छत्तीसगढ़ के इस गांव में आज मनाई जा रही है दीवाली, कल है गोवर्धन पूजा
कुरुद। अनोखी मान्यता के लिए विख्यात जिले के अंतिम छोर में बसे गांव सेमरा-सी में 22 अक्टूबर को ही दीपावली मनाई जाएगी। ग्राम देवता का आशीर्वाद गांव पर बना रहे इसके लिए यहां के लोग 4 प्रमुख त्योहार होली, दिवाली, हरेली और पोला हफ्तेभर पहले मनाते हैं।
कुरुद ब्लाक के सेमरा-सी गांव में मंगलवार को लक्ष्मी पूजन किया जाएगा, 23 अक्टूबर को गोवर्धन पूजा कर गौरा-गौरी की बारात निकाली जाएगी। जबकि देशभर में लोग दिवाली 27 और 28 अक्टूबर को गोवर्धन पूजा होगी। किंवदंती अनुसार इस गांव में सैकड़ों वर्ष पहले कोई बुजुर्ग आया और यहीं बस गया। उनका नाम सिरदार था। गांव वालों को उनमें आस्था थी व उन्हें ग्राम देवता के रूप में मानकर पूजा की गई। सेमरा-सी के बुजुर्गों का कहना है कि वे पूर्वजों की परंपरा का निर्वहन कर रहे हैं। एक हफ्ते पहले 4 प्रमुख त्योहार मनाने के बावजूद यहां लोगों का उत्साह कम नहीं रहता। 13 सौ की आबादी वाले इस गांव में अब तक किसी ने पीढ़ी-दर-पीढ़ी चली आ रही इस मान्यता से मुंह नहीं मोड़ा है। तब से यही सिलसिला चल रहा है।
शुरुआत कब से, इससे सब अनजान :
इस मान्यता की शुरुआत कब हुई, ये स्पष्ट बताने वाला गांव में कोई नहीं है। सरपंच सुधीर बल्लाल (55 वर्ष) का कहना है कि सैकड़ों साल पहले ग्राम देवता सिरदार देव किसी के स्वप्न में आए थे, उन्होंने गांव की खुशहाली के लिए ऐसा करने कहा था, तब से हर साल दिवाली, होली, पोला और हरेली तय तारीख से एक सप्ताह पूर्व मनाते हैं। गजेंद्र सिन्हा (52) ने बताया कि सैकड़ों साल पहले गांव में बाहर से एक बुजुर्ग आकर रहने लगे थे, जिनका नाम सिरदार था। उनकी चमत्कारिक शक्तियों और बातों से गांव के लोगों की परेशानियां दूर होती थीं। इससे उनके प्रति आस्था व विश्वास बढ़ने लगा, पूर्वज उन्हें पूजने लगे थे। गांव में सिरदार देव का मंदिर भी है।
अन्य जिले व इन गांव के लोग पहुंचेंगे आज यहां
ग्रामीण रूपेन्द्र देवांगन, ने कहा कि सेमरा से 15 किलोमीटर के दायरे में आने वाले बालोद जिले के अरकार, बोहारा, हसदा, भिरई, पलारी, डोटोपार, सनौद, पड़कीभाट, कोसागोंदी के साथ साथ पड़ोसी ग्राम जोरातराई, खपरी, सिलौटी से भी बड़ी संख्या में लोग यहां त्योहार मनाने को पहुंचेंगे।
परंपरा पुरानी, निभाएंगे हमेशा, मानते हैं ईष्टदेव
गांव के उमेश देवांगन, कामता निषाद ने कहा सिरदार को ईष्टदेव मानते हैं। रोज पूजा-अर्चना होती है। व्यक्तिगत भी कुछ काम करना हो तो श्रीफल भेंट करते हैं। प्रदेश के कोने-कोने से लोग यहां मनोकामना लेकर पहुंचते हैं। परपंरा पुरानी है, जिसे हमेशा निभाएंगे।
कोई अनहोनी घटना न हो इसलिए निभा रहे परंपरा
ग्रामीण अध्यक्ष घनश्याम देवांगन के अनुसार किसी समय गांव प्रमुखों ने परंपरा से हटकर नियत तिथि में जैसे देशभर में त्योहार मनाते हैं, उसी दिन गांव में भी त्योहार मनाया था तो कई विपत्तियां आई थीं। गांव में आग लगने, तबाही, अनहोनी घटना होने लगी थी। इसलिए अब ग्रामीण ईष्टदेव को नाराज न करने की बातें कहते हुए पहले से चार त्योहार मना लेते हैं। इस बार भी ऐसा ही कर रहे हैं।