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एनआईए का बड़ा खुलासा: पुलवामा हमले से पहले जैश सरगना मसूद के भतीजे के बैंक खाते में डाले गए थे 10 लाख

एनआईए का बड़ा खुलासा: पुलवामा हमले से पहले जैश सरगना मसूद के भतीजे के बैंक खाते में डाले गए थे 10 लाख
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नई दिल्ली। पुलवामा हमले को अंजाम देने के लिए आतंकी गुट जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर के भतीजे मोहम्मद उमर फारूक को इस आतंकी हमले को अंजाम देने के लिए पाकिस्तान में उसके बैंक खातों में 10 लाख रुपये मिले थे, जिसमें 14 फरवरी 2019 में  सीआरपीएफ के 40 जवान मारे गए थे। इस बाद का खुलासा एनआईए ने अपनी चार्जशीट में किया। 


एनआईए की जांच से पता चला कि आत्मघाती हमला मामले के मुख्य आरोपी फारूक के तीन खातों में 10 लाख पाकिस्तानी रुपये डाले गए थे। ये बैंक खाते एलाइड बैंक और मेजान बैंक थे। अधिकारियों का कहना है कि यह रकम जैश के आकाओं की ओर से जनवरी और फरवरी 2019 के बीच दी गई थी। फारूक को सुरक्षा बलों ने एक मुठभेड़ में मार गिराया था। आतंकियों ने करीब छह लाख रुपये विस्फोटक और मारुति इको कार की खरीद में खर्च किए। इस कार और विस्फोटक का इस्तेमाल धमाके में किया गया था।

जांच एजेंसी ने अपनी चार्जशीट में कहा है कि 2.80 लाख रुपये का इस्तेमाल अमोनियम नाइट्रेट समेत 200 किलोग्राम विस्फोटक की खरीद में किया गया। सीआरपीएफ काफिले को उड़ाने के लिए इतने विस्फोटक का उपयोग किया गया था। आरडीएक्स पाकिस्तान से लाया गया था जबकि मुदसिर अहमद ने जिलेटिन की छड़े खरीदी, वजी उल इस्लाम ने अमेजन से चार किलोग्राम एल्यूमिनियम पाउडर और कैल्सियम अमोनियम नाइट्रेट की खरीद की। इको कार में दो कंटेनरों में आईईडी फिट की गई। इन दोनों कंटेनरों का वजन 160 किलोग्राम था जबकि 40 किलोग्राम का इस्तेमाल धमाका करने में किया गया।  

बता दें कि चार्जशीट में कहा गया है कि आरोपी शकीर बशीर ने विस्फोटकों आईडीएक्स, जिलेटिन छड़ों, एल्यूमिनियम पाउडर और कैल्सियम-अमोनियम नाइट्रेट को अन्य आरोपियों से लेकर अपने घर में जमा किया था, जहां इनके इस्तेमाल से आईईडी बनाई गई।

बताते चलें कि आतंकियों ने 2.5 लाख रुपये से इको कार खरीदी और हमले में इस्तेमाल के लिए इसमें बदलाव किए। यह कार शकीर के घर के बाहर खड़ी की गई थी। एनआईए का कहना है कि कुछ रकम आईईडी को तैयार करने में इस्तेमाल कंटेनरों की खरीद में खर्च की गई। 

वहीं राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने उमर फारूक और पाकिस्तान स्थित उसके चाचा अम्मार अल्वी के बीच 21 फरवरी 2019 के बीच हुई बातचीत का हवाला देते हुए बताया कि फारूक अपने चाचा से घाटी में मौजूद पत्रकारों निशाना बनाना चाहता था। उसे लगता था ऐसा करने से जैश-ए-मोहम्मद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित करेगा। इसको सुनिश्चित करने के लिए एनआईए ने दोनों के बीच हुई बातचीत को सुना है हालांकि अभी ये साफ नहीं है कि उस समय पत्रकार घाटी में मौजूद थे या नहीं। चार्जशीट के अनुसार, अल्वी नेफारूक को पुलवामा हमले की सफलता का जश्न करने के लिए कहा और पत्रकारों पर हमला करने की अनुमति से इनकार कर दिया। चार्जशीट में उन बीबीसी के पत्रकारों के नाम नहीं दिए गए हैं। चार्जशीट में 46 साल के अल्वी का नाम पुलवामा हमले में प्रमुख हैंडलर के रूप में लिखा गया है।

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