शाहरुख़ ख़ान, सलमान ख़ान और मुकेश अंबानी के पड़ोसियों की कहानी

‘मन्नत’ के बाहर फ़ैंस की भीड़ शाहरुख़, शाहरुख़ चिल्ला रही है. पुलिस लाठियों से फ़ैंस को डराकर पीछे हटाने की कोशिश में है.
कुछ मिनट पहले ही शाहरुख़ ख़ान ‘मन्नत’ की बाहरी दीवार के पास बनाई एक जगह पर खड़े थे, ताकि फै़ंस अपने पसंदीदा सितारे का दीदार कर सकें.
शाहरुख़ कभी दोनों हाथ फैलाकर पोज़ देते दिखते, कभी फ़्लाइंग किस, तो कभी सलाम कर आम फ़ैंस को ख़ास महसूस कराते दिखते.
सड़क जाम है. फ़ोन के कैमरे ऑन हैं. फै़ंस की ख़ुशी शोर बनकर सुनाई दे रही है.कुछ मिनट बाद शाहरुख़ फै़ंस को विदा कहकर मुंबई के बैंड स्टैंड पर बने इस सफ़ेद बंगले के अंदर लौटने लगते हैं.
अब शाहरुख़ की पीठ फै़ंस की ओर है और फ़ैंस की पीठ जिन लोगों की ओर है, ये कहानी उन्हीं लोगों की है.
वो लोग जिनके पड़ोसी का घर देखने हर साल लाखों लोग आते हैं, तस्वीरें खिंचवाते हैं.
शाहरुख़ समेत इन नामी हस्तियों के घर की ओर हसरत भरी निगाह लिए फ़ैंस जिन लोगों की ओर पीठ किए रहते हैं, उनके चेहरे और घर कैसे हैं?
मुंबई के लगभग हर इलाक़े में कोई न कोई कलाकार रहता ही है.
फिर चाहे पते की जगह पर सिर्फ़ ‘अमिताभ बच्चन, जुहू’ लिख देने पर चिट्ठियाँ पाने वाले अमिताभ बच्चन हों या सांताक्रूज की तंग गलियों में 500-1000 रुपए प्रति एपिसोड में काम करने वाला कोई जूनियर आर्टिस्ट.
इस कहानी में हम उन चंद हस्तियों के घर के आस-पास का माहौल और पड़ोसियों को जानने की कोशिश करेंगे, जिनके घर सबसे ज़्यादा चर्चा में रहते हैं और जिन घरों को सिर्फ़ बाहर से देखने भर के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं.
जैसे- शाहरुख़ ख़ान, सलमान ख़ान, अमिताभ बच्चन और मुकेश अंबानी.

मन्नत: शाहरुख़ ख़ान के पड़ोसी…
ईद, जन्मदिन और फ़िल्म रिलीज़ के वक़्त. ज़्यादातर मौक़ों पर शाम चार बजे. कई बार अचानक रात में भी.
यही वो तय मौक़े हैं, जब शाहरुख़ मन्नत के बाहर खड़े फ़ैंस को अपना दीदार करने देते हैं.
शाहरुख़ के घर के सामने जो इलाक़ा है, वो गणेश नगर कहलाता है. चकाचौंध के नीचे बसी ये बस्ती कुछ अंधेरों में अपनी ज़िंदगी गुज़ारती है.
इस इलाक़े में लगभग 100 घर हैं. एक घर लगभग उतना बड़ा, जितने में किसी फ़िल्मी सितारे या रईस की एक कार खड़ी हो पाती होगी.
गलियाँ इतनी तंग कि दो लोग साथ नहीं चल सकते.

