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विपक्ष ने देश और संसद को किया शर्मशार, सभापति से जांच करा कर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग

 विपक्ष ने देश और संसद को किया शर्मशार, सभापति से जांच करा कर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग
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नई दिल्ली। मानसून सत्र के अंतिम दिन राज्यसभा में हुए हंगामे पर सरकार और विपक्ष की बीच जंग तीखी हो गई है। बृहस्पतिवार को विपक्ष के हमले के तत्काल बाद सरकार के आठ मंत्रियों ने पलटवार करते हुए राज्यसभा के सभापति वैंकेया नायडू से हंगामा करने वाले सांसदों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की। इन मंत्रियों ने विपक्ष पर लोकतंत्र को शर्मसार करने और संसद के साथ सभापति की गरिमा गिराने के लिए देश से माफी मांगने की मांग की। मंत्रियों ने कहा कि पहले ही दिन से विपक्ष की मंशा पूरे सत्र में कामकाज को ठप करने की थी।

राज्यसभा की घटना के खिलाफ विपक्षी दलों के मार्च के बाद सरकार की ओर से पीयूष गोयल, मुख्तार अब्बास नकवी, प्रहलाद जोशी, धर्मेंद्र प्रधान, अनुराग ठाकुर, भूपेंद्र यादव, अर्जुन मेघवाल, वी मुरलीधरण ने मोर्चा संभाला। इन मंत्रियों ने प्रेस कांफ्रेंस से पहले सभापति नायडू से मुलाकात कर राज्यसभा के घटनाक्रम की जांच करा कर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।

टेबल पर नाचने के लिए नहीं है सदन
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने विपक्ष पर घटिया राजनीति करने का आरोप लगाया। ठाकुर ने कहा कि राहुल गांधी पूरे सत्र और इस दौरान चली कार्यवाही को लोकतंत्र की हत्या बता रहे हैं। उन्हें पता होना चाहिए कि सदन में टेबल पर नाचना लोकतंत्र नहीं है। महिला मार्शल पर हमला करना, सदन का शीशा तोडऩा, आसन पर रूल बुक फेंकना, मंत्री के हाथ से बयान की कॉपी छीन कर फाडऩा और नए मंत्रियों का परिचय तक नहीं कराने देना भी लोकतंत्र नहीं है।

जोशी बोले कांग्रेस को पच नहीं रहा जनादेश
इस दौरान संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने कहा कि समस्या कांग्रेस की मानसिकता है। पार्टी सात साल से अधिक समय से सत्ता से बाहर है। उसे लगता है कि सत्ता उसका अधिकार है। पार्टी को मोदी को प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठे देखना गवारा नहीं है। उसे लगता है कि पीएम मोदी ने उन्हें सत्ता के अधिकार से वंचित कर दिया है।

सरकार का हमला, सवाल और आरोप
- शुरू से विपक्ष की रणनीति सदन मेंं कामकाज ठप करने की थी।
-बीएसी और सर्वदलीय बैठक में किसान, कोरोना और महंगाई पर सर्वसम्मति बनी थी, मगर विपक्ष अचानक पेगासस पर अड़ गई।
-पेगासस पर सरकार की ओर से स्वत:स्फूर्त बयान दिया गया, विपक्ष के पास उस दौरान सवाल करने का अवसर था, मगर किसी ने सवाल नहीं पूछा।
- आसन पर भारी भड़कम रूल बुक फेंका गया, मंत्री के हाथ से बयान छीन कर फाड़ा गया।
-पहली बार सदन मेंं कुछ सांसदों ने टेबल पर चढ़ कर नृत्य किया। कुर्सी पर खड़े हुए।
-निलंबित सांसदों ने सदन में जबर्दस्ती घुसने की कोशिश की। इस दौरान शीशा तोड़ा, एक महिला मार्शल घायल हुई।
- नए मंत्रियोंं का परिचय नहीं कराने दिया इससे संसद की दशकों पुरानी परंपरा ध्वस्त हो गई।
- सरकार की ओर से विपक्ष से बार-बार संपर्ककिया गया, मगर विपक्षी दल अपनी जिद पर अड़े रहे।
- विधेयक पारित कराना सरकार का कर्तव्य, यह विपक्ष का भी कर्तव्य, मगर विपक्ष ने कर्तव्य से बनाई दूरी।
-यूपीए कार्यकाल में दर्जनों बिल बिना किसी चर्चा के पारित हुए। आंधप्रदेश पुनर्गठन बिल की जानकारी तक विपक्ष को नहीं दी गई।

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