सेना में भर्ती के लिए फर्जी कागजात तैयार कराने वाले रैकेट का खुलासा: अब तक 5 गिरफ्तार, आईएसआई का हाथ होने की आशंका
लखनऊ। मिलिट्री इंटेलिजेंस और यूपी पुलिस की संयुक्त टीम ने बुधवार को एक बड़े रैकेट का पर्दाफाश किया। रिपोर्ट के मुताबिक, इस रैकेट में एक पूर्व सैन्यकर्मी, दो पुलिसकर्मियों और पांच अन्य लोगों की मिलीभगत हो सकती है। इन लोगों ने कथित तौर पर पिछले दो सालों में फर्जी कागजात के आधार पर कई युवा लड़कों को सेना में भर्ती कराने में मदद की।
मामले के जांचकर्ताओं को इस बात का अंदेशा है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई या फिर कुछ अन्य राष्ट्र विरोधी ताकतों ने भी इस रैकेट का इस्तेमाल करके अपने लोगों को सेना में लगवाया होगा। मामले में पुलिस अब तक रिटायर्ड सैन्यकर्मी, एक पुलिसकर्मी और तीन अन्य लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है।
वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और मिलिट्री इंटेलिजेंस के कुछ प्रतिनिधियों ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इसमें बताया गया कि रैकेट के जरिए 21 लोगों को आर्मी में नौकरी दिलाने की बात सामने आई है, जिसकी जांच की जा रही है। यूपी के चार जिलों में जनवरी 2019 से होने वाली आर्मी भर्ती में शामिल सभी उम्मीदवारों के कागजात की फिर से जांच की जा रही है।
बरेली रेंज की डीआईजी राजेश पांडेय ने बताया, “मैंने बरेली, पीलीभीत, बदायूं और शाहजहांपुर जिले में सभी सफल उम्मीदवारों के कागजात की फिर से जांच करने का आदेश दिया है। हमने आईबी और अन्य सुरक्षा एजेंसियों से भी जांच में शामिल होने के लिए कहा है। मैं इस केस को मॉनिटर कर रहा हूं और सभी एजेंसियों के साथ तालमेल बिठाने का काम चल रहा है।”
आरोपियों को शाहजहांपुर के बांदा इलाके में एक किराए के अपार्टमेंट से गिरफ्तार किया गया। इनकी पहचान सुरेश सोम, हुकुम सिंह, परमवीर सिंह और पुलिस कांस्टेबल मनवीर सिंह के रूप में हुई है।
बताया जा रहा है कि आरोपी सुरेश सोम उर्फ सोनू आर्मी में था। 14 साल तक आर्मी में नौकरी की है. उसे अंदर की अच्छी जानकारी है। जांच की जा रही है कि आर्मी में रहते हुए उसने क्या-क्या कार्रवाइयां की हैं। ऐसा तो नहीं कि उसने सर्विस पीरियड में कुछ गलत किया हो, इसकी गहनता से जांच चल रही है।
इनके पास से एक कागज पर 21 लोगों के नाम और पते लिखे मिले हैं। प्रत्येक नाम के आगे 75 हजार रुपये की राशि अंकित है। पुलिस मान रही है कि इन 21 लोगों के फर्जी कागजात बनाने के एवज में उनसे रुपये वसूले गए हैं। यह रकम 15 लाख 75 हजार रुपये बनती है।
इस पूरे रैकेट के मास्टरमाइंड सुरेश सोम का कहना है कि वह मेरठ में जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव लड़ना चाहता था। जिसके लिए वह किसी भी हाल में पैसा इकट्ठा करना चाहता था। पैसा इकट्ठा करने के लिए ही उसने सेना में फर्जी दस्तावेज बनाकर पैसे कमाना शुरू कर दिया था। पकड़े गए थाने के सिपाही के अकाउंट में कई बार पैसे भी ट्रांसफर किए गए थे।