राजधानी के मुगई माता पहाड़ी के भालुओं का अस्तित्व खतरे मे, भालुओं की सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं, जाने पूरी खबर
रायपुर | छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से लगभग 75 किलो मीटर की दूरी पर ग्राम बावनकेरा के पास मुगई माता के मंदिर की पहाड़ी पर रहने वाले जंगली भालुओं का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है। उनकी सुरक्षा का कोई इंतजाम नजर नहीं आ रहा है। श्रद्धालुओं द्वारा बिस्कुट और कोल्ड-ड्रिंक्स खिलाने-पिलाने के कारण भालुओं की सेहत को नुकसान पहुंच सकता है। यह स्थान प्रदेश के महासमुंद जिले में मुम्बई-कोलकाता राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 53 के किनारे स्थित है। राष्ट्रीय न्यूज सर्विस (आरएनएस) के विशेष संवाददाता ने स्वयं मौके पर जाकर स्थिति का जायजा लिया और लोगों से बातचीत की। स्थानीय लोगों ने कहा कि वन विभाग के अधिकारियों को इस पर तुरंत ध्यान देना चाहिये।
लोगों ने यह भी कहा कि मंदिर के रखरखाव के लिए क्षेत्र के नागरिकों की एक समिति भी बनाई गई है। लेकिन परिसर में फैल रहे प्लास्टिक कचरे की साफ सफाई के प्रति समिति द्वारा भी कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। वहां पर एक पहाड़ी के ऊपर और नीचे मुगई माता के दो मंदिर स्थित हैं। पहाड़ी की गुफाओं में पांच भालुओं का परिवार वर्षों से निवास कर रहा है। ये भालू प्रतिदिन शाम को पहाड़ी से उतरकर मंदिर परिसर में आते हैं, जिन्हें वहां आने जाने वाले श्रद्धालु और राहगीर उत्सुकतावश बिस्कुट खिलाते हैं और कोल्ड-ड्रिंक भी पिलाते हैं ,जिनके प्लास्टिक के खाली पैकेट और बोतल आदि वहीं पर लापरवाही से फेंक दिए जाते हैं। इस वजह से वहां प्लास्टिक और पॉलीथीन के बिखरे हुए कचरे के कारण जंगल में प्रदूषण भी फैल रहा है।
स्थानीय लोगों के अनुसार वन विभाग द्वारा वहां पर अपने किसी कर्मचारी को तैनात नहीं किया गया है। विभाग द्वारा किसी प्रकार का चेतावनी सूचक बोर्ड भी नहीं लगाया गया है। वन्य प्राणी विशेषज्ञों के अनुसार भालुओं के लिए ये बाहरी खाद्य पदार्थ और पेय पदार्थ हानिकारक भी हो सकते हैं, क्योकि प्राकृतिक दृष्टि से वे जंगली फल-फूलों के ही आदी हैं। हालांकि सुरक्षा की दृष्टि से लोहे का कांटेदार घेरा भी लगाया गया है जो अधूरा है, जिसे लांघकर भालू कई बार मंदिर परिसर में खुले वातावरण में स्वच्छंद घूमते नजर आते हैं। वहां पर भी लोग उन्हें बिस्कुृृट और कोल्ड-ड्रिंक खिलाते-पिलाते रहते हैं। इनके पॉलीथीन की पन्नियां भी वहां फेंक दी जाती हैं।
लोगों ने कहा कि ये भालू अब तक हिंसक नहीं हुए हैं और किसी पर इन्होंने ने कभी हमला नहीं किया है। फिर भी उन्हें जाली दार घेरे में सुरक्षित रूप से रखे जाने की जरूरत हैं, ताकि भालू स्वयं सुरक्षित रहे और मंदिर में आने वाले श्रद्धालु भी सुरक्षित तरीके से उन्हें देख सके।