इन्हीं गलियों में रहने वाले कुछ लोग शाहरुख़ का घर देखने आए फ़ैंस को खाने-पीने का सामान बेच कर गुज़ारा करते हैं.
मन्नत के गेट के सामने समंदर की तरफ़ 10-12 साल की बच्ची पार्वती भुट्टे बेच रही है.
पास में व्हीलचेयर पर पार्वती का भाई प्रेम बैठा है. प्रेम चल, बोल नहीं सकता.
जब सूरज मुंबई के अरब सागर में डूबकर अंधेरा छोड़ जाता है, तब प्रेम व्हीलचेयर पर बैठे-बैठे मोबाइल की टॉर्च से भुट्टे बेचती पार्वती को रौशनी दिखाते हैं.


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झारखंड से मुंबई आकर बसे पार्वती का परिवार गणेश नगर में 20-22 सालों से रह रहा है.
पार्वती पास के स्कूल जाती है और लौट कर मन्नत के बाहर आए फ़ैंस को भुट्टे बेचने लगती हैं.
प्रेम से कुछ पूछो, तो वो मुस्कुराकर आँखों और इशारों से जवाब देते हैं. लेकिन प्रेम व्हीलचेयर पर कैसे पहुँचे?
पार्वती की माँ नीरजा देवी कहती हैं, ”दिवाली थी, तो घर पेंट करने के लिए कलर लेने गया था. दोनों भाई आ रहा था. पीछे से बड़ा गाड़ी मारा. दोनों भाई को गाड़ी मारा, तो एक का हाथ कट गया, एक का पैर काम करना बंद कर गया. कमर से भी गया. तीन साल हो गया. अभी व्हीलचेयर पर बैठा ही है.”
अगर शाहरुख़ ख़ान आपकी बात सुन रहे हों, तो आप क्या कहेंगी? पार्वती की माँ कहती हैं, ”यही कि थोड़ा बहुत हेल्प हो जाए तो अच्छा है. अब इतना बच्चे लेकर इधर-उधर दौड़ रहे हैं, कोई खाने पीने का ठिकाना नहीं. दुकान लगाएँ, तो सब परेशान करते हैं.”
शाहरुख़ जहाँ रहते हैं, उस लाइन में कई और बड़े सितारे या रईस भी रहते हैं.
पार्वती से जब मैंने पूछा कि क्या कभी शाहरुख़ के घर की ओर से त्योहार वगैरह में कुछ आता है? पार्वती इस सवाल पर हैरत भरी निगाहों से देखती हैं.
हालाँकि पार्वती की माँ मन्नत के बराबर की तरफ़ वाले बंगले की ओर इशारा करके कहती हैं, ”एक्सीडेंट जब हुआ, तो इधर रहने वाले एक साहब ने बहुत मदद किया था.”

महंगा होटल और खोली का चार्ज
एक तरफ़ ऊँची बिल्डिंग, दूसरी तरफ़ कच्ची बस्ती.
कोली मछुआरों, वारली समुदाय के लोगों की मुंबई तेज़ी से किसी और की होती जा रही है.
बराबरी शब्द का मज़ाक उड़ाते नज़ारे मुंबई में लगभग ज़्यादातर जगहों पर देखने को मिल जाएँगे.
सितारों या रईसों के घर भी इससे अलग नहीं हैं. फिर चाहे प्रियंका चोपड़ा का ख़रीदा नया महंगा बंगला हो या फिर शाहरुख़, सलमान का घर.
एक हाउसिंग प्रॉपर्टी वेबसाइट का अनुमान है कि शाहरुख़ का बंगला लगभग 200 करोड़ का होगा.
इसी सड़क पर आगे जाएँ, तो एक महंगा पाँच सितारा होटल है, जिसमें एक रात रुकने का किराया 25 हज़ार के क़रीब होगा.
सड़क के उस पार जिस घर का किराया लगभग दो लाख होगा, उतनी जगह में यहाँ तीन परिवार चार-पाँच हज़ार रुपए महीने का किराया देकर रहते हैं.
कुछ लोगों के अपने घर भी हैं. ये लोग यहाँ तब से हैं, जब शाहरुख़ ख़ान मुंबई में आए तक नहीं थे.

