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कोरोना काल में शारीरिक और भावनात्मक मजबूती बनाए रखना जरुरी: डॉ अग्रवाल

 कोरोना काल में शारीरिक और भावनात्मक मजबूती बनाए रखना जरुरी: डॉ अग्रवाल
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रायपुर। अग्रसेन महाविद्यालय में आज “कोरोना काल में युवाओं की मानसिक स्थिति: चुनौतियां और समाधान- विषय पर वेबिनार का आयोजन किया गया। इसमें मुख्य वक्ता के रूप में कोविड के नोडल आधिकारी डॉ  विकास अग्रवाल ने अपने विचार साझा किये। उन्होंने कहा कि किसी भी तरह की समस्या का हल, शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूपसे मजबूत होकर ही किया जा सकता है।        

डॉ अग्रवाल ने कहा कि कोविड के कारण युवाओं का जीवन सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है क्योंकि बहुत से युवाओं की नौकरी चली गई है. हास्टल में रहने वाले, परीक्षा की तैयारी करने वाले या निजी क्षेत्र में काम करने वाले युवाओं में तनाव, दबाव, आने वाली अज्ञात स्थिति की चिंता, कोविड के कारण क्वारनटीन होने पर जीवन के ख़त्म हो जाने का डर, अकेलापन और अनिश्चितता जैसी समस्याएँ लगातार देखने को मिल रही हैं. डॉ अग्रवाल ने कहा कि इन स्थितियों के कारण हमारा शरीर भी प्रभावित होने लगता है. बहुत से कारोबार बंद हो गये. इन सबका असर यह हुआ कि लोगों में चिडचिडापन, उदासी, उलझन, निराशा, बुरे ख्याल आने जैसे भावनात्मक प्रभाव भी देखने को मिल रहे हैं. इन समस्याओं के समाधान के लिए हमें मानसिक रूप से मजबूत होना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि हमें आपस में बातचीत करते रहना होगा. इस समय में मीडिया में भी बीमारी और मौत की नकारात्मक ख़बरें लगा सकते, क्योंकि ये भी जरुरी हैं. लेकिन हमें इन खबरों के बुरे प्रभाव से खुद को बचाना जरुरी है. इसके अलावा व्यायाम करना और सामान्य नींद लेना भी जरुरी है. डॉ अग्रवाल ने सुझाव देते हुए कहा कि यदि किसी व्यक्ति को कोविड हो जाये, तो उसे अपनी रूचि के काम करना चाहिए. इन उपायों से हम चिंता और तनाव को काफी हद तक दूर कर सकते हैं। इससे पहले कार्यक्रम के आरंभ में पत्रकारिता संकाय के विभागाध्यक्ष विभाष कुमार झा ने दोविकास अग्रवाल का परिचय देते हुए विषय की संक्षिप्त भूमिका प्रस्तुत की।

वेबिनार के समापन अवसर पर महाविद्यालय के डायरेक्टर डॉ वी के अग्रवाल तथा एडमिनिस्ट्रेटर अमित अग्रवाल ने आमंत्रित वक्ता के विचारों को सारगर्भित बताया.  महाविद्यालय के प्राचार्य  डॉ युलेन्द्र कुमार राजपूत ने कहा कि कोरोना के कठिन दौर में युवाओं की गतिविधियाँ सिमट जाने के कारण उनमें तनाव और असुरक्षा की भावना बढ़ गई है. इसे आपसी बातचीत से ही ठीक किया जा सकता है. इस वेबिनार में पत्रकारिता सहित विभिन्न संकायों के छात्रों और प्राध्यापकों ने अपनी सहभागिता सुनिश्चित की. पत्रकारिता के प्राध्यापक  राहुल तिवारी ने अंत में आभार प्रदर्शन किया।

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