छत्तीसगढ़ पर फिर पड़ा Corona का साया,एक ही दिन में इस जिले में मिले इतने कोरोना मरीज,जानिए किस जिले में कितने एक्टिव केस ?    |    CG CORONA UPDATE : छत्तीसगढ़ में कोरोना के मामलों में बढ़त जारी...जानें 24 घंटे में सामने आए कितने नए केस    |    छत्तीसगढ़ में आज कोरोना के 10 नए मरीज मिले, कहां कितने केस मिले, देखें सूची…    |    प्रदेश में थमी कोरोना की रफ्तार, आज इतने नए मामलों की पुष्टिं, प्रदेश में अब 91 एक्टिव केस    |    CG CORONA UPDATE : छत्तीसगढ़ में कोरोना के मामलों में बढ़त जारी...जानें 24 घंटे में सामने आए कितने नए केस    |    BREAKING : प्रदेश में आज 15 नए कोरोना मरीजों पुष्टि, देखें जिलेवार आकड़े    |    प्रदेश में कोरोना का कहर जारी...कल फिर मिले इतने से ज्यादा मरीज, एक्टिव मरीजों का आंकड़ा पहुंचा 100 के पार    |    छत्तीसगढ़ में मिले कोरोना के 14 नए मरीज...इस जिले में सबसे ज्यादा संक्रमित,कुल 111 एक्टिव केस    |    सावधान : छत्तीसगढ़ में फिर बढ़ रहा कोरोना...जानें 24 घंटे में सामने आए कितने नए केस    |    Corona update: प्रदेश में 2 कोरोना मरीजों की मौत...इलाज के दौरान तोड़ा दम    |

बड़ी खबर छत्तीसगढ़: कौंहा के एक पुराने पेड़ से निकल रही है पानी की मोटी धार, लोग कर रहे पूजा और पाठ

 बड़ी खबर छत्तीसगढ़: कौंहा के एक पुराने पेड़ से निकल रही है पानी की मोटी धार, लोग कर रहे पूजा और पाठ
Share

रायपुर। अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष डॉ दिनेश मिश्र ने बताया कवर्धा के नजदीक ग्राम धमकी से कौंहा के एक पुराने पेड़ के तने से पानी निकलने की घटना सामने आई है। जानकारी मिली है कि वहाँ ग्रामीणों की भीड़ जमा हो रही है और इसे चमत्कारिक पानी मानकर न केवल ग्रामीण बोतलों में एकत्र कर रहे हैं। अफवाहों के कारण इसे बीमारियों से ठीक होने के लिए पी रहे हैं, साथ ही उस की पूजा अर्चना भी शुरू हो गर्द है।

डॉ. दिनेश मिश्र ने कहा बरसात और ठंड के मौसम में पेड़ों से इस प्रकार पानी निकलना एक सामान्य सी प्रक्रिया है, यह कोई चमत्कार नहीं है। पेड़ों में जमीन से पानी ऊपर खींचने के लिए एक विशिष्ट उत्तक होता हैं, जिन्हें जाइलम कहते हैं। जाइलम का काम ही अपनी कोशिकाओं के माध्यम से जमीन से पानी खींच कर उस पानी को अपनी नलिकाओं से पूरे पेड़ के विभिन्न अंगों में पहुंचाना है। इसके लिए विशिष्ट रचनाएं होती है जिससे पानी ऊपर चढ़कर पेड़ के सभी भागों अंग तक पहुंचता है, जल की आपूर्ति करता है। बरसात और ठंड के मौसम में जब जमीन में पानी की मात्रा अच्छी व भूजल का दबाव अधिक रहता है। वायुमण्डल में आद्र्रता होती है, तब पेड़ की जड़ों से जो पानी खींचा जाता है वह पेड़ के किसी भी हिस्से से जो कमजोर हो, तने में मौजूद छिद्रों से से पानी के रूप में निकलता है और यह कई बार एक पतली सी धारा से लेकर अधिक मोटे प्रवाह के रूप में भी कई स्थानों से भी निकलते हुए देखा गया है। कभी-कभी यह जल स्वच्छ भी रहता है और कभी-कभी पेड़ के भीतरी अंगों उसमे उपस्थित जीवद्रव्य, कुछ बैक्टेरिया, और मेटाबोलिज्म के कारण उत्पन्न गैसों व अशुद्धियों से रंग में कुछ परिवर्तन हो सकता है. जो मटमैला, तो कभी दूधिया दिखाई पड़ता है। जॉन लिंडले की पुस्तक फ्लोरा इंडिका में इस प्रकार से जल,व दूधिया स्त्राव का वर्णन है। वही डॉ रेड्डी की किताब वानिकी में इस प्रकार के स्त्राव का वर्णन आता है यह तने के वात रन्ध्र से निकलता है और कभी-कभी तने के जख्मी हिस्से से भी स्त्रावित होता है। 

डॉ दिनेश मिश्र ने कहा कई बार जानकारी न होने के कारण ग्रामीण अंचल में इस प्रकार की घटना को चमत्कार समझते हैं और भीड़ जमा होने ,अलग अलग अफवाहें फैलने से ऐसे जल को चमत्कारिक मां कर पीने,पूजा अर्चना करने, बीमारियों के इलाज के लिए पीने भी लगते हैं। जबकि ऐसी घटनाएं सामान्य हैं, जिसे लेकर ग्रामीणों को किसी भी अफवाह में पड़कर अंधविश्वास में नहीं पडऩा चाहिए। ऐसा भी हुआ है और लोगों ने इसे चमत्कारी पानी उपयोग किया और कई बार उन्हें नुकसान भी हुआ। हर प्राकृतिक रचना के कुछ विशिष्ट गुण धर्म होते है जो समय समय पर विभिन्न परिवर्तनो के साथ सामने आते हैं। इन्हें बिना किसी अंधविश्वास में पड़े, एक सामान्य प्राकृतिक घटना के रूप में देखा जाना चाहिए।


Share

Leave a Reply