भनक लगते ही पुलिस व अधिकारियों की टीम ने रुकवाया बाल विवाह...
कोरबा । शादी के लिए सबसे अच्छा मुहूर्त अक्षय तृतीया को माना जाता है। लेकिन इस दिन बाल विवाह के मामले भी सुनने में आते है। ऐसा ही एक मामला कोरबा जिले में आया, जहां खबर मिलते ही महिला बाल विकास परियोजना के अधिकारियों की एक टीम ने दबिश देकर बाल विवाह रुकवाया।
मामला कोरबा के कटघोरा थाना इलाके के ग्राम पंचायत धवईपुर के आश्रित ग्राम रामनगर का है। अक्षय तृतिया के दिन राम नगर के एक परिवार में नाबालिग बच्ची की शादी की जा रही थी। इसकी खबर किसी ने पुलिस को दे दी। जिसके बाद महिला बाल विकास परियोजना के अफसर और पुलिस ने घर में दबिश देकर बच्ची की शादी रुकवा दी।
जानकारी के मुताबिक रामनगर के रहने वाले मुनीराम की दो बेटियां हैं। एक की उम्र 18 साल है और छोटी बेटी अभी नाबालिग है। मुनीराम ने दोनों बेटियों की शादी साथ में ही करने का फैसला लेकर एक मंडप अपनी नाबालिग बेटी के लिए भी बनवा दिया। इसकी जानकारी मिलने पर पहुंचे अफसरों ने बताया कि बाल विवाह गैर-कानूनी है। ऐसा करने पर बाल विवाह अधिनियम 2006 के तहत एक लाख जुर्माना और 2 साल की सजा हो सकती है।
अफसरों ने इसकी जानकारी मुनीराम के परिवार को दी। करीब 1 घंटे तक रहे गहमा-गहमी के माहौल के बाद बच्ची के घर वालों ने अपनी गलती मानीं। अफसरों ने परिवार के सदस्यों को समझाइश देकर विवाह नही करवाने के निर्देश दिए। बात-चीत के बाद ये तय हुआ कि लॉकडाउन के बाद बड़ी बेटी प्रशासन से अनुमति लेकर करें। बच्ची के पिता से एक शपथ पत्र भी भरवाया गया कि जिसमें उन्होंने बेटी के बालिग होने पर ही शादी करवाने का वादा किया। परिवार को फिलहाल समझाइश देकर छोड़ दिया गया है।