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भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विक्रम उसेंडी ने धान की तस्करी पर एसआईटी गठन के लिए की मांग, साथ ही सरकार के दावों को ‘थोथा चना बाजै घना’ बताया

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विक्रम उसेंडी ने धान की तस्करी पर एसआईटी गठन के लिए की मांग, साथ ही सरकार के दावों को ‘थोथा चना बाजै घना’ बताया
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रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विक्रम उसेंडी ने धान तस्करी रोकने के प्रदेश सरकार के दावों को ‘थोथा चना बाजै घना’ बताया है। श्री उसेंडी ने कहा कि प्रदेश सरकार ने एक ओर किसानों ओर छोटे व्यापारियों पर सख्ती दिखाकर चोर साबित करने का घिनौना खेल खेला और दूसरी तरफ तस्करों और बड़े माफियाओं का धान भ्रष्टाचार के रास्ते प्रदेश में लाकर खपाया जाता रहा। इससे न केवल प्रदेश सरकार की विश्वसनीयता खत्म हो गई है, बल्कि कांग्रेस खुद इस गोरखधंधे में शामिल नजर आ रही है।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष श्री उसेंडी ने कहा कि प्रदेश सरकार धान के मुद्दे पर पूरी तरह बेनकाब हो गई है और अब उसे प्रदेश के किसानों और छोटे लाइसेंसी धान व्यापारियों को चोर साबित कर उनके आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाने के लिए उनसे बिना शर्त माफी मांगनी चाहिए। बाहरी धान पर प्रतिबंध के बावजूद हजारों रुपए का भ्रष्टाचार करके तस्करों के ट्रकों का धान प्रदेश में आने के एक समाचार से हुए खुलासे पर श्री उसेंडी ने कहा कि प्रदेश सरकार को अपने दावों के ढोल की पोल दिखाई दे या न दे, प्रदेश के लाखों किसान व छोटे धान व्यापारी अपने साथ हुई सरकारी ज्यादतियों को हर वक्त याद रखेंगे और मौका मिलते ही प्रदेश की भूपेश सरकार और कांग्रेस को माकूल जवाब देकर हिसाब चुकता करेंगे। श्री उसेंडी ने इस बात पर हैरत जताई कि ओड़िशा, झारखंड, मध्यप्रदेश आदि सीमावर्ती प्रदेशों से धान की तस्करी सरकारी प्रतिबंध के तमाम दावों के बावजूद जारी रही और प्रदेश सरकार सियासी लफ्फाजियों और उसकी नौकरशाही सामंती फरमानों व धमकियों से छोटे लाइसेंसी धान व्यापारियों को सताने में ही लगी रही।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष श्री उसेंडी ने कहा कि धान तस्करी के इस खेल में तस्करों और शासकीय पक्ष के लोगों की मिलीभगत से यह आशंका बलवती होती है कि इस समूचे आपराधिक भ्रष्टाचार को प्रदेश सरकार के संरक्षण और आला अफसरों की जानकारी में अंजाम दिया जाता रहा है। मंडी कर्मचारियों की यह स्वीकारोक्ति भी सरकार व अफसरों को संदेह के दायरे में खड़ा कर रही है कि प्रति ट्रक दो-तीन हजार रुपए की होने वाली उगाही का हिस्सा ‘मुख्यालय’ तक भी जाता है। श्री उसेंडी ने सवालिया लहजे में पूछा कि क्या हजारों रुपए की यह उगाही ‘भूपेश टैक्स’ के तौर पर हो रही है? क्या प्रदेश सरकार अपने इस काले सच का सामना करने का साहस रखती है कि यह मुख्यालय तक राशि किसके पास पहुंच रही है और फिर उस भ्रष्ट कमाई के हिस्सेदार सत्ता के गलियारों में कौन-कौन हैं?
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष श्री उसेंडी ने इस बात पर भी हैरानी जताई कि एक ओर जब सरकार किसानों के खेत-खलिहानों से, छोटे व्यापारियों से धान जब्त कर रही थी, उन दिनों तस्कर बड़े पैमाने पर धान छत्तीसगढ़ में खपा रहे थे! नौकरशाह लिमिट से अधिक किसानों का धान खरीदने पर कार्रवाई और एफआईआर की धमकी दे रहे थे तब उनकी तमाम तथाकथित प्रशासनिक सख्ती के साये में तस्करों का धान प्रदेश के खरीदी केन्द्रों खप रहा था। धान तस्करी के इस खुलासे ने साफ कर दिया है कि प्रदेश सरकार झूठ-फरेब और किसान विरोधी चरित्र के दलदल में आकंठ धंसी हुई है। श्री उसेंडी ने कहा कि सरकार जितना भी धान खरीदी का दावा कर रही है उसमें प्रदेश के किसानों का धान कितना खरीदा गया और कितना तस्करी के माध्यम से आया धान खरीदा गया, इसका आंकड़ा जारी करना चाहिए और इसे जानने के लिए एक एसआईटी का गठन करना चाहिए।
 


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