बड़ी खबर : माफिया के कब्जे से 11 हजार भूमि खाली नहीं करवा सका प्रशासन
रीवा : रीवा जिले के अलग विकासखण्डों में मौजूद करीब ग्यारह हजार हेक्टेयर चरनोई भूमि को सरहंग निगल गए हैं। राजस्व विभाग के पटवारी-कोटवार की मिली भगत से इन भूमियों में कब्जा कर लिया गया। अब यह भूमि केवल राजस्व विभाग के रिकार्डों में ही रह गयी है। गौरतलब है कि मवेशियों के चारागाह के लिए शासन ने शासकीय भूमि को सुरक्षित कर दिया था। राजस्व विभाग के दस्तावेजों में यह भूमि चरनोई जमीन के नाम से दर्ज भी है। लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। विकासखण्डों की चरनोई भूमि अब केवल दस्तावेजों तक ही रह गयी है। सरहंगों ने इस जमीन पर कब्जा कर लिया है।
बताया जा रहा है कि जिले के अलग-अलग विकासखण्डों में दस हजार 810 हेक्टेयर भूमि चरनोई के नाम से सुरक्षित है। इसका बकायदा रिकार्ड भी राजस्व विभाग के पास है। लेकिन राजस्व विभाग के अधिकारी-कर्मचारी की मिलीभगत से इन भूमियों पर सरहंगों ने अतिक्रमण कर लिया है। कुछ जमीनों में तो भवन निर्माण तक हो गया है, जबकि ज्यादातर भूमि पर क्षेत्र के दबंग खेती कर रहे हैं। राजस्व विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जिले में दस हजार 810 हेक्टेयर भूमि अभी भी चरनोई के नाम से दर्ज है। जिसमें 2415 हेक्टेयर भूमि केवल हुजूर तहसील में दर्ज है। इसके बाद त्यौंथर में 2155 हेक्टेयर भूमि चरनोई के नाम से सुरक्षित है। लेकिन इन दोनों तहसीलों में कुछ भूमि ही बची हुयी है, जबकि शेष में सरहंगों ने अतिक्रमण कर लिया है।
नियमानुसार ग्राम पंचायत में मौजूद चरनोई जमीनों की निगरानी करने की जवाबदारी ग्राम पंचायत की होती है। इस भूमि पर कोई शख्स कब्जा न करे इसकी पूरी व्यवस्था सरपंच सचिव के हाथ में होती है। लेकिन इन्हीं की मिलीभगत से इन भूमियों का उपयोग गांव के दबंग अपने निजी उपयोग में कर रहे हैं। भूमि हीनों को भूमि उपलब्ध कराने के लिए शासन ने चरनोई भूमि का ही उपयोग किया। चरनोई की दो प्रतिशत भूमि को शासन ने सुरक्षित करने का निर्देश जारी किया था। लिहाजा जिले की करीब 309 हेक्टेयर भूमि को सुरक्षित रख दिया गया है। इस भूमि का पट्टा क्षेत्र के भूमि हीनों को दिया जाना है। अधिकतर स्थान पर इन भूमि पर गरीब परिवारों को बसाया भी जा चुका है।