शासकीय कला एवं वाणिज्य कन्या महाविद्यालय देवेंद्र नगर में सुंदरकांड के द्वारा जीवन प्रबंधन नैतिक मूल्य विषय पर हुआ व्याख्यान
रायपुर शासकीय कला एवं वाणिज्य कन्या महाविद्यालय देवेंद्र नगर में आइक्यूएसी के द्वारा आयोजित व्याख्यान की श्रृंखला में हिंदी विभाग के द्वारा हिंदी की विभागाध्यक्ष डॉ रंजना तिवारी के द्वारा सुंदरकांड के द्वारा जीवन प्रबंधन नैतिक मूल्य तथा साहित्यिक सौंदर्य चर्चा विषय पर व्याख्यान दिया गया। मनोविज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ उषा किरण अग्रवाल इस कार्यक्रम की प्रमुख प्रेरणा स्रोत थी। कार्यक्रम का प्रारंभ भौतिकी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ रवि शर्मा के द्वारा सुंदरकांड का महत्व एवं चर्चा बताते हुए विषय परिचयके साथ डॉ रंजना तिवारी को आमंत्रित किया। डॉ रंजना तिवारी ने सुंदरकांड जीवन प्रबंधन के साथ जोड़ते हुए यह बताया कि सुंदरकांड की चौपाइयां हमारे जीवन से संबंधित है जैसे जब हनुमान जी ने सीता जी की खोज प्रारंभ की तो व्यवधान आने पर भी उन्होंने कार्य अधूरा नहीं छोड़ा उसी प्रकार हमें भी अपने जीवन में संकट आने पर कार्य अधूरा नहीं छोड़ना चाहिए कार्य करते समय विनम्रता भी रखनी चाहिए कठिनाई आने पर परीक्षा के लिए भी सहर्ष तैयार होना चाहिए जैसा हनुमान जी ने समुद्र पार करते समय दी हमेशा अपनी लड़ाई बुद्धिमत्ता पूर्वक लगनी चाहिए नीति तय करें फिर कार्य आगे बढ़ाएं। कठिन से कठिन कार्य भी कड़ी मेहनत और लगन से प्राप्त किया जा सकता है। हमारे जीवन में भी कुछ ऐसे लोग आते हैं जहां हमें अपने बल प्रदर्शन अपना बल प्रदर्शन करना चाहिए। शत्रु खेमे में हो तब भी उस व्यक्ति की पहचान करें जो आपकी मदद कर सकते हैं उसे जानकारी लेने के बाद अपने कार्य की योजना बनानी चाहिए जीवन प्रबंधन के साथ-साथ उन्होंने सुंदरकांड के दोहे में साहित्य सौंदर्य की भी चर्चा की सुंदरकांड में लिखित तुलसी बाबा के द्वारा लिखी गई नीति वाक्यों की भी चर्चा की।जीवन प्रबंधन तथा सुंदरकांड की चर्चा करते हुए उन्होंने यह भी बताया कि अपना ऊंची अपनी उद्देश्य पूर्ति के समय विनम्रता भी रखनी चाहिए तथा नीति पूर्वक ही कार्य करना चाहिए हमेशा कार्य करने का प्रमाण रखना चाहिए। यह भी बताया कि रावण के समान बॉस नहीं बनना चाहिए बॉस ऐसा हो जो सब को बोलने की आजादी दे ताकि उसे अपनी गलती का पता चल सके। तथा यह भी चर्चा की कि परिवार में एकजुटता होनी चाहिए इसी प्रकार सुंदरकांड के अंतिम दोहे छात्राओं के गायन के साथ समापन किया और यह बताया कि सुंदरकांड एक ऐसा ग्रंथ है जो साथ आने पर आपको सही रास्ता दिखा सकता है अवसाद आने पर भी आप पढ़े तो आपको सही रास्ता अवश्य मिलेगा।
किसी भी संस्थान की कार्यपद्धती नीतियों पर टिकी होती है समाज एवं जीवन के लिए वही उपयोगी रह सकती है डॉ तिवारी ने सुंदरकांड में दिए गए राम एवं रावण के उदाहरण से नेतृत्व के विषय में भी व्याख्या की राम राज्य में नीति बल एवं निष्ठा प्रत्येक कर्मचारी का आदर प्रोत्साहन उनकी विजय का कारण बना दूसरी तरफ रावण राज्य का अहंकार और तानाशाही रावण के विनाश का कारण बनी। भौतिकी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ रवि शर्मा के धन्यवाद ज्ञापन एवं सुंदरकांड पर आधारित प्रश्नोत्तरी तथा पुरस्कार वितरण के द्वारा यह कार्यक्रम संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम में प्रमुख रुप से डॉ प्रीति पांडे डॉ मीना पाठक डॉक्टर देशपांडे डॉ कल्पना झा डॉ सुषमा तिवारी डॉ शैलबाला जैस डॉ मनीषा गर्ग डा सिरिल डैनियल आदि प्राध्यापक उपस्थित थे