गंगा सिंह छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा के मायके को छोड़कर पति संग साल 1986 से गणेश नगर में रह रही हैं.
गंगा सिंह बोलीं, ”ये पहले एक पारसी का बंगला था. पूरा ओपन था. हेरिटेज था. फिर जब शाहरुख़ लिया और बंगले की रिपेयरिंग हो रही थी, मैं तब भी यहीं थी. बंगले को एक भाई ठीक करवा रहे थे. हमारा वड़ा पाव, राइस प्लेट का होटल था, तो सारे स्टाफ़ को हमारे यहाँ से ही खाना जाता था.”
गंगा सिंह दावा करती हैं, ”हर महीने चेक आता था. चेक पर शाहरुख़ का साइन होता था. उस पैसे से मैंने ये घर बनाया. पहले प्लास्टिक की थैली में रहते थे. ये जो घर है, ये शाहरुख़ की देन है. शाहरुख़ अपना बंगला खड़ा कर दिए, हम भी अपना छोटा-सा बना लिए.”
गणेश नगर में रहने वाले इब्राहिम कहते हैं, ”सामने मन्नत है, फिर आगे गैलेक्सी भी है. 24 घंटे लोग आते रहते हैं. अपुन लोगों का सी फ़ेसिंग घर है. पर पानी बढ़ता है, तो पानी भी फ़ेस करना पड़ता है. सारा सामान हटाओ. दूसरी जगह जाओ. पर ये जगह इतनी खुली है कि यहाँ रहने वाले लोग कहीं और रह ही नहीं सकते. यहाँ रहते हैं, तो अमीर वाली एक फ़ीलिंग आती है. यहाँ जो महसूस होता है, वो बिल्डिंग वालों को भी नहीं महसूस होता होगा.”

शाहरुख़ के पड़ोसी होने का सुख
शाहरुख़ के पड़ोसी होने से रिश्तेदारों को बताने में आसानी रहती होगी?
गणेश नगर के ज़्यादातर बाशिंदे इस बात से सहमत दिखते हैं और ये बात पूछो, तो ख़ुश हो जाते हैं.
प्रेमलता गणेश नगर में खोली के बाहर बैठी एक युवती की आइब्रो बना रही हैं.
प्रेमलता बोलीं, ”मैं सेठ लोगों के काम करती हूँ. साथ में ये मेकअप का भी सीखी हूँ. कोई पूछता है तो अच्छा ही लगता है बताने में कि शाहरुख़ पास में रहता है. उसका पिक्चर भी पसंद है.”
मोहम्मद इब्राहिम बोले, ”पिक्चर लाइन में मेरी दिलचस्पी नहीं. पर अगर पसंद ही करना होएगा, तो शाहरुख़, सलमान को करूंगा. वो अपने पड़ोसी, हम उनके पड़ोसी. पड़ोसी का फ़र्ज़.”
सलमान ख़ान अक्सर साइकिल चलाते हुए बैंड स्टैंड पर दिखते रहे हैं. क्या शाहरुख़ ख़ान से भी पड़ोसियों की मुलाक़ात होती है?
इब्राहिम कहने लगे, ”वोटिंग के टाइम पर मेरी आंटी शाहरुख़ और अबराम से मिले थे. आंटी ने अबराम को जबराम बोल दिया था, तो शाहरुख़ अबराम से बोले कि बेटा आंटी को बताओ कि मेरा नाम जबराम नहीं, अबराम है.”
गुलज़ार: ‘चाहता था कि सवाल पूछे ना जाएं…’

