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शासकीय कला एवं वाणिज्य कन्या महाविद्यालय देवेंद्र नगर में 7 दिवसीय रिसर्च मेथाडोलॉजी पर कार्यशाला हुआ प्रारंभ

शासकीय कला एवं वाणिज्य कन्या महाविद्यालय देवेंद्र नगर में 7 दिवसीय रिसर्च मेथाडोलॉजी पर कार्यशाला हुआ प्रारंभ
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आज शासकीय कला एवं वाणिज्य कन्या महाविद्यालय देवेंद्र नगर में रिसर्च मेथाडोलॉजी पर कार्यशाला कार्यक्रम प्रारंभ हुई। यह कार्यशाला 11 फरवरी से 17 फरवरी तक प्रस्तावित है। यह कार्यक्रम महाविद्यालय के प्राचार्य डॉक्टर एक जयसवाल के निर्देशन में किया गया। कार्यक्रम की संयोजक मनोविज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ उषा किरण अग्रवाल हैं। कार्यक्रम के प्रारंभ में कार्यक्रम की संयोजक डॉ उषा किरण अग्रवाल ने कार्यशाला का विस्तृत विवरण दिया। उन्होंने बताया कि जो विद्यार्थी अनुसंधान कार्य में लगे हुए हैं उन्हें इस कार्यशाला से अत्यंत लाभ होग क्योकि इस कार्यशाला को आईसीएसएसआर की कोर्स वर्क की तरह डिजाइन किया गया है। उन्होंने बताया इस कार्यशाला में विद्यार्थी , रिसर्च स्कॉलर, तथा प्राध्यापकों ने भी भाग लिया है। कार्यशाला में कीनोट ऐड्रेस डॉ प्रशांत श्रीवास्तव शासकीय वी वाय टी पी जी महाविद्यालय दुर्ग के जियोलॉजी विभाग ने दिया। वे डीएसटी यंग साइंटिस्ट पुरस्कार प्राप्त है। इन्हें राजीव गांधी एक्सीलेंस अवार्ड भी मिला है। तथा ये यूएस इंडिया के फुलब्राइट विजिटिंग प्रोफेसर भी हैं। इन्होंने अपने व्याख्यान में अनुसंधान को चुनौती से शुरू करके लक्ष्य तक पहुंचने की यात्रा बताया। अनुसंधान अपनी अभिवृत्ति में परिवर्तन करने की प्रक्रिया है। साथ ही उन्होंने अनुसंधान का अर्थ उद्देश्य समस्या उपकल्पना मूल्यांकन तथा निष्कर्ष के बारे में समझाया। प्रथम सत्र के बाद मोनिका सेठी ने एनर्जाइजर लाफ्टर गतिविधियां करवाई ।इसके बाद बड़ोदरा की एमएस यूनिवर्सिटी से डॉक्टर लाजवंती चैतानी मैं अपना व्याख्यान दिया। जो लंदन मैं पढ़ी-लिखी तथा कैलिफोर्निया में भी अपना अध्यापन कार्य किया है। उन्होंने सत्र का प्रारंभ अनुसंधान क्या है तथा इसे पीएचडी क्यों कहते हैं से प्रारंभ किया। इसी दर्शनशास्त्र से जोड़ते हुए प्राकृतिक विज्ञान तथा सामाजिक विज्ञान में अंतर बताया। प्राकृतिक विज्ञान तथ्यों तथा प्राकृतिक विज्ञान नियमों पर आधारित है ।इसमें सार्वभौमिकता, प्रामाणिकता, वस्तुनिष्थ्ता पाई जाती है। जबकि सामाजिक विज्ञान सृजनात्मकता पर आधारित होता है। उन्होंने समाज विज्ञान की अनुसंधान विधियों हर्मेनेटिक, आलोचनात्मक मूल्यांकन के बारे में बताया तृतीय सत्र में भी उन्होंने समाज विज्ञान अनुसंधान की विधियां में हरमेनेटिक्स, संरचनावाद रिकंस्ट्रक्शन , फेनोमेनॉलजी विधियों के बारे में जानकारी दी। उनके तीनों ही सत्र बहुत ही रुचिकर ज्ञानवर्धक रोचक रहे। प्रतिभागियों के प्रश्न तथा डॉ नंदा गुरुवारा के आभार प्रदर्शन के द्वारा आज की कार्यशाला समाप्त हुई। इसमें राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों से विद्यार्थी रिसर्च स्कॉलर , तथा प्राध्यापकों ने भाग लिया। कार्यशाला में प्रतिभागी के तौर पर महाविद्यालय के प्राध्यापक डॉ संध्या वर्मा, डॉ कविता शर्मा, डॉ सुषमा तिवारी, डॉ सिरिल डेनियल, डॉ शीला दुबे, डॉ आशा दुबे,, उषा अग्रवाल, डॉ प्रभा वर्मा, डॉ लक्ष्मी देवनानी, डॉ चित्रा देशपांडे,, डॉ अंजना पुरोहित उपस्थित रहे। 


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