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कोरोना के बाद इस शहर में ब्रेन फॉग का मामला आया सामने, जानें क्या है लक्षण

कोरोना के बाद इस शहर में ब्रेन फॉग का मामला आया सामने, जानें क्या है लक्षण
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इंदौर, पोस्ट कोविड मरीजो के बारे में आपने सुना होगा कि उसे ब्लैक फंगस, व्हाइट फंगस या फिर यलो फंगस ने अपनी जकड़ में ले लिया हो लेकिन इंदौर में पोस्ट कोविड मरीज को एक ऐसी बीमारी ने अपनी जकड़ में लिया है जिसे आम तौर मरीज व उनके परिजन नजर अंदाज करते है. दरअसल, इंदौर में ब्रेन फॉग से जुड़ा एक मामला सामने आया है.
यहां के के महालक्ष्मी नगर में रहने वाले 40 वर्षीय युवक ने सप्ताहभर पहले ही कोरोना को हराया था और लगभग 15 दिन अस्पताल में रहने के बाद जब वह घर लौटा तो अचानक चीजें भूलने लगा. इतना ही नही वह अपने परिजनों पर चिड़चिड़ करने लगा और नींद नहीं आने, भूख न लगने जैसे लक्षण के चलते उसके परिजन भी परेशान हो गए. जब इस मामले को लेकर परिजनों ने डॉक्टर से संपर्क किया तो पता चला यह ब्रेन फॉग से मिले जुले लक्षण हैं.
जानकारी के मुताबिक 50 प्रतिशत पोस्ट कोविड मरीजों में इस बात की संभावना बनी रहती है, बावजूद इसके इस तरह के मामलों को गंभीरता से नहीं लेते हुए लोग डॉक्टरों के पास नही जाते, नतीजा ये होता है कि मरीजो की हालत बिगड़ती जाती है.

वरिष्ठ मनोचिकित्सक डा. उज्जवल सरदेसाई के मुताबिक कोरोना को हरा चुके मरीजों में ब्रेन फॉग के लक्षण, अवसाद से मिलते है. 40 से अधिक से आयु के मरीज इस प्रकार की परेशानी से घिर जाते है जिनका उपचार संभव है. कोरोना को हरा चुके मरीजों की परेशानी होती है कि उन्हें कभी थकान होती है तो कभी किसी काम में मन नहीं लगता है. लिहाजा, डॉक्टर ऐसे मरीजों को दूसरी आवश्यक दवाओं के साथ खून पतला करने की दवा भी दे रहे हैं.
वही डा. सरदेसाई ने बताया कोरोना संक्रमण के दौरान मरीजों में ब्लड क्लॉट्स यानी नसों में खून के थक्के जमना इसका कारण हो सकता है. संक्रमण के बाद व्यक्ति के शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं. इसमें बीमारी से जुड़ी कई नकारात्मक बातें होती हैं जो दिमाग पर असर करती हैं. इस स्थिति को ब्रेन फॉग कहते हैं.

इंदौर के सुपर स्पेशयलिटी अस्पताल के प्रभारी डॉक्टर ए.डी. भटनागर की माने तो कोरोना के मरीज अवसाद में आ जाते हैं और उनकी एकाग्रता भी भंग हो जाती है. भूख नहीं लगना जैसी शिकायते मरीज करते है, इसलिए अस्पताल में मनोचिकित्सक भी मरीजों की मॉनिटरिंग करते हैं. डॉक्टरों के मुताबिक कोरोना को हरा चुके मरीजोें को अगर नींद न आए, लगातार चिड़चिड़ करे, भूख न लगे, कुछ समझ नहीं आए और बोलने में हकलाने लगे तो परिजनों को तत्काल डॉक्टराें की सलाह लेनी चाहिए.

 


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