कोरोना महामारी के दौरान ऑनलाइन पढ़ाई विद्यार्थियों के लिए बनी मुसीबत, पालकों ने सत्र 2020-21 को जीरो ईयर घोषित करने की मांग मुख्यमंत्री से की
रायपुर, विश्वव्यापी कोरोना वायरस महामारी कोविड-19 का असर स्कूल कॉलेजों के नियमित सत्र में पड़ा है। जहां अधिकतर क्षेत्रों में छोटे बच्चों के लिए सरकार द्वारा ऑनलाइन अध्ययन की सुविधा मुहैया करायी जा रही है वहीं छोटे बच्चों के पास मोबाइल सुविधा उपलब्ध नहीं है ऐसी स्थिति में पालकों के अनुसार ऑनलाइन पढ़ाई विद्यार्थियों के लिए मजाक का विषय बन गई है। ज्ञातव्य है कि शहरीय एवं ग्रामीण क्षेत्रों में विशेषकर सरकारी स्कूलों में अध्ययनरत विद्यार्थी अधिकतम संख्या में गरीब घरों से आते हैं वहां पर अल्पशिक्षित होने के कारण अथवा अनपढ़ होने के कारण बच्चों की आनलाइन पढ़ाई को समझने में पालक भी असमर्थ है। ऐसी स्थिति में बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई के बारे में कोई बताने को तैयार नहीं है।
गौरतलब है कि कोरोना काल के दौरान अधिकांश लोगों की नौकरियां खत्म हो गई है। बेरोजगारी की स्थिति को ढो रहे पालक अपने बच्चों को मोबाइल की सुविधा उपलब्ध कराने की स्थिति में नहीं है। ज्यादातर सामने रोजी रोटी कमाने की समस्या है वहीं निजी स्कूलों में ऑनलाइन पढ़ाई के नाम पर पालकों से अच्छी खासी फीस वसूली की जा रही है। प्रसिद्ध टाटा कंपनी के मालिक रतन टाटा ने भी फेस बुक में अपना मंतव्य जाहिर करते हुए कहा कि वर्ष 2020 बिना नफा नुकसान के जीवित रहने का वर्ष है। सुंदरनगर निवासी श्रीमती मनप्रीत कौर ने मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ शासन से वर्ष 2020 -21 के सत्र को जीरो ईयर घोषित करने की मांग की है।