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कहीं ख़ुशी कहीं गम : 'रंभा' ने 4 बच्चों को दिया जन्म, प्रसव पीड़ा से मौसमी की मौत...

कहीं ख़ुशी कहीं गम : 'रंभा' ने 4 बच्चों को दिया जन्म, प्रसव पीड़ा से मौसमी की मौत...
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बिलासपुर : कहते है कि जीवन में एक ओर जहां खुशियां है, तो वहां गम भी होता है। कुछ ऐसा ही बिलासपुर के कानन पेंडारी ज़ू में हुआ। एक ओर जहां बाघिन रंभा ने 4 स्वस्थ शावकों को जन्म दिया, वहीं दूसरी ओर शेरनी मौसमी की प्रसव पीड़ा से मौत हो गई।

 

 


दरअसल रविवार का दिन कानन पेंडारी के लिए खुशियों से भरा रहा। जू के बाघिन रंभा ने रविवार देर रात चार बच्चे को जन्म दिया। अफसरों ने बताया कि मादा बाघिन रंभा का भी जन्म 25 अप्रैल 2015 में कानन पेंडारी में ही हुआ था। उसे चैरी और विजय ने जन्म दिया था। इसके बाद 11 नवंबर 2018 को रंभा ने दो शावक भैरव व दुर्गा को जन्म दिया था। कानन के अफसरों का कहना है कि बाघिन रंभा और उसके सभी शावक स्वस्थ्य है। जू में शावकों का जन्म लेना बड़ी उपलब्धि है, क्योंकि पांच साल तक यहां ब्रीडिंग बंद थी। ऐसे में कानन में एक बार फिर बाघ के नन्हें शावक मेहमान बनकर आए हैं। लेकिन यह ख़ुशी ज्यादा


देर तक नहीं टिकी।

रंभा के आलावा ज़ू की शेरनी मौसमी भी माँ बनने वाली थी, लेकिन होनी को कुछ और की मंजूर था। प्रबंधन ने एक साथ दोनों बाघिन और शेरनी के प्रसव के बाद शावकों के जन्म कराने की योजना बनाई थी। बाघिन रंभा का सफलतापूर्वक प्रसव हो गया। फिर सोमवार को शेरनी मौसमी को प्रसव पीड़ा हुई। पशु चिकित्सक उसकी डिलीवरी कराने के प्रयास में जुटे हुए थे, पर उसका पहला शावक उल्टा हो गया। इसके चलते शावक पूछ की तरफ से बाहर आने पर उसका गला अटक गया और असहनीय दर्द से मौसमी की मौत हो गई। आनन-फानन में शेरनी का सीजिरियन डिलीवरी कराने का प्रयास किया गया। ऑपरेशन के बाद देखा गया कि उसके दो शावक गर्भ में थे, जिनकी मौत हो चुकी थी। प्रबंधन ने शाम को ही कानन परिसर में उसका अंतिम संस्कार किया।

 


वन विभाग के अधिकारियों ने कानन जू में दोहरी खुशी की खबर देने की योजना बनाई थी। अधिकारियों का कहना है कि बाघिन और शेरनी के शावकों के जन्म से कानन में एक साथ दो खुशियों का पल आने वाला था। लेकिन, अब जहां बाघिन के शावकों के जन्म की खुशी है। वहीं शेरनी और उसके शावकों की मौत का गम भी कानन प्रबंधन को झेलना पड़ रहा है।
 



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