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बड़ी खबर रायपुर: सेना के जवान के प्लॉट को सरकारी बता रहे अफसर, परेशान जवान ने किया नौकरी छोड़ने का ऐलान

बड़ी खबर रायपुर: सेना के जवान के प्लॉट को सरकारी बता रहे अफसर, परेशान जवान ने किया नौकरी छोड़ने का ऐलान
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छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर शहर के कोटा इलाके में एक निजी जमीन को सरकारी बनाने का खेल सामने आया है। इस गड़बड़ झाले का शिकार सेना के एक जवान को बनाया गया है। दरअसल, यह जमीन भारतीय सेना में पदस्थ जवान एन के वर्मा ने खरीदी थी। साल 2014 के सीमांकन में जमीन को निजी भूमि बताया गया। मगर, अचानक अब इस जमीन को तहसील ऑफिस के अफसर सरकारी बताने पर तुले हुए हैं। मेहनत की कमाई से पाई-पाई जोड़ कर 1 हजार स्क्वायर फीट जमीन खरीदकर जवान ने सपनों का आशियाना बनाने का सोचा था। मगर सरकारी सिस्टम की अव्यवस्था की वजह से जवान का सपना टूटा चुका है।


एन के वर्मा ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो भी जारी किया है। इस वीडियो में जवान ने कहा है कि मैं यहां देश की सीमा की रक्षा के लिए तैनात हूं, मगर अपनी ही जमीन की रक्षा नहीं कर पा रहा। अब मैं रिटायरमेंट लेकर आम आदमी की तरह दफ्तरों के बाहर धरना दूंगा ताकि मुझे मेरा अधिकार मिल सके। आर्मी मेडिकल कोर में नायक एनके वर्मा दिल्ली में पदस्थ हैं। अपने वीडियो संदेश में एन के वर्मा ने दावा किया है कि उन्होंने कई बार इस मसले को लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री, कलेक्टर और तमाम अफसरों को जानकारी दी। वर्मा के कमांडिंग ऑफिसर जो करगिल की लड़ाई में भी शामिल रह चुके हैं उन्होंने भी सरकार से जवान की मदद करने का आग्रह किया।


जवान ने PMO को अपनी समस्या बताई। वहां से भी अफसरों को सहायता करने के लिए निर्देश दिए गए मगर बात नहीं बनी। इससे दुखी होकर वर्मा ने कहा कि जब इस देश में प्रधानमंत्री के खत की ही कोई वैल्यू ना हो तो मुझ जैसे साधारण सेना के जवान कि कोई क्या सुनेगा। अपने वीडियो में वर्मा यह भी कहते दिखाएं दिखाई दे रहे हैं कि लोग जय जवान जय किसान के नारे लगा कर खुद को देशभक्त बताते हैं, लेकिन मुझे ये सुनकर अब चिढ़ होने लगी है। ये सब दिखावे की बातें हैं, असलियत में हम जैसे जवानों के साथ क्या सलूक हो रहा है देखिए।


नेता आकर धमकाते थे परिवार को
जवान एन के वर्मा ने दावा किया है कि कोटा इलाके में जहां उनकी जमीन है वहां इन की गैर हाजिरी में परिवार को आकर कुछ छूट भैये नेताओं ने धमकी भी दी और जमीन छोड़ देने को कहा। जवान की पत्नी रुपाली ने बातचीत में बताया कि घर बनाने के कंस्ट्रक्शन को काम को रोकने के लिए आए दिन लोग उन्हें आकर धमकियां दिया करते थे। कोई खुद को नगर निगम का कर्मचारी बताता था, तो कोई खुद को पुलिसवाला। मकान बनाने के काम में लगे मजदूरों को भी धमकाया जाता था।


प्राइवेट जमीन सरकारी कैसे हो गई ?
एनके वर्मा की पत्नी रुपाली ने बताया कि साल 2012 में इन्होंने कोटा इलाके के रहने वाले गोपी कृष्ण अग्रवाल से यह जमीन खरीदी थी। गोपीकृष्ण के पास 4000 स्क्वायर फीट प्लॉट का एक टुकड़ा था, जिसे अलग-अलग लोगों ने खरीदा। तब जमीन की पुरानी रजिस्ट्री को भी जांचा गया, पटवारी दफ्तर में जाकर रिकॉर्ड चेक किया गया, जमीन निजी भूमि थी। इसी आधार पर साल 2014 में वर्मा परिवार ने जमीन का डायवर्सन भी कराया, जिसमें जमीन निजी भूमि बताई गई थी। यह सर्टिफिकेट खुद पटवारी तहसील ऑफिस से जारी हुआ। इसी के आधार पर पर नगर निगम ने नक्शा भी पास किया और साल 2020 में वर्मा परिवार ने अपनी जमीन पर मकान बनाने का काम शुरू किया।


रुपाली ने बताया कि 4 मई 2020 को तहसील ऑफिस से एक लेटर इनके पास आया। उस लेटर में लिखा था यह जमीन सरकारी है और यहां पर किसी भी तरह का कंस्ट्रक्शन नहीं किया जा सकता है। इतना ही नहीं नगर निगम के जोन दफ्तर के अफसर आकर बोर खनन में लगी मशीन को भी जब्त कर ले गए और सामान भी उठा लिया। रुपाली उनसे मिन्नते करती रही मगर अफसर नियमों का हवाला देकर कार्रवाई करके चले गए। जवान की पत्नी रुपाली ने अब पूछा है कि एक ही दफ्तर से जमीन के 2 दस्तावेज कैसे जारी हो सकते हैं। हमें परेशान करने की बजाय जिन अफसरों की गलती है उन पर कार्रवाई की जानी चाहिए।


गर्भवती महिला भटकती रही दफ्तर-दफ्तर
रुपाली ने बताया कि पति एन के वर्मा सेना में पदस्थ हैं। यहां जमीन के विवाद की वजह से मुझे ही सारा काम देखना पड़ता था। मेरे सास- ससुर बलौदाबाजार में रहते हैं। न मेरे कोई भाई-बहन हैं न मेरे पति के। ऐसे में घर बनाने के काम को मैं ही यहां रुककर देखा करती थी। गर्भावस्था की हालत में मैं दफ्तरों के चक्कर लगाया करती थी। रुपाली अपने तमाम दस्तावेजों को लेकर तहसील ऑफिस कलेक्टर ऑफिस भटकती रही मगर कोई हल नहीं निकला।


SDM बोले- जांच के बाद मदद जरूर करेंगे
रायपुर के SDM प्रणव सिंह ने इस पूरे मामले पर बातचीत की। उन्होंने बताया कि इस प्रकरण की जानकारी लेकर वह जांच जरूर करवाएंगे। नियमत: जो भी संभव मदद होगा, वह सैनिक के परिवार के लिए जरूर किया जाएगा। सेना से जुड़े व्यक्ति परेशान ना हो इसका हम ध्यान रखते हैं। कहां चूक हुई इसकी जांच जरूर करेंगे। एक ही जमीन के दो दस्तावेज जारी हुए एक में भूमि प्राइवेट है दूसरे में सरकारी, ये कैसे हुआ SDM ने इस पर नए सिरे से जांच करवाने को कहा है।



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