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क्रिप्टोकरंसी पर प्रतिबंध लगाकर डिजिटल करंसी शुरू करने की तैयारी में मोदी सरकार, जानें दोनों में क्या है अंतर

क्रिप्टोकरंसी पर प्रतिबंध लगाकर डिजिटल करंसी शुरू करने की तैयारी में मोदी सरकार, जानें दोनों में क्या है अंतर
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केंद्र की मोदी सरकार निजी क्रिप्टोकरंसी पर प्रतिबंध लगाकर डिजिटल करंसी शुरू करने की तैयारी में है। संसद के शीतकालीन सत्र में क्रिप्टोकरंसी पर प्रतिबंध लगाने के लिए विधेयक लाया जाएगा। इसके बाद भारतीय रिजर्व बैंक देश में जल्द ही डिजिटल करंसी पेश करेगा। ऐसे में अगर आप डिजिटल और क्रिप्टोकरंसी में फर्क को लेकर ऊहापोह में हैं तो हम आपके मन में उठ रहे सभी सवालों के जवाब दे रहे हैं। आइए जानते हैं कि डिजिट करंसी क्रिप्टोकरेंसी से कितना अलग है।
केंद्रीय बैंक जारी करता है डिजिटल करंसी
डिजिटल करंसी को देश का केंद्रीय बैंक जारी करता है। यह उस देश की केंद्रीय बैंक की बैलेंसशीट में भी शामिल होती है। इसकी खासियत यह है कि इसे देश की सॉवरेन करेंसी में बदला जा सकता है। भारत के मामले में आप इसे डिजिटल रुपया कह सकते हैं। डिजिटल करेंसी दो तरह की होती है-रिटेल और होलसेल। रिटेल डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल आम लोग और कंपनियां करती हैं। होलसेल डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल वित्तीय संस्थाओं द्वारा किया जाता है।
उतार-चढ़ाव और जोखिम नहीं
डिजिटल करेंसी को उस देश की सरकार की मान्यता हासिल होती है, जिस देश का केंद्रीय बैंक इसे जारी करता है। इसलिए इसमें जोखिम नहीं होता है। इससे जारी करने वाले देश में खरीदारी के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। वहीं, क्रिप्टोकरंसी में भारी उतार-चढ़ाव होता है क्योंकि यह किसी नियाकम के अंदर में नहीं है।
डिजिटल और क्रिप्टोकरंसी में प्रमुख अंतर
• -डिजिटल करंसी को केंद्रीय बैंक जारी करता है। क्रिप्टोकरंसी माइनिंग के जरिए तैयार की जाती है।
• -डिजिटल करंसी को केंद्रीय बैंक और उस देश की सरकार से मान्यता प्राप्त होती है। क्रिप्टोकरंसी के पास केंद्रीय बैंक या सरकार की मान्यता नहीं होती है।
• -डिजिटल करंसी की वैल्यू स्थिर रहती है। क्रिप्टोकरंसी की वैल्यू में बहुत उतार-चढ़ाव होता है।
• -डिजिटल करंसी को संबंधित देश की मुद्रा में बदला जा सकता है। क्रिप्टोकरंसी में ऐसा नहीं हो पाता है।

क्रिप्टोकरेंसी बाजार में बनी रहेगी: पेटीएम संस्थापक
वित्तीय प्रौद्योगिकी कंपनी पेटीएम के संस्थापक विजय शेखर शर्मा ने बृहस्पतिवार को कहा कि क्रिप्टोकरेंसी को लेकर जताई जा रही तमाम आपत्तियों के बावजूद यह आभासी मुद्रा बनी रहने वाली है। शर्मा ने उद्योग मंडल इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स (आईसीसी)के एक कार्यक्रम को 'ऑनलाइन' संबोधित करते हुए कहा कि क्रिप्टोकरेंसी असल में सुरक्षित संचार तकनीकों के अध्ययन वाली विधा क्रिप्टोग्राफी पर आधारित मुद्रा है।
उन्होंने कहा, 'क्रिप्टो सिलिकॉन वैली की तरफ से वॉल स्ट्रीट को एक जवाब है। मैं इसे लेकर खासा सकारात्मक हूं। कुछ वर्षों में यह हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बन चुके इंटरनेट की तरह मुख्यधारा की प्रौद्योगिकी हो जाएगी।'
क्रिप्टोकरेंसी के नियमन के लिए भारत में विधेयक लाने की तैयारी चल रही है। इससे पहले भारतीय रिजर्व बैंक भी इसके दुरुपयोग को लेकर गहरी आशंका जता चुका है। इस संदर्भ में पेटीएम संस्थापक ने कहा कि इस डिजिटल मुद्रा के बारे में इस समय भ्रम की स्थिति है। उन्होंने कहा, 'हर सरकार इसे लेकर संशयग्रस्त है। लेकिन अगले पांच वर्षों में यह मुख्यधारा की प्रौद्योगिकी बन जाएगी।' हालांकि उन्होंने कहा कि क्रिप्टोकरेंसी परंपरागत मुद्रा की जगह नहीं ले पाएगी।

 


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