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अरविंद नेताम ने कहा सारकेगुड़ा मामले में जस्टिस वीके अग्रवाल आयोग की रिपोर्ट विधानसभा में प्रस्तुत नहीं होना नियम विरूद्ध है

अरविंद नेताम ने कहा सारकेगुड़ा मामले में जस्टिस वीके अग्रवाल आयोग की रिपोर्ट विधानसभा में प्रस्तुत नहीं होना नियम विरूद्ध है
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रायपुर | सारकेगुड़ा थाना बासागुड़ा जिला बीजापुर बस्तर में सीआरपीएफ और पुलिस बल ने 28 एवं 29 जून 2012 की मध्यरात्रि को सात नाबालिग सहित 10 निर्दाेष आदिवासियों को नक्सली करार देकर मुठभेड़ दर्शाकर मारा था। जबकि उक्त आदिवासी बीज पंडूम (बीज त्यौहार) की तैयारी के संबंध में सामुहिक रूप से चर्चा कर रहे थे। उक्त ग्रामवासियों को सीआरपीएफ के जवानों ने बिना चेतावनी के फायरिंग कर मार डाला। उक्त मामले में जस्टिस वीके अग्रवाल आयोग ने 17 ग्रामीणों को निर्दाेष करार देते हुए दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करने की अनुशंसा अपने निर्णय में की है। विधानसभा में कायदे से जस्टिस वीके अग्रवाल आयोग की रिपोर्ट को सरकार द्वारा प्रस्तुत किया जाना था जबकि लीक होने के कारण उक्त मामला प्रकाश में आना न केवल नियम विरूद्ध है बल्कि यह सरकार की मंशा को भी प्रकट करता है। उक्त महत्वपूर्ण जानकारी प्रेसक्लब रायपुर में आयोजित पत्रकारवार्ता में पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरविंद नेताम ने दी। नेताम ने पूर्व सरकार पर आरोप लगाया कि मामला चाहे ताड़मेटला का हो या झीरम घाटी का हो। पूरे बस्तर के आदिवासियों को पुलिस बल द्वारा प्रताडि़त किया जा रहा है। उन्होंने कांग्रेस सरकार से बाहर के पुलिसबलों को बस्तर में तैनात न किए जाने की मांग करते हुए कहा कि उन्हें वहां की भौगोलिक स्थिति का न तो पता रहता है और न ही वे वहां की संस्कृति से परिचित होते हैं। ऐसी स्थिति में कुल मिलाकर निर्दाेष आदिवासी ही मुठभेड़ के नाम पर मारा जाता है। वरिष्ठ आदिवासी नेता सोहन पोटाई ने पत्रकारवार्ता में बताया कि बस्तर के आदिवासियों एवं उनकी संस्कृति को नष्ट करने की कोशिश कार्पाेरेट घराने के लोग कर रहे हैं। उक्त औद्योगिक घरानों को भाजपा कांग्रेस दोनों का साथ मिला है जिसके चलते आदिवासी जल, जंगल, जमीन के सहारे जीवनयापन करने में तकलीफों का सामना कर रहा है। उन्होंने कहा कि पुलिस जवानों द्वारा निर्दाेष आदिवासियों की हत्या होना शासन की नक्सली समस्या के समाधान की नीति पर प्रश्न चिन्ह लगाता है। पूर्व आईएएस अधिकारी बीपीएस नेताम ने पत्रकारवार्ता में बताया कि सर्व आदिवासी समाज शासन से मांग करता है कि 17 निर्दाेष आदिवासियों के परिवारों को 50-50 लाख की मुआवजा राशि एवं मृतक परिवार के एक सदस्य को शासकीय नौकरी तत्काल दी जाए। पत्रकारवार्ता में पूर्व आईएएस अधिकारी नवल सिंह मंडावी, युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष विनोद नागवंशी सहित आदिवासी समाज के वरिष्ठ सदस्य मौजूद थे। 

 

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