गंगा सिंह ने कहा, ”मेरे बेटे की पिछले महीने शादी थी. गाँव में थे, तो मैं बहुत शौक से बोलती हूँ कि शाहरुख़ ख़ान मेरे पड़ोसी हैं. हम मोबाइल में दिखाते हैं. लोग पूछते हैं कि शाहरुख़ को देखा है क्या. मैं जवाब देती हूँ- हम तो हमेशा देखते हैं, हमको तो बहुत फ़ख़्र महसूस होता है.”
पुरानी कहावत है कि मुश्किल घड़ी में पड़ोसी ही सबसे पहले काम आते हैं, क्या बैंड स्टैंड के मामले में भी ऐसा ही है?
गंगा कहती हैं, ”कोरोना के दौर में दो साल तक सेठ लोग बहुत मदद किया. शाहरुख़, सलमान ख़ुद तो आकर दान नहीं करते हैं. अपना नाम नहीं बताते हैं. शायद हो सकता है कि ये लोग भी चुपचाप भेज दिए होंगे.”
शाहरुख़ के लिए आर्यन ख़ान को जेल होने वाला दौर मुश्किल रहा था. फिर बाद में लता मंगेश्वर के अंतिम संस्कार पर दुआ पढ़ने को थूकना कहकर हुई ट्रोलिंग भी चर्चा में रही थी.
गंगा सिंह उन वाकयों को याद करती हैं, ”आर्यन के साथ जो हुआ, वो सही नहीं हुआ था. मेरे घर में भी जवान बेटा है. मुझे भी डर लगता है तो कि इतनी बड़ी हस्ती को नहीं छोड़ता है. ग़रीब का बच्चा ऐसे मैटर में जाएगा तो फिर कैसे बाहर आएगा. कुलदेवी से प्रार्थना किया कि आर्यन बच्चा जल्दी से बाहर आए. शाहरुख़ दिल्ली का है, है तो इंडियन ही. लेकिन कितना ग़लत बोलते हैं. इधर हम कोई हिंदू मुसलमान करके नहीं रहते हैं. सब आपस में प्यार से रहते हैं.”

सलमान ख़ान का घर गैलेक्सी
शाहरुख़ के घर से निकलते ही, कुछ दूर चलते ही… रास्ते में है सलमान का घर.
सलमान ख़ान का घर बाहर से इतना साधारण लगता है कि कई बार वहाँ आए फ़ैंस को ये यक़ीन ही नहीं होता कि इस गैलेक्सी में सलमान ख़ान भी रहते हैं.
ऐसे मौक़ों पर सलमान ख़ान का एक डॉयलॉग एकदम सटीक लगता है- ”मेरे बारे में इतना मत सोचना, मैं दिल में आता हूँ, समझ में नहीं.”
सलमान ख़ान के घर के सामने कुछ कच्चे-पक्के छोटे घर हैं.

इस इलाक़े में सामने की तरफ़ लगभग 10-12 घर हैं. यहाँ रहने वाले कैथोलिक हैं. घरों के बाहर क्रॉस बने हुए हैं. पास में ही सेंट एंड्र्यूज़ चर्च है.
तभी एक बुजुर्ग महिला अपने घर की बालकनी पर दिखीं.
रोज़ी लगभग 80 साल की हैं. अपने घर की पहली मंज़िल की बालकनी पर बैठी हुई हैं. इस बालकनी से सलमान के घर की खिड़की दिखती है.
रोज़ी कहती हैं, ”सलमान जब छोटा था तो घर भी आता था. अब तो बड़ा हीरो हो गया तो कब से नहीं आया. ये जो गैलेक्सी घर है, ये बहुत बाद में बना. हम लोग तो इससे पहले से यहाँ हैं. गैलेक्सी वाली बिल्डिंग भी सामने ही बनी. सलमान का मम्मी-पपा मिलता रहता था पहले.”

