भूमि पूजन के कार्यक्रम के बाद बोले पीएम मोदी- अस्तित्व मिटाने की हर कोशिश हुई लेकिन हमारे मन में बसे हैं राम
अयोध्या | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अयोध्या में राम मंदिर की आधारशिला रखी। भूमि पूजन की सभी प्रक्रिया करने के बाद प्रधानमंत्री ने शुभ मुहूर्त के वक्त शिला रखी। इससे पहले पीएम मोदी ने अयोध्या पहुंचकर सबसे पहले हनुमानगढ़ी मंदिर में पूजा की। इस दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत कई मेहमान भूमि पूजन में मौजूद रहे। इसके बाद पीएम ने राम जन्मभूमि पहुंचकर रामलला के दर्शन और पूजा की। राम मंदिर भूमि पूजन समारोह में शामिल होने के लिए उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, आरएसएस चीफ मोहन भागवत, योग गुरु बाबा रामदेव और पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती समेत देश के विभिन्न हिस्सों से संत धर्माचार्य और अन्य अतिथि कार्यक्रम स्थल पहुंचे।
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पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि मेरा सौभाग्य है मुझे ट्रस्ट ने इस ऐतिहासिक अवसर पर मुझे आमंत्रित किया है, मेरा आना स्वभाविक था। पीएम मोदी ने कहा कि राम काज कीन्हे बिनु मोहि कहां विश्राम...सदियों का इंतजार खत्म हो रहा है। बरसों तक रामलला टेंट में रहे थे, लेकिन अब भव्य मंदिर बनेगा। पीएम मोदी ने कहा कि गुलामी के कालखंड में आजादी के लिए आंदोलन चला है, 15 अगस्त का दिन उस आंदोलन का और शहीदों की भावनाओं का प्रतीक है। ठीक उसी तरह राम मंदिर के लिए कई-कई सदियों तक पीढ़ियों ने प्रयास किया है, आज का ये दिन उसी तप-संकल्प का प्रतीक है. राम मंदिर के चले आंदोलन में अर्पण-तर्पण-संघर्ष-संकल्प था।
पीएम मोदी ने कहा कि राम हम सभी के भीतर हैं, घुलमिल गए हैं। आगे कहा कि भगवान राम की शक्ति देखिए, इमारतें नष्ट हो गईं और क्या कुछ नहीं हुआ। अस्तित्व मिटाने का प्रयास हुआ, लेकिन राम आज भी हमारे मन में बसे हैं। हनुमान जी के आशीर्वाद से राम मंदिर बनने का काम शुरू हुआ है, ये मंदिर आधुनिकता का प्रतीक बनेगा। ये मंदिर हमारी राष्ट्रीय भावना का प्रतीक बनेगा, करोड़ों लोगों की सामूहिक संकल्प शक्ति का भी प्रतीक बनेगा।
पीएम मोदी ने कहा कि आने वाली पीढ़ियों को ये मंदिर संकल्प की प्रेरणा देता रहेगा| पूरी दुनिया से लोग यहां आएंगे, यहां के लोगों के लिए अवसर बनेगा। पीएम मोदी ने कहा कि आज का ये दिन करोड़ों राम भक्तों के संकल्प की सत्यता का प्रमाण है, ये दिन सत्य-अहिंसा-आस्था और बलिदान को न्यायप्रिय भारत की एक अनुपम भेंट है। कोरोना वायरस से बनी स्थितियों के कारण भूमि पूजन का कार्यक्रम अनेक मर्यादाओं के बीच हो रहा है। इसी मर्यादा का अनुभव हमने तब भी किया था जब सर्वोच्च न्यायालय ने अपना फैसला सुनाया था और हर किसी की भावना का ध्यान रखते हुए व्यवहार किया था। पीएम ने कहा कि इस मंदिर के साथ इतिहास खुद को दोहरा रहा है, जिस तरह गिलहरी से लेकर वानर, केवट से लेकर वनवासी बंधुओं को राम की सेवा करने का सौभाग्य मिला|