शिक्षा का अधिकार भर्ती में गड़बड़ी, पैरेंट्स एसोसियेशन जायेगा हाईकोर्ट
राजनांदगांव। शिक्षा का अधिकार कानून की अनुच्छेद 8 (व्याख्या) (1) व (2) के अनुसार जिले में जिला शिक्षा अधिकारी नि:शुल्क शिक्षा उपलब्ध कराने और अनिवार्य दाखिले, उपस्थिति और शिक्षा पूर्ण करने को सुनिश्चित करने के लिए बाध्य है। यदि प्राईवेट स्कूलों के द्वारा गरीब बच्चों को अपने स्कूल में प्रवेश देने से इंकार किया रहा है और या गलत जानकारी देकर गरीब बच्चों प्रवेश देने से इंकार किया जा रहा है और ऐसे स्कूल पर डीईओ द्वारा कार्यवाही नहीं किया जा रहा है तो जिला शिक्षा अधिकारी समग्र रूप से उत्तरदायी है। शिक्षा का अधिकार कानून और उच्चतम न्यायालय का स्पष्ट आदेश है सिर्फ घोषित अल्पसंख्यक स्कूल को छोड़ सभी प्राईवेट स्कूलों को अपने स्कूलों में 25 प्रतिशत सीट्स गरीब बच्चों के लिये आरक्षित करना अनिवार्य है।
छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसियेशन के प्रदेश अध्यक्ष क्रिष्टोफर पॉल का कहना है कि इस मामले को लेकर जल्द हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सभी दोषियों पर जिम्मेदारी तय करने की याचना की जायेगी, क्योंकि पीडि़त पालकों के द्वारा विगत दो वर्षो से लगातार डीईओ राजनांदगांव को लिखित शिकायत किया जा रहा है कि प्राईवेट स्कूलों के द्वारा एंट्री क्लास और आरक्षित सीटों की जानकारी छिपाया जा रहा है, लेकिन अब तक किसी भी दोषियों पर कोई कार्यवाही नहीं किया गया।