सलमान ख़ान के पड़ोसी होने का सुख
सलमान के घर के पास रहने से क्या पड़ोसियों की ज़िंदगी कुछ अलग होती है?
बच्चों को फ़ुटबॉल कोचिंग देने वाले सैबी अपनी कोच ड्रेस में मिले.
सैबी कहने लगे, ”मैं इधर मेरी मौसी के घर रहता है. पब्लिक इतना ज़्यादा होता है कि बहुत दिक़्क़त होता है. बर्थडे, ईद में तो घर से बाहर निकलने में भी दिक़्क़त होता है.”
पर जब किसी को बताना होता है कि कहाँ रहते हैं, तब क्या कहते हैं?
सैबी बोले, ”सलमान कभी साइकिल वगैरह से जाता है, तो दिखता है. पहले सलमान छोटा था, तो इधर लोगों से मिलता जुलता था. अब बड़ा स्टार हो गए हैं, तो मिलना जुलना नहीं होता है. किसी को बताते हैं तो फ़ीलिंग तो आती है कि सलमान के सामने रहते हैं. लोगों को बताते हैं तो वो अलग ही फ़ीलिंग में आ जाते हैं.”
सैबी के पसंदीदा एक्टर आमिर ख़ान हैं.
सैबी बताते हैं, ”इलाक़े में अगर किसी को ज़रूरत पड़ती है, तो मदद मांगने जाते हैं. सलमान का फ़ाउंडेशन भी है न. तो लोग जाते हैं.”
ख़ुद को सलमान की पड़ोसन कहती हैं या कुछ और?
रोज़ी इस सवाल पर जवाब देती हैं, ”चर्च के पास रहते हैं, ये बताते हैं. सलमान लोग तो बाद में रहने को आया है इधर.”
सेंट एंड्रयूज़ चर्च के पास रहने वाले इन कैथलिक को अजनबी लोगों को देखने की इतनी आदत हो गई है कि किसी से नज़र नहीं मिलाते.
ये सोचकर कि वही पुराना सवाल पूछा जाएगा कि ये सलमान का घर है?
सलमान के घर के सामने नारियल पानी बेच रहे शख़्स बोले, ”अक्खा दिन लोग ख़ाली एक ही सवाल पूछता है.”

अमिताभ बच्चन का घर और बाहर का माहौल
पड़ोसियों के मामले में अमिताभ बच्चन तनहा ही दिखते हैं. अमिताभ के जुहू पर स्थित बंगले जलसा के बगल में बैंक है. जलसा की दीवारों पर पेंटिंग है.
बंगले के सामने पानी भरी मटकी रखी है, जिसमें फ़ैंस आकर पानी पीते हैं और वीडियो कॉल में लोगों को बताते हैं कि वो अमिताभ के घर का पानी पी रहे हैं.
अमिताभ के बंगले के बाहर भीड़ भी ‘परंपरा, प्रतिष्ठा, अनुशासन’ में दिखती है.
भीड़ की शक्ल में जो चुलबुलाहट सलमान, शाहरुख़ के घर के बाहर भौगोलिक और कई दूसरों वजहों से दिखती है, वो अमिताभ के घर के बाहर कम दिखी.
अमिताभ के जुहू में दो और बंगले हैं. जनक और प्रतीक्षा.
सबसे ज़्यादा भीड़ जलसा को नसीब होती है, जहाँ अमिताभ रविवार शाम फ़ैंस के सामने भी आते हैं. अभिवादन करते हैं और मिलकर लौट जाते हैं.
इसके अलावा होता ये है कि जलसा के बाहर गाड़ियाँ आती हैं. रुकती हैं. लोग सिक्योरिटी गार्ड्स से सवाल पूछते हैं, तस्वीरें खिंचवाते हैं और कुछ मटके का पानी पीकर प्यास बुझाकर चले जाते हैं.
अमिताभ के घर के कुछ सिक्योरिटी गार्ड से बात हुई.
मुस्कुराते हुए वो बताते हैं, ”लोग आते हैं और कहते हैं- अमिताभ साहब किधर सोते हैं, उधर सामने जो रूम दिख रहा है, उधर सोते हैं कि किधर सोते हैं. कभी बालकनी पर आते हैं क्या? अभी मैं ज़ोर से बोलूँ, तो अमिताभ जी तक आवाज़ जाएगी क्या? सारे दिन बस यही सवाल.”
सितारों के घर के पास सवाल पूछने की सहूलियतें रहती हैं, लेकिन क्या ये सहूलियतें दूसरी जगहों पर भी हैं?
मुकेश अंबानी की अट्टालिका

