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डॉ. रमन पर टिप्पणी सत्तावादी अहंकार की पराकाष्ठा, नितांत असंसदीय और संवैधानिक मर्यादा के सर्वथा प्रतिकूल, बघेल नि:शर्त क्षमायाचना करें: भाजपा

डॉ. रमन पर टिप्पणी सत्तावादी अहंकार की पराकाष्ठा, नितांत असंसदीय और संवैधानिक मर्यादा के सर्वथा प्रतिकूल, बघेल नि:शर्त क्षमायाचना करें: भाजपा
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रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा बस्तर प्रवास से लौटने के बाद पत्रकारों से चर्चा के दौरान धान ख़रीदी को लेकर भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह पर की गई टिप्पणी को उनके सत्तावादी अहंकार की पराकाष्ठा, नितांत असंसदीय और संवैधानिक मर्यादा के सर्वथा प्रतिकूल बताकर नि:शर्त क्षमायाचना करने की मांग की है। श्री साय ने कहा कि मुख्यमंत्री बघेल अपने दिमाग़ में यह बात अच्छी तरह बिठा लें कि भाजपा आज सत्ता में भले न हो, लेकिन लोगों के दिलों में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. सिंह आज भी राज करते हैं और मुख्यमंत्री बघेल यह भी न भूलें कि कुछ महीनों पहले हुए एक सर्वेक्षण में डॉ. सिंह की लोकप्रियता के ग्राफ़ के सामने मुख्यमंत्री बघेल ने ख़ुद को बेहद बौना पाया था।

