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केन्द्रीय जेल का जिला एवं सत्र न्यायाधीश एवं पुलिस अधीक्षक ने किया औचक निरीक्षण, ऐसे बंदी जिन्हें परिहार का लाभ दिया जा सकता है, उनके आवेदन को प्रेषित करने निर्देशित किया

केन्द्रीय जेल का जिला एवं सत्र न्यायाधीश एवं पुलिस अधीक्षक ने किया औचक निरीक्षण, ऐसे बंदी जिन्हें परिहार का लाभ दिया जा सकता है, उनके आवेदन को प्रेषित करने निर्देशित किया
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दुर्ग । जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ने केन्द्रीय जेल दुर्ग का औचक निरीक्षण किया गया। केन्द्रीय जेल के निरीक्षण में पुरूष एवं महिला बैरक में जाकर विचाराधीन बंदियों एवं सजायाफ्ता बंदियों से मुलाकात की गई तथा उनकी समस्या सुनी गई। केन्द्रीय जेल से बंदियों के बताई गई समस्या के संबंध में पूछताछ की गई। निरीक्षण में यह विशेष रूप से देखा गया कि केन्द्रीय जेल में बंदियों को कोविड-19 के संक्रमण से बचाव के लिए क्या-क्या व्यवस्था की गई है। नवीन बंदी जो जेल में प्रवेश करते है उनके लिए कोविड -19 के संबंध में स्वास्थय चिकित्सा परीक्षण की क्या व्यवस्था है। निरीक्षण के दौरान एक सजायाफता बंदी ओमप्रकाश, रामकिशन ने बताया कि उसका एक पैर नहीं है उसे कृत्रिम पैर लगवाने के लिए जिला एवं सत्र न्यायाधीश से निवेदन किया गया। जिस पर जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने जेल अधीक्षक को उचित कार्यवाही के लिए निर्देशित किया गया वहीं एक कैदी रामनारायण कवर्धा निवासी है। जिसमें कवर्धा जेल में स्थानांतरएण के लिए निवेदन किया है जिस पर जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने जेल अधीक्षक को निर्देशित किया गया। बंदियों को मास्क दिया गया है अथवा नहीं। बंदियों के मध्य सोशल डिस्टेसिंग रखा जा रहा है अथवा नहीं। बंदियों को शासन के नियमानुसार कोविड संक्रमण के संबंध में टीकाकरण समय-समय पर करवाया जा रहा है अथवा नहीं। केन्द्रीय जेल के निरीक्षण में यह पाया गया कि बंदियों के सामान का निरीक्षण किया गया जिसमें कोई आपत्तिजनक वस्तुए अथवा नशा से संबंधित वस्तु नहीं पाई गई। बंदियों केा दिये जाने वाले भोजन सामग्री की गुणवत्ता देखी गई। जिसमें दाल की मात्रा कम पाई गई, प्रत्येक व्यक्ति को 150 ग्राम दाल दिये जाने का प्रावधान है। उक्त संबंध में दाल की मात्रा बढ़ाये जाने के लिए निर्देशित किया गया। बंदियों को दिये जाने वाले भोजन संतोषजनक पाया गया। बंदियों के बैरक की साफ-सफाई देखा गया। कई स्थानों पर साफ-सफाई में कमी पाई गई ।
निरीक्षण के दौरान ऐसे बंदी जिन्हें 432(2) दंड प्रक्रिया संहिता के तहत् परिहार पर रिहा किया जा सकता है, के संबंध में जानकारी प्राप्त की गई। जेल प्रशासन को ऐसे बंदी जिन्हें परिहार का लाभ दिया जा सकता है, उनके आवेदन के लंबित रहने के कारणों सहित जानकारी प्राधिकरण को प्रेषित किये जाने के लिए निर्देशित किया गया। बंदियों को परिहार पर रिहा किये जाने के संबंध में 1 अगस्त से प्रायलेट प्रोजेक्ट की शुरूआत की जानी है जिसमें सजायाफ्ता बंदियों को परिहार का लाभ समयावधि में प्रदान किया जाना है। बंदियों को जानकारी दी गई कि कोविड संकम्रण अवधि में विचाराधीन बंदियों के प्रकरणों की सुनवाई विडियो कान्फ्रेसिंग के माध्मय से की जा रही है। जेल प्रशासन को निर्देशित किया गया कि जिन बंदियों की पेशी हो उन्हें आवश्यक रूप से विडियो कान्फेंसिंग के माध्मय से न्यायालय के समक्ष उपस्थित रखा जाए। राजेश श्रीवास्तव, जिला न्यायाधीश/अघ्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, दुर्ग , प्रशांत अग्रवाल पुलिस अधीक्षक दुर्ग, संतोष ठाकुर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट दुर्ग, राहूल शर्मा, सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण दुर्ग में केन्द्रीय जेल दुर्ग के अधीक्षक के साथ बैठक ली तथा उन्हें केन्द्रीय जेल दुर्ग के निरीक्षण में पाई गई कमियों एवं अव्यवस्थाओं से अवगत कराया गया तथा तत्काल कार्यवाही करते हुए बंदियों के स्वास्थय एवं अन्य सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिये गए। जेल में साफ-सफाई का विशेष ध्यान दिये जाने का निर्देश जेल प्रशासन को दिया गया। महिला जेल में कुल 5 नाबालिक बच्चे हैं जो महिला कैदी के संरक्षण में है उन बच्चों की पढाई एवं स्वास्थय का विशेष रूप से ध्यान रखे जाने के लिए सभी आवश्यक कार्यवाही किये जाने का निर्देश दिया गया।
 



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