पति की आयु में वृद्धि के लिए सुहागिनें करेंगी 4 को करवा चौथ का व्रत, सजने संवरने के लिए महिलाएं पहुंची ब्यूटी पार्लर
रायपुर। प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर सुहागिन महिलाओं द्वारा अपनी पति की आयु में वृद्धि के लिए करवा चौथ का व्रत निर्जला 4 अक्टूबर को किया जाएगा। मिली जानकारी के अनुसार करवा चौथ का व्रत मुख्यत: उत्तर भारत के प्रदेशों में धूमधाम से मनाने की परंपरा रही है। करवा चौथ के शुभ अवसर पर शहर के ब्यूटी पार्लरों में महिलाओं की जमकर भीड़ उमड़ रही है।
वहीं शहर के प्रमुख ब्यूटी पार्लरों में मीनाक्षी ब्यूटी पार्लर, आमंत्रण मेंस एवं अन्य ब्यूटी पार्लरों में महिलाओं द्वारा सौंदर्य सामाग्री के रंग रूप के लिए अग्रिम बुकिंग की गई है। महिलाएं फेशियल, पेडिक्योर, मेडिक्योर, मेंहंदी एवं अन्य सजावट के लिए अपनी बारी आने का बेसब्री से इंतजार कर रही हैं। करवा चौथ के पीछे पौराणिक कथा के अनुसार कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ का व्रत करने का विधान है।
सौभाग्यवती महिलाएं इस दिन अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं। इस व्रत की शुरुआत सरगी से होती है। इस दिन घर की बड़ी महिलाएं अपनी बहू को सरगी, साड़ी सुबह सवेरे देती हैं। सुबह चार बजे तक सरगी खाकर व्रत को शुरू किया जाता है, सरगी में फैनी, मट्ठी आदि होती हैं।
करवा चौथ की पूजा के ये हैं कुछ नियम, पढ़ें पूजा का शुभ मुहूर्त-
इस व्रत में पूरे दिन निर्जला रहा जाता है। व्रत में पूरा श्रृंगार किया जाता है। महिलाएं दोपहर में या शाम को कथा सुनती हैं। कथा के लिए पटरे पर चौकी में जलभरकर रख लें। थाली में रोली, गेंहू, चावल, मिट्टी का करवा, मिठाई, बायना का सामान आदि रखते हैं। प्रथम पूज्य गणेश जी की पूजा से व्रत की शुरुआत की जाती है। गणेश जी विघ्नहर्ता हैं इसलिए हर पूजा में सबसे पहले गणेश जी की पूजा की जाती है। इस बात का ध्यान रखें कि सभी करवों में रौली से सतियां बना लें। अंदर पानी और ऊपर ढ़क्कन में चावल या गेहूं भरें।
यहां पढ़ें करवा चौथ व्रत की संपूर्ण कहानी-
संध्या पूजा का शुभ मुहूर्त 4 नवंबर (बुधवार)- शाम 05 बजकर 34 मिनट से शाम 06 बजकर 52 मिनट तक।
इस व्रत में पूरे दिन निर्जला रहा जाता है। व्रत में पूरा श्रृंगार किया जाता है। महिलाएं दोपहर में या शाम को कथा सुनती हैं। कथा के लिए पटरे पर चौकी में जलभरकर रख लें। थाली में रोली, गेंहू, चावल, मिट्टी का करवा, मिठाई, बायना का सामान आदि रखते हैं। प्रथम पूज्य गणेश जी की पूजा से व्रत की शुरुआत की जाती है। गणेश जी विघ्नहर्ता हैं इसलिए हर पूजा में सबसे पहले गणेश जी की पूजा की जाती है। इसके बाद शिव परिवार का पूजन कर कथा सुननी चाहिए। करवे बदलकर बायना सास के पैर छूकर दे दें। रात में चंद्रमा के दर्शन करें। चंद्रमा को छलनी से देखना चाहिए। इसके बाद पति को छलनी से देख पैर छूकर व्रत पानी पीना चाहिए।