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष श्री साय ने सवाल किया कि मुख्यमंत्री बघेल को किस बात की खीझ सता रही है, जो वे इस तरह की गरिमाहीन, असंसदीय टिप्पणियाँ करके दिन-रात खंभा नोचते नज़र आ रहे हैं? हर मोर्चे पर विफलता प्रदेश सरकार के अपने कर्मों का नतीजा है तो फिर मुख्यमंत्री बघेल अपने से वरिष्ठ विपक्षी राजनेता और पूर्व मुख्यमंत्री के लिए ऐसी निम्नस्तरीय भाषा का इस्तेमाल करके क्या अपने दिमाग़ी दीवालिएपन का परिचय नहीं दे रहे हैं? यह भाषा हर तरफ़ से मात खाने वाले एक अहंकारी मुख्यमंत्री के मानसिक असंतुलन के तुरंत इलाज की ज़रूरत को रेखांकित कर रही है। श्री साय ने कहा कि पिछले दो साल के अपने शासनकाल में मुख्यमंत्री बघेल किसानों के साथ केवल धोखाधड़ी, छलावा और लफ़्फ़ाजी ही करते रहे हैं और धान ख़रीदी के बारे में उनकी विफलताओं पर जब सवाल उठता है तो वे खंभा नोचते केंद्र सरकार और प्रदेश के भाजपा नेताओं के ख़िलाफ़ रूदाली-रोदन करने लगते हैं। श्री साय ने कहा कि कांग्रेस की इस प्रदेश सरकार के झूठ का रायता अब सड़ांध मारने लगा है और मुख्यमंत्री बघेल को अपने राजनीतिक चरित्र का खोखलापन इतना विचलित कर रहा है कि न तो उनका अपनी सरकार, न प्रशासन और न ही अपनी शिष्ट राजनीतिक समझ पर भरोसा रह गया है।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष श्री साय ने कहा कि प्रदेश में बारदाना संकट प्रदेश सरकार के नाकारापन का प्रमाण है जिसका ठीकरा वे हर बार केंद्र सरकार पर फोड़कर अपने दिमाग़ी फ़ितूर का परिचय देते रहते हैं। जब देश के पंजाब जैसे राज्य में छत्तीसगढ़ से लगभग चार गुना ज़्यादा धान वहाँ की सरकार ख़रीदने के लिए बारदानों की व्यवस्था कर लेती है तो फिर छत्तीसगढ़ के लिए बारदानों का इंतज़ाम करने से मुख्यमंत्री बघेल को रोका किसने था? धान ख़रीदी के लिए बारदाने का इंतज़ाम करना राज्य सरकार की ज़िम्मेदारी होती है और मुख्यमंत्री बघेल बताएँ कि पिछले 10 वर्षों में केंद्र सरकार ने धान ख़रीदी के लिए राज्य सरकार कब और कितने बारदाने मुहैया कराए? श्री साय ने कहा कि झूठ का रायता फैला रही प्रदेश सरकार धान ख़रीदी के पुख़्ता इंतज़ाम करने के बजाय पूरा वक़्त केवल सियासी नौटंकियों और प्रलाप में जाया किया और किसानों का धान ख़रीदने से बचने के षड्यंत्रों के अपने ही बनाए मकड़जाल में उलझकर यह सरकार अब छटपटा रही है। प्रदेश की धान ख़रीदी की पूरी व्यवस्था चौपट करके भाजपा से केंद्र सरकार को पत्र लिखने को कहना मुख्यमंत्री की राजनीतिक समझ पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न खड़ा करने को पर्याप्त है। ये चिठ्ठीबाजी की कपटभरी सियासत मुख्यमंत्री बघेल को ही मुबारक़ हो, भाजपा तो ज़मीनी स्तर पर ठोस और सकारात्मक काम करके हर प्रदेशवासी के कल्याण और सुख के लिए प्रतिबद्ध होकर काम करती है और 15 वर्षों का भाजपा शासन इस बात का प्रमाण है।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष श्री साय ने पिछले वर्ष का लगभग पाँच लाख मीटरिक टन धान संग्रहण केंद्रों में सड़ने के लिए कोरोना काल और लॉकडाउन को वज़ह बताने के मुख्यमंत्री के तर्क को निरा बचकाना बताया और कहा कि लॉकडाउन को लेकर केंद्र सरकार के ख़िलाफ़ प्रलाप करते मुख्यमंत्री को अपनी शर्मनाक लापरवाहियों पर ज़रा भी शर्म महसूस नहीं होती जिनके तुग़लक़ी फैसलों ने छत्तीसगढ़ को कोरोना के गर्त में धकेलकर रख दिया। धान का उठाव कराने और कस्टम मिलिंग कराकर संग्रहण केंद्रों को नई ख़रीदी के लिए सुव्यवस्थित करने में मुख्यमंत्री लॉकडाउन का तर्क दे रहे हैं तो क्या शराब की कोचियागिरी और दलाली करती प्रदेश सरकार को तब लॉकडाउन और कोरोना की याद नहीं थी? मुख्यमंत्री के अपने ज़िले से लेकर प्रदेश के अमूमन सभी ज़िलों में तब शराब का गोरखधंधा और तस्करी का कारोबार प्रशासन और सरकार के राजनीतिक संरक्षण में फलता-फूलता रहा, तब लॉकडाउन और कोरोना का भय सरकार को नहीं था, लेकिन किसानों के धान को सड़ाकर राष्ट्रीय संपदा की क्षति का अपराध बोध सरकार को नहीं हो रहा है। श्री साय ने कहा कि सरकार लॉकडाउन हटने के बाद पिछले आठ महीनों में इस धान का उठाव कराके उसे सड़ने बचा सकती थी।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष श्री साय ने कहा कि चावल जमा करने के कोटे में कटौती को लेकर मिथ्या प्रलाप कर रही कांग्रेस सरकार को तो यह पहले से ही मालूम था कि केंद्र सरकारों द्वारा शुरू से चावल जमा करने की नीति तय है। इसके लिए पहले जाकर प्रधानमंत्री और खाद्य मंत्री से मिलकर चर्चा के माध्यम से कोई समाधान निकालने का प्रयास करना प्रदेश सरकार का दायित्व था। डॉ. सिंह ने तंज कसा कि सिर्फ़ चिठ्ठी लिखने से और यहाँ बैठे-बैठे पेपरबाजी करने से केंद्र सरकार के नीतिगत फैसलों में बदलाव नहीं कराया जा सकता। प्रदेश सरकार पीडीएस के लिए ही यदि 22 लाख मीटरिक टन चावल का भंडारण कर ले तो समस्या हल हो सकती है। इसमें लगभग 35 लाख मीटरिक टन धान खप सकता है। 24 लाख मीटरिक टन चावल जमा करने अनुमति मिली है। धान संग्रहण केंद्रों में धान सड़ने के लिए भी प्रदेश सरकार की कुनीतियाँ ही ज़िम्मेदार हैं क्योंकि प्रदेश सरकार ने कस्टम मिलिंग की अनुमति नहीं दी और पैसों की बंदरबाँट में उलझी रही। कस्टम मिलिंग की अनुमति देकर प्रदेश सरकार को पिछले वर्ष का धान सड़ने से बचाना था। श्री साय ने कहा कि पिछले वर्ष का 24 लाख मीटरिक टन चावल प्रदेश सरकार एफसीआई में जमा नहीं कर पाई है। यह प्रदेश सरकार की विफलता है कि अब प्रदेश सरकार यह कह रही है कि मिलिंग नहीं करा पाए, पिछले साल का चावल एफसीआई में जमा नहीं करा पाई। प्रदेश सरकार को इस बारे में स्पष्टीकरण देना चाहिए।
 


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