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शासकीय कला एवं वाणिज्य कन्या महाविद्यालय देवेंद्र नगर में रासेयो इकाई के द्वारा मनाया गया नशा मुक्ति दिवस

शासकीय कला एवं वाणिज्य कन्या महाविद्यालय देवेंद्र नगर में रासेयो इकाई के द्वारा मनाया गया नशा मुक्ति दिवस
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रायपुर, शासकीय कला एवं वाणिज्य कन्या महाविद्यालय देवेंद्र नगर में गुरु घासीदास जयंती के अवसर पर महाविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के द्वारा नशा मुक्ति दिवस मनाया गया।महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ अमिताभ बैनर्जी के निर्देशन मनोविज्ञान की विभागाध्यक्ष डॉ उषा किरण अग्रवाल की प्रेरणा से राष्ट्रीय सेवा योजना प्रभारी डॉ मनीषा गर्ग ने कार्यक्रम का आयोजन किया। कार्यक्रम की प्रथम वक्ता डॉ उषा किरण अग्रवाल ने मद्यपान के मनोवैज्ञानिक पक्ष को समझाया। मद्यपान की अवस्था को समझाते हुए बताया कि इससे वैचारिक प्रक्रिया , तार्किक प्रक्रिया विखंडित हो जाती है। ऐसा व्यक्ति हमेशा शराब के बारे में ही सोचता है और उसमें यह आदत निर्माण हो जाता है। मद्यपान के कारणों में प्रमुख रूप से अनुवांशिकता, तनाव प्रबंधन में कमी, संयुक्त पारिवारिक व्यवस्था का कम होना, युवा पीढ़ी में पहचान संकट का होना, सहन करने की शक्ति का कम होना, साथियों का दबाव, बाल्यावस्था की आघात जन् य अनुभव, आत्म गौरव की कमी, आवेग, चिंता भय आदि भी मद्यपान की ओर ले जाते हैं। उन्होंने मद्यपान की समस्या के निवारण हेतु दृढ़ता, स्पष्ट वादीता, स्वस्थ पारिवारिक संरचना तथा नैतिकता को बढ़ावा दिए जाने पर जोर दिया । माता पिता बच्चों को समय दे, प्यार दे ,तथा प्रोत्साहित करें। कार्यक्रम की द्वितीय प्रमुख वक्ता शासकीय वी वाय TSऑटोनॉमस कॉलेज दुर्ग की समाजशास्त्र की प्राध्यापक डॉ सूचित्रा शर्मा थी। उन्होंने मद्यपान के समाजशास्त्रीय पक्ष को समझाया। बताया कि परिवार ही वह इकाई है जो व्यक्ति को बनाती या बिगाड़ती है। मद्यपान के कारण मुख्य रूप से परिवार, सहपाठियों , सहकर्मी का दबाव आदि है। ग्रामीण परिवेश में किसान चौपाल में संगत के कारण इस आदत को अपना लेते हैं। नगरी य परिवेश में व्यक्तिगत और सामाजिक दोनों कारण हो सकते हैं। व्यक्तिगत में बाल्यावस्था में हुआ दोहरा व्यवहार, स्नेह की कमी, चिंता भय आदि कारण हो सकते हैं । इस प्रकार भग्न परिवार, पारिवारिक संबंधों का अच्छा न होना, गलत सामाजिकरण , बेरोजगारी, पारिवारिक दुर्व्यवहार असुरक्षा, गरीबी, अस्वस्थता आदि के कारण मनोवृति दूषित हो रही है। मद्यपान की समस्या बढ़ रही है। इसके उपाय उन्होंने बताया स्वयं को पहचाने अपने अस्तित्व को पहचाने स्वयं को महत्व दें, स्वयं का अवलोकन विश्लेषण करें। मनोचिकित्सा, शारीरिक और मानसिक डिटॉक्सिफिकेशन करे। ऐसे लोगों के प्रति सहानुभूति पूर्ण व्यवहार रखें प्रेम रखें तथा उन्हें समझाएं उन्होंने युवा पीढ़ी को संदेश देते हुए कहा काम का, लक्ष्यों का नशा करे अच्छा संसर्ग करें। स्वयं की अपेक्षाओं को समझें। इसके निराकरण के लिए व्यक्तिगत, पारिवारिक ,सामाजिक तथा संगठन के तौर पर कार्य किया जा सकता है। इस कार्यक्रम में आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ प्रभारी डॉ कविता शर्मा, डॉ रंजना तिवारी, डॉ शीला दुबे, डॉ मीना पाठक तथा छात्राओं सहित सभी प्राध्यापक उपस्थित रहे। 


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