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बड़ी खबर: अवैधानिक बताते हुए हाई कोर्ट ने छग पर्यावरण मंडल के इस आदेश को किया खारिज

 बड़ी खबर: अवैधानिक बताते हुए हाई कोर्ट ने छग पर्यावरण मंडल के इस आदेश को किया खारिज
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बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में अब दूसरे राज्यों से खतरनाक औद्योगिक अपशिष्ट नहीं आ सकेगा। हाईकोर्ट ने पर्यावरण मंडल के आदेश को अवैधानिक बताते हुए खारिज कर दिया है। इसको लेकर हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर हुई थी।
 
 
इसमें बताया गया था कि प्रदेश में कचरे के उपचार भंडारण निपटान की सुविधा नहीं है। इसके चलते जल, जंगल, हवा और मिट्‌टी को खतरा है। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस पीआर रामचंद्र मेनन व जस्टिस पीपी साहू की बेंच में हुई।
 

छत्तीसगढ़ पर्यावरण मंडल ने 5 फरवरी 2020 को आदेश जारी कर दूसरे राज्यों के अपशिष्ट को निपटारे के लिए लाने की अनुमति दे दी थी। जबकि यह पहले प्रतिबंधिटत था। इसको लेकर रजनीश अवस्थी ने अधिवक्ता मनय नाथ ठाकुर के माध्यम से हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। इसमें उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ राज्य में नियमानुसार खतरनाक औद्योगिक अपशिष्ट (हजार्डियस वेस्ट) के खात्मा करने की सुविधा (TSDF) नहीं है।
 

इसके बाद भी छत्तीसगढ़ पर्यावरण मंडल ने दूसरे राज्यों के खतरनाक औद्योगिक अपशिष्ट को राज्य के भीतर लाकर खात्मा करने की अनुमति दी थी। इसके कारण खतरनाक अपशिष्ट को लाने और यहां निपटारा करने से निकलने वाले खतरनाक रसायन के कारण राज्य का पर्यावरण, पानी, हवा और मिट्टी खराब होगी। राज्य में प्रदूषण फैलने से जनहित प्रभावित होगा और लोगों को गंभीर परिणाम भुगतना पड़ सकता है।
 
 
मामले को सुनने के बाद कोर्ट ने इसे गंभीरता से लेते हुए 19 मार्च 2020 को छत्तीसगढ़ पर्यावरण मंडल के दूसरे राज्यों से अपशिष्ट लाने की अनुमति आदेश पर रोक लगा दी थी। साथ ही केंद्र सरकार और केंद्रीय पर्यावरण मंडल को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। इस मामले पर सभी पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने बुधवार को पर्यावरण मंडल के आदेश को अवैधानिक बताते हुए शून्य घोषित करते हुए खारिज कर दिया है।
 

उपचार भंडारण निपटान की सुविधा नहीं होने के कारण राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने एक मामले में सुनवाई करते हुए छत्तीसगढ़ राज्य पर 10 लाख रुपए का जुर्माना लगाया था। इसके बाद भी अब तक सुविधा को विकसित नहीं किया जा सका है। इस जनहित याचिका में इस बात का भी उल्लेख किया गया, कि अब तक यहां TSDF की सुविधा नहीं है, इसके बाद भी प्रदेश के पर्यावरण मंडल ने अनुमति दे दी है।
 


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