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ऑनलाइन पढ़ाई में बाधा बन रही गरीबी, अभिभावकों के पास एंड्रॉयड मोबाइल न होने के चलते अधिकतर विद्यार्थी पढ़ाई से वंचित

ऑनलाइन पढ़ाई में बाधा बन रही गरीबी, अभिभावकों के पास एंड्रॉयड मोबाइल न होने के चलते अधिकतर विद्यार्थी पढ़ाई से वंचित
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दुर्ग, कान्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के प्रदेश उपाध्यक्ष पवन बडज़ात्या, प्रदेश एमएसएमई प्रभारी मोहम्मद अली हिरानी, प्रदेश मीडिया प्रभारी संजय चौबे, दुर्ग जिला इकाई अध्यक्ष प्रह्लाद रुंगटा, अमर कोटवानी, सुनील जैन, सुधीर खंडेलवाल, प्रह्लाद कश्यप, अरविन्द (गिरिराज) खंडेलवाल, राजेन्द्र शर्मा, अनिल ने बताया कि कोरोना महामारी के चलते पूरा देश लॉकडाउन है। इसे देखते हुए राज्य के शिक्षा बोर्ड ने सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों के लिए ऑनलाइन क्लासिस लगाकर पढ़ाना शुरू कर दिया गया है। लेकिन मुश्किल यह है कि अधिकांश अभिभावकों के पास एंड्रायड मोबाइल ही नहीं है, जिससे गरीब विद्यार्थी ऑनलाइन पढ़ाई से वंचित रह गए हैं। इसी तारतम्य में कैट प्रदेश पदाधिकारियों की एक अति आवश्यक बैठक का आयोजन विडिओ कान्फ्रें स के माध्यम से किया गया जिसमें सभी ने राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी नेत्र्तव में संकल्प लिया की सभी व्यपारियों एवं व्यपारिक संगठनों के सहयोग से पुराने मोबाइल जो की सभी के पास एक-दो रखे होते है, उसे सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों को स्कुल के माध्यम से देने हेतु एक समग्र योजना बनाई गई है ! गौरतलब है की अब लॉकडाउन के दौरान घर चलाने के लिए परेशान इन अभिभावकों पर एंड्रायड मोबाइल खरीदने व उसका रीचार्ज करवाने का खर्चा अलग से बढऩे लगा है। अध्यापकों के अनुसार लगभग 40 से 50 प्रतिशत विद्यार्थियों के पास एंड्रॉयड फोन नहीं है। राज्य के सरकारी स्कूलों में पढ़ाने वाले लगभग 1 लाख अध्यापकों द्वारा 15-20 लाख के करीब विद्यार्थियों को जूम ऐप तथा वाट्सअप के जरिए स्कूल का काम भेजा व चैक किया जा रहा है। अध्यापकों द्वारा विद्यार्थियों को अप्रैल तथा मई महीने का सिलेबस ऑनलाइन मुहैया करवानेे के साथ पाठ्यक्रम की आडियो-वीडियो तैयार करके विद्यार्थियों के पास सोशल मीडिया के जरिए भेजी जा रही है लेकिन एंड्रायड मोबाइल ना होने से गरीब विद्यार्थी इस सुविधा से वंचित हैं। कैट के प्रदेश उपाध्यक्ष पवन बडज़ात्या ने सिर्फ इतना कहा कि बच्चों को पढ़ाना भी जरूरी है। आनलाइन पढ़ाई बच्चों के लिए वरदान साबित हो रही है। इसी तारतम्य में संजय चौबे ने कहा की कोरोना के चलते कामकाज ठप है। उन्हें खाने की दिक्कत हो रही है। अब ऑनलाइन क्लासिस शुरू कर दी गई है जिसके लिए मोबाइल खरीदने के उनके पास पैसे नहीं हैं। लेकिन शाला के शिक्षको को इसी के चलते वह अपने बच्चों को स्कूल से पढ़ाई बंद करवाने के लिए मजबूर हैं। इसी विषय पर कई अध्यापकों का कहना है कि प्रवासी मजदूरों द्वारा अपने-अपने राज्यों में जाने के बाद शहरी इलाकों में अपने पोस्टिंग वाले स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या कम होने का डर भी बना हुआ है। इस स्थिति को देखते हुए को देखते हुए कैट छत्तीसगढ़ टीम ने तत्काल संज्ञान में लेते हुए सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों को पढने हेतु सभी के पास स्पेयर मोबाइल रहते है, उन मोबाइल को स्कुल के बच्चों को देने का निर्णय लिया गया है ! आज की इस बैठक में सराईपाली से मदनलाल जी अग्रवाल, भाटापारा से कमलेश कुकरेजा, जांजगीर चाम्पा से शंकरलाल अग्रवाल, कवर्धा से आकाश आहूजा, कांकेर से वली मोहम्मद, अंबिकापुर से शुभम अग्रवाल, विकम्र सिंहदेव, राम मंधान, जितेन्द्र दोषी, अजय अग्रवाल,परमानन्द जैन, ज्ञानचंद जैन, मोहम्मद अली हिरानी, अमर गिदवानी, अजित सिंग केम्बो,जयराम कुकरेजा, मुकेश अग्रवाल सहित बड़ी संख्या में व्यपारी एवं व्यपारी संगठनों के पदाधिकारी शामिल रहे।

 



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