अंबानी का घर एंटीलिया
जाम का शिकार और फ़िल्मी सितारों की भरमार वाले बांद्रा से जब हाजी अली होते हुए साउथ बॉम्बे की ओर बढ़ें, तो सी लिंक यानी समंदर पर बने ब्रिज को पार करना होता है.
सी लिंक पार करने से वक़्त बचता है और नज़रों को मुंबइयां ज़मीन पर उगी आसमान छूती इमारतों का नज़ारा दिखता है.
ऐसी ही एक ऊँची इमारत बीते एक दशक से लगातार चर्चा में है. दुनिया के ज़्यादातर रईस इस इमारत में आते हैं.
इस इमारत में जब कोई फ़ंक्शन होता है, जो बड़े फ़िल्मी सितारे मुस्कुराते हुए खाना तक परोसते दिखते हैं.
ये घर एशिया के सबसे रईस आदमी मुकेश अंबानी का है.
ये 27 मंज़िला घर मुख्य तौर पर सिर्फ़ छह लोगों के लिए बनाया गया था. नए बढ़े सदस्यों की संख्या गिन लें तो अब भी ये ज़्यादा से ज़्यादा आठ लोगों का ये घर है.
हालाँकि सैकड़ों, हज़ारों लोगों के लिए ये घर… अपना घर चलाने का एक ज़रिया भी है.
एंटीलिया को अगर कोई आम इंसान कुछ पल के लिए रुककर देख ले, तो सिक्योरिटी गार्ड आकर अक्सर हटा देते हैं.
एंटीलिया के घर के बाहर भारी सुरक्षाबल तैनात रहते हैं.
तस्वीर खींचने की मनाही रहती है. हाँ, कुछ मौक़ों पर यहाँ पैपराज़ी के कैमरे गेट खुलने और किसी बड़े आदमी को घर से निकलते हुए क़ैद करते हुए देखे गए हैं.
मुकेश अंबानी के घर के आसपास कई और रईस लोग रहते हैं. आम लोग इस इलाक़े में नौकरी तो कर सकते हैं, लेकिनर घर लेकर रह नहीं सकते.
लेकिन एक चीज़ जो हैरत में डालती है, वो है अंबानी के गेट के ठीक बगल की तीन छोटी दुकानों के खोखे. दो दुकानें खाने-पीने की और एक दुकान कबाड़ी वाले की.

अंबानी के गेट के ठीक बगल में एक छोटी दुकान है, जिसका नाम है- लकी स्टोर.
दुनिया के रईसों में से एक के घर के बाहर दुकान होना वाक़ई ‘लकी’ होना ही होता होगा.
इस दुकान के मालिक और अंबानी में लकी होने के अलावा एक समानता और है- गुजराती होना. लकी स्टोर के मालिक गुजरात के कच्छ से हैं.
इन तीन दुकानों में काम करने वाले लोग बात करने से बचते हैं.
एक व्यक्ति ने कहा- अरे साब, इधर धंधा करने का है, सवाल वगैरह क्या पूछने का है, तो सेठ से पूछना.
अंबानी के घर के पास कबाड़ी की दुकान पर सैकड़ों ख़बरों को समाए अख़बार रखे हुए हैं.
ये घर से बाहर का माहौल है. लेकिन एंटीलिया के अंदर जाने वाले लोग क्या देखते हैं?
हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्री की एक बड़ी हस्ती मुकेश अंबानी की एक पार्टी में गए थे.
वो बोले, ”उधर हम फ़िल्म वाले लोग जाते हैं तो एक कोने में हम लोगों को बैठा दिया जाता है. कोई अंदर बहुत ज़्यादा पूछता थोड़ी है. अंदर दूसरे बड़े रईस रहते हैं. यार तुम सोचो कि इन लोगों के पास कितना पैसा है, हम लोग कहीं नहीं हैं इनके सामने.”
ये बात एक उस इंसान ने कही, जिनकी फ़िल्में 100 करोड़ क्लब को पार कर जाती हैं.
सलमान ख़ान जिन अंबानी के पीछे खड़े होकर स्टेज पर बैक डासंर का काम करें, वहाँ जाकर किसी करोड़पति नामी हस्ती का ये सोचना मुमकिन है.

