप में पूजा की जाती है। होलिका दहन स्थल पर बच्चे व युवाओं द्वारा लकड़ी, कंडे एकत्रित किए जा रहे हैं। रात में होलिका चलेगी और रविवार को रंग-गुलाल खेलेंगे। त्योहार में शामिल होने कई घरों में रिश्तेदार भी आए हैं। दूसरे गांव के लोग भी बड़ी संख्या में त्योहार में शामिल होंगे।



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