कॉलेजों को ग्रांट देने का यूजीसी ने बनाया नया नियम जानने के लिए यहाँ क्लिक करें....
कॉलेजों और अन्य शिक्षण संस्थानों को यूजीसी तभी अनुदान देगा जबकि उनके पास अपने पर्याप्त संसाधन होंगे। यूजीसी (यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन) ने कॉलेजों एवं शिक्षण संस्थानों को मान्यता और अनुदान नियम के संशोधित ड्राफ्ट नियम तैयार किए हैं।
इनको लेकर यूजीसी ने शिक्षण संस्थानों से पंद्रह दिनों के भीतर आपत्तियां व सुझाव मांगे हैं। इसके बाद यूजीसी इसका फाइनल नोटिफिकेशन जारी करेगा। शिक्षण संस्थानों को ज्यादा जवाबदेह बनाने के लिए यूजीसी ने नए नियम तैयार किए हैं। इन नियमों के लागू होने से शिक्षण संस्थानों को अपने संसाधन बढ़ाने होंगे। यूजीसी ने जो नियम तैयार किए हैं उसके मुताबिक शिक्षण संस्थानों को अनुदान मिलेगा जबकि उनके पास अपने पर्याप्त संसाधन हों।
नए नियमों के अनुसार यूजीसी अब उन्हीं संस्थानों को अनुदान के लिए पात्र मानेगा जिनके पास अपने इतने संसाधान होंगे कि वे कम से कम एक साल तक अपना खर्च चला सकें। माना जा रहा है कि यूजीसी का यह कदम शिक्षण संस्थानों को आत्मनिर्भर बनाना है। इस नए नियम से संस्थानों पर छात्रों की फीसें बढ़ाने का भी दबाव रहेगा और उनको अधिक से अधिक सेफ फाइनासिंग कोर्स शुरू करने पड़ेंगे। हालांकि नए नियमों में यह भी साफ किया गया है, कि संस्थान गैर कानूनी तरीके से फीस नहीं ले सकेंगे। फीसें केवल सरकार द्वारा तय नियमों के अनुसार ही निर्धारित होंगी।
इसके अलावा संस्थानों को भी अपनी मान्यता और संबद्धता के स्टेटस के बारे में अपनी वेबसाइट पर समय-समय पर जानकारी देते रहना अनिवार्य किया गया है। विश्वविद्यालय का भी दायित्व होगा वह संस्थानों द्वारा मान्यता के लिए ऑनलाइन दी गए ब्यौरे को सत्यापित करवाएं। इससे संबंधित अपनी आपत्तियों और सुझावों को आवेदन करने के तीन माह के भीतर सार्वजनिक करें। वहीं यूजीसी भी दो माह के भीतर इस पर फैसला लेगा। नियमों की अवहेलना पर यूजीसी संस्थानों का अनुदान रोकने के साथ ही उसकी मान्यता खत्म करने के लिए भी अधिकृत होगा।
नए नियम के मुताबिक शिक्षण संस्थानों को चाहे स्थायी संबद्धता मिली हो या अस्थाई संबद्धता, अब सभी को यूजीसी से मान्यता लेनी होगी। विश्वविद्यालय की यह ड्यूटी होगी कि वह यह सुनिश्चित करे कि संस्थान स्थायी मान्यता के लिए शर्तें पूरा करने के लिए प्रयासरत हों। इसके साथ ही यूजीसी ने नए ड्राफ्ट नियमों की अधिसूचना जारी कर संबंधित पक्षों से पंद्रह दिनों के भीतर इस पर आपत्तियां व सुझाव मांगें है। इसके बाद इसकी फाइनल अधिसूचना जारी की जाएगी।