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अग्रसेन महाविद्यालय में हुआ वेबिनार, कमियों के बावजूद मददगार साबित हो रही ऑनलाइन शिक्षा

 अग्रसेन महाविद्यालय में हुआ वेबिनार, कमियों के बावजूद मददगार साबित हो रही ऑनलाइन शिक्षा
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रायपुर | अग्रसेन महाविद्यालय पुरानी बस्ती रायपुर र्में आज “ऑनलाइन शिक्षा के सकारात्मक एवं नकारात्मक पहलू” विषय पर वेबिनार का आयोजन किया गया. कप्यूटर विभाग  तथा महाविद्यालय के आई.क्यू.ए.सी. प्रकोष्ठ  द्वारा आयोजित इस वेबिनार में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नालाजी (एनआईटी) रायपुर में कम्प्यूटर संकाय की एसोसिएट प्रोफ़ेसर डॉ केसरी वर्मा तथा सेठ फूलचंद अग्रवाल स्मृति महाविद्यालय नवापारा राजिम में कम्प्यूटर संकाय के विभागाध्यक्ष डॉ. देवेन्द्र चाफेकर आमंत्रित वक्ता रहे. इन वक्ताओं ने इस बात पर सहमती जताई कि कुछ कमियों के बावजूद ऑनलाइन शिक्षा  कोरोना संकट के दौर में  मददगार साबित हो रही है|

प्रारंभिक सत्र को संबोधित करते हुए प्रो. केसरी वर्मा ने कहा कि कोरोना ने दुनिया भर में लोगों को घर पर सीमित रहते हुए तकनीक की मदद से ही पढ़ाई करने को विवश कर दिया है. लेकिन इसे एक अवसर के रूप में देखने से हम इस संकट काल का भी सदुपयोग कर सकते हैं. ऑनलाइन शिक्षा के लिए भारत सरकार ने “स्वयं” नाम का पोर्टल शुरू किया है, जिसमें अनेक पाठ्यक्रम को ऑनलाइन विधि से पढने की सुविधा उपलब्ध कराई गई है. इसी तरह विश्व स्तर पर कोर्सेरा सहित अनेक पोर्टल यह सुविधा मुहैया करा रहे हैं| 

प्रो केसरी वर्मा ने ऑनलाइन पढ़ाई के कुछ नकारात्मक पहलुओं की चर्चा करते हुए कहा कि  इसमें शिक्षक प्रत्येक विद्यार्थी पर निजी तौर पर ध्यान नहीं दे पाता. स्कूल भेजने का सिर्फ यही उद्देश्य नहीं होता कि विद्यार्थी केवल कुछ निश्चित विषयों की किताबें पढ़कर घर आ जाये. बल्कि विद्यार्थी का सामाजीकरण इसका सबसे बड़ा उद्देश्य है. क्योंकि वह स्कूल जाकर अनुशासन के साथ साथ सही सम्प्रेषण और उचित व्यवहार करना भी सीखता है. ऑनलाइन शिक्षण में शिक्षक मात्र सुविधा-प्रदाता बनकर रह जाता है, जबकि कक्षा में पढने से शिक्षक प्रत्येक विद्यार्थी पर निगरानी रखता है और उनकी कमियों तथा शंकाओं को तत्काल दूर करने का प्रयास करता है|

वेबिनार में अपने विचार रखते हुए राजिम महाविद्यालय के विभागाध्यक्ष डॉ. देवेन्द्र चाफेकर ने कहा कि भारत में ऑनलाइन शिक्षण यूं तो 1985 से चल रही रही. लेकिन कोरोना के कारण इसे अचानक वैश्विक स्तर पर स्वीकार करना पड़ गया. उन्होंने कहा कि तकनीक से पढ़ाई भले ही कक्षा की पढ़ाई का विकल्प नहीं बन सके. लेकिन फिर भी यह तकनीक इस संकट के दौर में शिक्षण को पूरी तरह बंद होने से बचाने में निश्चित ही मददगार साबित हुई है. क्योंकि इसे विश्व भर में कहीं से भी और कभी भी हासिल किया जा सकता है. डॉ. चाफेकर के कहा कि ऑनलाईन शिक्षा में विद्यार्थी को अकेले घर में रहकर पढना है, तो उसे साधन भी कम खर्च करने पड़ते हैं. किताबें भी ऑनलाइन उपलब्ध होने से शिक्षक और विद्यार्थी के लिए लायब्रेरी का खर्च बच जाता है. उन्होंने इसके नकारात्मक पहलुओं की बात करते हुए कहा कि इससे शारीरिक क्षमता का विकास नहीं हो पाता, क्योंकि विद्यार्थी और शिक्षक अपने कमरे में बैठे रहकर इसे कर लेते हैं. इसमें विद्यार्थी स्कूल के कीमती अनुभव से साथ ही खेलकूद और अन्य शारीरिक गतिविधियों से भी वंचित रह जाता है. इससे आँखों और दिमाग पर भी बुरा असर पड़ता है. वहीँ घर पर अकेले रहकर पढ़ाई करने से अकेलापन और निराशा या अवसाद भी उन्हें घेर सकता है. डॉ. चाफेकर ने कहा कि छत्तीसगढ़ में स्कूल शिक्षा विभाग ने “पढई तुंहर दुआर” पोर्टल बनाकर बहुत अच्छी पहल की है, जिसमें लाखों छात्र ऑनलाइन पढ़ाई के जरिये अपना ज्ञानवर्धन कर रहे हैं|

महाविद्यालय के डायरेक्टर डॉ वी.के. अग्रवाल ने इस वेबिनार को बहुत ही सार्थक बताते हुए कहा कि इस संवाद से जो नए बिंदु उभरकर सामने आये हैं, उनसे तकनीकी क्षेत्र में कार्य करने वालों को निश्चित ही मदद मिलेगी. प्राचार्य डॉ युलेंद्र कुमार राजपूत ने आमंत्रित वक्ताओं के प्रति आभार् व्यक्त करते हुए कहा कि इस कठिन समय में शिक्षण को बंद होने से बचाने में  ऑनलाइन तकनीक बेहद उपयोगी साबित हो रहा है. महाविद्यालय के एडमिनिस्ट्रेटर प्रो. अमित अग्रवाल ने कहा कि कोरोना के कारण आज तकनीक को शिक्षा से जोड़ना समय की मांग बन गया है, साथ ही भविष्य में इसके बेहतर परिणाम भी आ सकते हैं. इस वेबिनार का संचालन कंप्यूटर संकाय के विभागाध्यक्ष प्रो. विकास शर्मा ने किया तथा तकनीकी समन्वय प्रबंध संकाय के प्राध्यापक प्रो. अभिनव अग्रवाल ने किया|

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