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डीकेएस घोटाले की जांच अब ईओडब्ल्यू को, 50 करोड़ के घोटाले की आशंका

डीकेएस घोटाले की जांच अब ईओडब्ल्यू को, 50 करोड़ के घोटाले की आशंका
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रायपुर। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित डीकेएस अस्पताल घोटाले की जांच अब ईओडब्ल्यू करेगी। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित हुई जांच समिति ने डीकेएस घोटाले की रिपोर्ट में बड़ी अनियमितताएं गिनाईं हैं। इसके बाद विभाग ने मामले की विस्तृत जांच के लिए प्रकरण ईओडब्ल्यू को सौंप दिया है। जांच रिपोर्ट में 50 करोड़ से अधिक के घोटाले की आशंका जताई गई है। स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, परियोजना होने के बावजूद विभाग ने इसका वित्तीय तथा अन्य कार्यों का किसी भी स्तर पर परीक्षण नहीं किया।

प्रक्रियाधीन कार्यों की समीक्षा भी नहीं की गई। नस्ती में संलग्न डीपीआर कब बनाया गया, यह जांच के बाद भी स्पष्ट नहीं हो सका। जांच रिपोर्ट में बताया गया है कि डीपीआर में राशि 104 करोड़ स्र्पये का उल्लेख है और लोन की राशि भी 64 करोड़ है। यह 50 करोड़ रुपए से अधिक है, इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग द्वारा मुख्य सचिव के अध्यक्षता में गठित कमेटी के समक्ष अनुमोदन प्रस्तुत नहीं किया गया।

जांच रिपोर्ट के अनुसार, परियोजना की प्रांरभिक परिकल्पना सितंबर 2013 के मंत्रिपरिषद में विषय/प्रस्ताव रखने से पूर्व तैयार किया गया। इसे मंत्रिपरिषद की बैठक में सैद्धांतिक सहमति दी गई। इसमें सार्वजनिक निजी साझेदारी के आधार पर प्रदाय की जाने वाली सुविधाओं का मॉडल निर्धारित कर विभाग द्वारा मंत्रिपरिषद को अवगत कराने के निर्देश दिए गए थे। लेकिन अधिकारियों ने इस आदेश का पालन नहीं किया।

जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके लिए तत्कालीन विभागीय अधिकारी जिम्मेदार हैं। परियोजना का मुख्य उद्देश्य सुपर स्पेशलिटी अस्पताल बनाने के साथ-साथ पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट एवं रिसर्च सेंटर बनाने का भी था।

लेकिन इसके लिए विभाग द्वारा कोई ठोस कार्रवाई नहीं की और खाली, क्रय और सिविल कार्य पर ध्यान दिया गया। सीजएमएससी द्वारा बजट की उपलब्धता से अधिक के सामग्री की आपूर्ति की गई। यही नहीं, सामग्री का भी उचित मिलान किए बिना तथा नियमानुसार कटौती किए बिना करोड़ों स्र्पये का भुगतान किया गया।

 

  


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