राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव जनसंपर्क विभाग का स्टॉल बना आकर्षण का केन्द्र
रायपुर | तीन दिवसीय राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव 2019 के अवसर पर साईंस कॉलेज मैदान में विभिन्न विभागों द्वारा आयोजित विकास पर आधारित प्रदर्शनी में जनसंपर्क विभाग का स्टॉल लोगों के आकर्षण का प्रमुख केन्द्र बना हुआ है। स्टॉल में छत्तीसगढ़ शासन की नवीन कार्य एवं योजनाओं का जीवंत प्रदर्शन किया गया है।
स्टॉल में छत्तीसगढ़ प्रदेश के बहुरंगी लोक वाद्य यंत्रों में दफरा, नंगाड़ा, तोडी, कोडोड़का, छड़ी, कोपीबाजा, बांस बाजा, खल्लर, हिर नांग, तंबूरा, मुंडा बाजा, कुतुर्गी, चटका, गुजरी, चरहे, ठोड़का, हुलकी, खनखना, बाना, नकडेवन, खजेरी, तुर्रा, मोहरी, गतका, फरक्का, सारंगी, चिकारा, रूंजू, मांदरी, मृदंग जैसे वाद्य यंत्रों का अनुठा संग्रह जनमानस को बरबस अपनी ओर आकर्षित कर रहा है।
प्रदेश की विलुप्तप्राय संस्कृति को संजोने का बेहतर प्रयास
राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के तीन दिवसीय आयोजन का रंगारंग आगाज आज से शुरू हो गया। स्थानीय साइंस कॉलेज मैदान में आयोजित वृहद् उत्सव में विभिन्न विभागों के द्वारा आकर्षक झांकियां एवं प्रदर्शनी लगाई गई हैं। जनसम्पर्क विभाग की छायाचित्र प्रदर्शनी को देखने लोगों का तांता लगा हुआ है। रायपुर नगर के अलावा दूरदराज क्षेत्र के ग्रामीण भी पहुंच रहे हैं। यहां पहुंच रहे आगंतुक सेल्फी लेकर खुद को प्रदर्शनी का हिस्सा बनाते नजर आए।
महोत्सव के पहले दिन आज प्रदर्शनी में पहुंचे महासमुंद निवासी युवक श्री निमाई साहू ने बताया कि वह भिलाई की एक कोचिंग संस्था में प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं और संस्था के सभी छात्रों को छत्तीसगढ़ दर्शन के लिए यहां लेकर इसलिए आए हैं कि आदिवासी संस्कृति और छत्तीसगढ़ की विलुप्तप्राय परम्परा को करीब से जाना जा सके। उन्होंने बताया कि प्रतियोगी परीक्षा में पूछे जाने वाले प्राचीन वाद्ययंत्र, कृषि उपकरण आदि की प्रदर्शनी लगाई गई है। इसके जरिए छत्तीसगढ़ संस्कृति के साक्षात् और प्रत्यक्ष दर्शन हो रहे हैं। स्थानीय लाखेनगर वार्ड से आए दुर्गा प्रसाद यादव ने विभाग की प्रदर्शनी के बारे में अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ की वास्तविक पहचान को पुनर्जीवित होते देख बहुत अच्छा लग रहा है। प्रदेश सरकार द्वारा पहली बार किए गए इस आयोजन के प्रति आभार प्रकट करते हुए कहा कि ऐसा आयोजन प्रतिवर्ष हो, जिससे यहां की प्राचीन धरोहरों को जानने-पहचानने का अवसर मिल रहा है।
बस्तर संभाग के कोंडागांव जिले के ग्राम सिकलाडीह से पहुंचे श्री रूपसिंह दुग्गा और असनूराम नाग ने बताया कि वे यहां पर लोक कलाकार के तौर पर कार्यक्रम देने आए हैं। उनके क्षेत्र के कोटमसर गुफा का छायाचित्र बेहतर लगा। साथ ही आदिवासी जेवर, आभूषण और पहनावे पर आधारित प्रदर्शनी भी मनोरम लगी। इसी तरह अभनपुर से आई सविता साहू, आरंग की राधा बाई, नरेश कुमार ने भी जनसम्पर्क विभाग द्वारा आयोजित छायाचित्र प्रदर्शनी की प्रशंसा करते हुए स्टॉल छत्तीसगढ़ दर्शन की अनुभूति की बात कही। प्रदर्शनी रविवार 29 दिसम्बर तक किया जाएगा।