इमेज स्रोत,MAHENDRA PARIKHA/GETTY IMAGES
मुंबई
सात द्वीपों पर कभी बसा शहर मुंबई, जहाँ जब बारिश होती है, तो कई दिनों तक नहीं रुकती है.
आँखों में सपने लिए जहाँ हज़ारों, लाखों लोग आसमान को उम्मीद भरी निगाह से देखते हों, उसके आसमान का जमकर बरसना कोई हैरत की बात नहीं.
ये मुंबई ही हो सकती है, जहाँ लगभग हर तीसरी गाड़ी कोई महंगी वीआईपी नंबर वाली कार है.
मुंबई से बाहर के लोग जब इन काले शीशे वाली कारों को देखते हैं, तो सोचते हैं कि शायद कोई सितारा जा रहा होगा.
मगर यहाँ इतने रईस हैं कि मुंबई की ज़मीन भी अनगिनत सितारों वाला आसमान लगने लगती है.
काली पीली टैक्सी चला रहे ड्राइवर सी लिंक पार करते हुए कहते हैं, ”बॉम्बे के ओरिजनल लोग ख़ाली गोल्ड की चेन पहनते हैं. सोते हैं. बाहर के लोग आते हैं और यहाँ पैसा बनाते हैं और देखो कैसा ऊँचा ऊँचा बिल्डिंग बनाकर चले जाते हैं.”
टैक्सी ड्राइवर ने जिन बाहरियों की बात की, वो मुंबई का एक अलग ऐतिहासिक, राजनीतिक और समाजिक मुद्दा रहा है.
लेकिन कुछ बाहरी अंबानी जैसे भी होते हैं, जिनके घर के बाहर कोई रुक नहीं सकता.
कुछ शाहरुख़ जैसे बाहरी भी होते हैं, जिनके घर के बाहर आकर समंदर भी कुछ रुकता है और फिर लहरों के सहारे आवाजाही करता रहता है.

यही लहरें कई बार जब तेज़ होती हैं, तब शाहरुख़ के घर के बाहर भुट्टे बेच रही पार्वती की छोटी सी दुकान को हटा देती है.
ईद के अगले दिन बैंड स्टैंड पर तेज़ लहरें सड़क किनारे तक आ रही थीं. पार्वती अपनी माँ के साथ खड़ी है.
दुकान लहरों और फिर बीएमसी के डर से हट चुकी है.
पार्वती का भाई प्रेम व्हीलचेयर के साथ घर पर ही है. वजह जब पार्वती से पूछी तो वो बोली- इतना पानी में कैसे आएगा वो?
बहन को हाथ से बस मोबाइल टॉर्च दिखा पाने में ही सक्षम प्रेम तेज़ लहरों के कारण नहीं आ पाया.
प्रेम और पार्वती का दूसरा भाई अपना हाथ हमेशा के लिए खो चुका है.
पार्वती के दोनों भाइयों के इन हाथों की कहानी से कुछ मीटर की दूरी पर शाहरुख़ ख़ान जैसे ही हाथ फैलाते हैं, भीड़ मन्नत की ओर देखने लगती है.
”बड़े-बड़े शहरों में… ऐसी छोटी बातें होती रहती हैं…”