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राज्यसभा चुनाव- भाजपा ने कांग्रेस को गुजरात के बाद राजस्थान-कर्नाटक में भी उलझाया

राज्यसभा चुनाव- भाजपा ने कांग्रेस को गुजरात के बाद राजस्थान-कर्नाटक में भी उलझाया
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नई दिल्ली, आगामी 19 जून को 18 सीटों पर होने वाला राज्यसभा चुनाव दिलचस्प मोड़ पर है। भाजपा ने मध्यप्रदेश के बाद गुजरात में कांग्रेस को उलझाने के बाद अब राजस्थान और कर्नाटक में भी उलझा दिया है। पार्टी की कोशिश दोनों राज्यों में कांग्रेस में जारी अंतर्कलह का लाभ उठाने की है। यही कारण है कि राजस्थान में जहां कांग्रेस ने अपने विधायकों को एक रिसोर्ट में जमा कर लिया है, वहीं कर्नाटक में अपने विधायकों पर कड़ी नजर रख रही है।

राजस्थान में तीन सीटों पर चुनाव होने हैं। संख्या बल की दृष्टिï से इनमें कांग्रेस को दो और भाजपा को एक सीट मिलनी तय है। चुनाव ने तब दिलचस्प मोड़ ले लिया जब भाजपा ने यहां दो प्रत्याशी उतार दिए। दरअसल चर्चा है कि कांग्रेस ने जिन दो नेताओं को चुनाव में उतारा है, उनमें केसी वेणगोपाल की उम्मीदवारी से पार्टी का एक धड़ा खुश नहीं है। भाजपा की निगाहें इसी अंतुष्ट धड़े पर है।

गणित की बात करें तो यहां एक उम्मीवार को जिताने के लिए 51 विधायकों के समर्थन की जरूरत है। कांग्रेस के पास आधिकारिक रूप से 107 तो भाजपा के साथ 75 विधायक हैं। इस दृष्टि से भाजपा को अपना दूसरा उम्मीदवार जिताने के लिए 27 और विधायकों की जरूरत पड़ेगी। जाहिर तौर पर अगर कांग्रेस ने भाजपा को सेंध लगाने के मौका नहीं दिया तो उसे एक ही सीट पर संतोष करना पड़ेगा।

कर्नाटक में भी पेच
राजस्थान की तरह भाजपा ने कर्नाटक चुनाव में पेच फंसा दिया है। यहां चार सीटों पर चुनाव होने हैं। सीटों की दृष्टिï से यहां भाजपा और कांग्रेस-जदएस को दो-दो सीटें मिलनी है। मगर चुनाव मैदान में निर्दलीय संगमेश चिकनकरगुंडा के उतरने से लड़ाई दिलचस्प हो गई है। चर्चा है कि भाजपा ने ही निर्दलीय उम्मीदवार को मैदान में उतारा है। यहां एक उम्मीदवार को जिताने के लिए 45 विधायकों का समर्थन चाहिए। भाजपा के पास 117 विधायक हैं। मतलब दो उम्मीदवारों को जिताने के बाद उसके पास 27 अतिरिक्त वोट हैं। ऐसे में अगर निर्दलीय उम्मीदवार ने 22 अतिरिक्त वोट जुटा लिए तो कांगे्रस-जदएस के लिए मुश्किल होगी। इसी से बचने के लिए कांग्रेस की पहल पर देवगौड़ा को उम्मीदवार बनाया गया है। चूंकि पहले भी कांग्रेस-जदएस के विधायक टूट चुके हैं। इसलिए यहां सियासी लड़ाई दिलचस्प हो गई है।

मध्यप्रदेश-गुजरात में भी झटका
भाजपा मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य और उनके समर्थक विधायकों को तोड़ कर पहले ही कांग्रेस को झटका दे चुकी है। ज्योतिरादित्य को उम्मीदवार बना कर पार्टी यहां पहले ही दो सीट पक्की कर चुकी है। दूसरी तरह गुजरात में भाजपा ने कांग्रेस की राह में रोड़े बिछा दिए हैं। 8 विधायकों के इस्तीफे के बाद कांग्रेस अपने दम पर दो सीट जीतने की हैसियत खो चुकी है। इस राज्य में एक सीट जीतने के लिए 35.1 विधायकों का समर्थन चाहिए। कांग्रेस के 8 विधायकों के इस्तीफे के बाद उसके विधायकों की संख्या 73 से घट कर 65 रह गई है। जबकि भाजपा के पास 103 विधायक हैं। उसे तीन सीटें जीतने के लिए 106 विधायकों का समर्थन चाहिए। ऐसे में सारा दारोमदार अब बीटीपी के दो, एनसीपी और निर्दलीय 1-1 विधायकों पर है। कांग्रेस के लिए मुश्किल यह है कि इन चार विधायकों के समर्थन के बावजूद उसका दूसरा उम्मीदवार सीधे तौर पर जीतने की स्थिति में नहीं है।

 


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