अग्रसेन महाविद्यालय में “बाल अधिकार और बाल हिंसा” विषय पर विचार-गोष्ठी, जाने पूरी खबर
“उचित मार्गदर्शन से ही रुकेंगे बाल-अपराध और हिंसा”
रायपुर | अग्रसेन महाविद्यालय, पुरानी बस्ती में आज “बाल अधिकार और बाल हिंसा” विषय पर विचार-गोष्ठी का आयोजन किया गया. महाविद्यालय के समाज-कार्य विभाग द्वारा आयोजित इस गोष्ठी में महिला हेल्प लाइन (181) कि केंद्र प्रबंधक श्रीमती मनीषा दत्ता तिवारी ने बाल अधिकार के विषय में अहम जानकारी दी. उन्होंने बताया कि अठारह वर्ष से कम आयु के लड़के या लड़की को कानून की भाषा में वयस्क नहीं माना जाता. इसलिए ऐसे लड़के और लड़कियां “बाल अधिकार” के दायरे में आते हैं. उन्होंने कहा कि बच्चों द्वारा अपराध होने पर उनके साथ वयस्क अपराधी की तरह व्यवहार नहीं किया जा सकता. यह कानून के विरूद्ध है. उन्होंने यह भी कहा कि आजादी के इतने वर्षों बाद भी देश में बाल-अधिकार और बाल-हिंसा के विषय पर लोगों में जागरूकता की कमी देखने को मिलती है. इस स्थिति को बदलना बेहद जरुरी है.
डा राधाबाई कन्या महाविद्यालय रायपुर कि प्राध्यापक डा प्रीता लाल ने कहा कि सन 1860 में बाल अपराध के निषेध के लिए कानून बनाया गया था. उन्होंने कहा कि बाल अपराध के कई कारण हो सकते हैं. इसमें परिवार का वातावरण, संगति, इच्छाओं की पूर्ति में कमी, गरीबी, भुखमरी जैसे कारण प्रमुख हैं. वहीँ,धनाड्य वर्ग के बच्चों में भी उचित निगरानी और मार्गदर्शन के अभाव में अपराध की घटनाएं देखने को मिलती हैं.
इस अवसर पर महाविद्यालय के डायरेक्टर डॉ. वी.के. अग्रवाल ने कहा कि बाल अपराध को रोकने में परिवार के संस्कार सबसे प्रमुख कारक हो सकते हैं. साथ ही समय-समय पर बच्चों से संवाद भी जरुरी है. प्राचार्य डॉ. युलेंद्र कुमार राजपूत ने कहा कि बाल अपराध को रोकने की दिशा में समय रहते ध्यान देना आवश्यक है, वरना यही बच्चे बड़े होकर गंभीर अपराध में लिप्त हो सकते हैं. महाविद्यालय के एडमिनिस्ट्रेटर प्रो. अमित अग्रवाल ने भी इस आयोजन को उद्देश्यपूर्ण बताया. कार्यक्रम में अंत में समाज कार्य विभाग की समन्वयक प्रो. कविता अग्रवाल ने सभी वक्ताओं के विचारों के सारांश प्रस्तुत किया. कार्यक्रम का संचालन प्राध्यापक प्रो. दीपिका अवधिया ने किया. इसमें महाविद्यालय के विभिन्न संकायों के प्राध्यापकों और विद्यार्थियों ने पूरी सक्रियता से अपनी भागीदारी सुनिश्चित की.