कोर्ट के आदेश के बाद आईपीएस मुकेश गुप्ता और रजनीश सिंह पर दर्जनों धाराओं से हुआ मामला दर्ज
बिलासपुर। कथित तौर पर कूटरचित एफआईआर तैयार करने और असत्य तथा अपूर्ण तथ्यों के साथ सर्च वारंट के आधार पर तलाशी लिए जाने के मसले पर पेश परिवाद पर सीजेएम डमरुधर चौहान के आदेश पर धारा -120-बी-आईपीसी, 166-आईपीसी, 167-आईपीसी, 213-आईपीसी, 218-आईपीसी, 380-आईपीसी, 382-आईपीसी, 420-आईपीसी, 467-आईपीसी, 468-आईपीसी, 471-आईपीसी, 472-आईपीसी के तहत अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना के निर्देश थाना सिविल साईंस थाने को दिए हैं।
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कल देर शाम सिविल लाईंस थाने में अज्ञात के विरुद्ध क्राईम नंबर 0791/2020 कायम कर विवेचना शुरु कर दी गई है। जिस परिवाद पर जारी निर्देश पर यह मामला पंजीबद्ध किया गया है उसमें परिवादी पवन अग्रवाल हैं, जो कि जल संसाधन विभाग में पदस्थ रहे कार्यपालन अभियंता आलोक अग्रवाल के भाई हैं।
परिवाद में यह आरोप लगाया गया है कि,30 दिसंबर 2014 को ्रष्टक्च के अधिकारी विजय कटरे और आलोक जोशी पहुँचे और सर्च वारंट दिखाया, सर्च वारंट में एफआईआर नंबर अंकित नही था,अधिकारीयों ने सर्च के दौरान आवेदन की निजी संपत्ति, स्व अर्जित आय और स्त्रीधन के आभूषण को जप्त किया, और इसके लिए तत्कालीन एसीबी के मुखिया मुकेश गुप्ता और कप्तान रजनीश सिंह के मौखिक निर्देश का हवाला दिया। इस जप्ती का कोई पत्रक न्यायालय में पेश भी नही किया गया। वहीं यह सूचना भी प्राप्त हुई कि,जिस अपराध क्रमांक 56/14 के तहत सर्च किया गया, वैसी कोई स्नढ्ढक्र थाना ऐसीबी/ईओडब्लू में दर्ज नही है।
सीजेएम बिलासपुर ने इस परिवाद को पंजीबद्ध कर आदेश देते हुए लिखा है परिवादी के द्वारा पुलिस अधीक्षक राज्य आर्थिक अन्वेषण ब्यूरो से जाँच कराए जाने का निवेदन किया गया है,किंतु प्रस्तुत परिवाद में आर्थिक अपराध के अपराध किए जाने के संबंध में परिवाद में उल्लेख नही किया गया है, और ना ही ऐसा कोई दस्तावेज पेश किया गया है,ऐसी स्थिति में प्रस्तुत परिवाद की जाँच पुलिस अधीक्षक राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो रायपुर से कराये जाने की आवश्यकता दर्शित नही होती, बल्कि इस न्यायालय के सुनवाई क्षेत्राधिकार में स्थित थाना सिविल लाईंस से कराया जाना उचित प्रतीत होता है|
परिवाद पर अदालत के निर्देश पर थाना सिविल लाईंस ने अज्ञात के विरुद्ध धारा -120-बी-आईपीसी, 166-आईपीसी, 167-आईपीसी, 213-आईपीसी, 218-आईपीसी, 380-आईपीसी, 382-आईपीसी, 420-आईपीसी, 467-आईपीसी, 468-आईपीसी, 471-आईपीसी, 472-आईपीसी के तहत अपराध पंजीबद्ध कर लिया है।