रक्षाबंधन पर्व को देखते हुए बाजारों को दोपहर 2 बजे तक खोलने की मांग
रायपुर। सावन माह के अंतिम सोमवार और रक्षाबंधन पर्व में कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन की बंदिशें जारी रहेंगी। इस वर्ष न तो राखियों के लिए बाजार लग पाया और न ही सावन सोमवार में शिवालयों में भक्तों की भीड़ जुट सकी। रक्षाबंधन के लिए राखियों का बाजार तक नहीं लग पाया, ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि इस बार रक्षाबंधन में कई भाईयों की कलाईयां सूनी रह जाएंगी।
कोरोना संक्रमण का खौफ और इसके बढ़ते मरीजों की संख्या ने शासन-प्रशासन सभी को सकते में डाल दिया है। संक्रमण का खतरा इस कदर बढ़ चुका है कि शासन को लॉकडाउन लगाकर लोगों को जबरदस्ती घरों में रहने के लिए बाध्य किया गया है। इसका सबसे ज्यादा असर इस वर्ष के त्योहारों पर पड़ रहा है। रक्षाबंधन जैसे बड़े पर्व में भी बाजार लॉकडाउन के चलते पूरी तरह से बंद हैं। सोमवार 03 अगस्त को रक्षाबंधन का महापर्व मनाया जाएगा।
लेकिन हालात यह है कि रक्षाबंधन के लिए अब तक राखियों का बाजार ही नहीं लग पाया है। लिहाजा बहनें अभी तक राखियां ही नहीं खरीद सकी हैं। रक्षाबंधन पर्व के साथ ही सावन माह का अंतिम सोमवार भी है, लेकिन इसके बाद भी शिवालयों में भक्तों की भीड़ नहीं जुट पाएगी। लॉकडाउन की सख्ती इतनी अधिक है कि एक स्थान पर तीन-चार से ज्यादा लोगों के जमा होने पर पूरी तरह से मनाही है। आमजन भी कोरोना के खतरे को देखते हुए भीड़भाड़ वाले इलाकों में जाने से परहेज कर रहे हैं।
पर्व को देखते हुए बाजार में अब तक केवल राशन व किराना दुकानों को ही सुबह 6 बजे से 10 बजे तक खुलने की अनुमति दी गई थी। लेकिन अब रक्षाबंधन के लिए दुकानें खुलेंगी या नहीं, इस बात को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं। अधिकांश लोगों की मांग है कि रक्षाबंधन पर्व के लिए बाजारों को कम से कम दोपहर 2 बजे तक खुला रखने की अनुमति दी जाए। वहीं शासन-प्रशासन हर कीमत पर संक्रमण का ग्राफ कम करने की कोशिश में लगा हुआ है। बाजारों के बंद रहने, राखियों का बाजार नहीं लग पाने के कारण यह कहना भी गलत नहीं होगा कि इस वर्ष कई भाईयों की कलाईयां सूनी रह जाएंगी। लॉकडाउन के चलते लोगों को कहीं भी आने-जाने की अनुमति नहीं दी जा रही है।