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क्या यह भी सम्भव है कि नीचे वाले फ्लोर पर संक्रमित शख्स के टॉयलेट से भी आपके घर आ सकता है कोरोना वायरस? पढ़े पूरी खबर

क्या यह भी सम्भव है कि नीचे वाले फ्लोर पर संक्रमित शख्स के टॉयलेट से भी आपके घर आ सकता है कोरोना वायरस? पढ़े पूरी खबर
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नई दिल्ली. पिछले साल तक वैज्ञानिक कह रहे थे कि कोविड वायरस का व्यवहार स्प्रे बोतल से निकले पानी की फुहार की तरह होता है. अब उनका कहना है कि वायरस डियो की तरह व्यवहार करता है. इसका मतलब ये हुआ कि पहले अगर ड्रॉपलेट के ज़रिये वायरस रोगी से बाहर निकलता है तो वो पानी की फुहार की तरह थोड़ी ही दूरी तक सीमित रहता था, अब वैज्ञानिकों का मानना है कि दरअसल वायरस जब ड्रॉपलेट के ज़रिये बाहर आता है तो वो किसी डियो की तरह व्यवहार करता है यानि उसकी बूंदें तो पानी के बराबर ही होती हैं लेकिन जिस तरह डियो की खुशबू पूरे कमरे में फैल जाती है ठीक उसी तरह वायरस भी एक जगह सीमित रहने के बजाए पूरे कमरे में फैल जाता है. इसका मतलब ये हुआ कि अपार्टमेंट में रहने वाले लोगों के लिए खतरा बढ़ जाता है. हालांकि अभी तक इसके कोई प्रमाण नहीं मिले हैं. लेकिन अब वायरस अपने फैलने के लिए एक नया रास्ता तैयार कर रहा है. वो है शौचालय.

ऐसा क्यों लग रहा है?

इस बार कोविड के लक्षणों में डायरिया एक आम लक्षण के तौर पर उभरा. यही नहीं मरीज के मल में वायरस का RNA और जेनेटिक कोड भी पाया गया. अगर मल में वायरस जिंदा रहता है और संक्रामक हो जाता है तो मरीज जब उस मल को बहाता तो उसका क्या अंजाम हो सकता है. हार्वर्ड विश्वविद्यालय के हेल्दी बिल्डिंग प्रोग्राम के निदेशक जोसफ जी एलेन का मानना है, ‘एक बार सामान्य तौर पर मल को बहाने पर, हवा में करीब 10 लाख अतिरिक्त कण ( इनमें सभी वायरस नहीं होते) प्रति क्यूबिक मीटर की दर से हवा में आ जाते हैं.’ अगर किसी रेस्टोरेंट या दफ्तर के शौचालय की बात करें तो खतरे का अंदाजा लगाया जा सकता है लेकिन मल के ज़रिये फैले इन कणों से क्या अपार्टमेंट में भी खतरा हो सकता है?


क्या कहता है पिछला अनुभव


2003 में जब सार्स ने महामारी के रूप में फन फैलाना शुरू किया. उस वक्त एक ऐसा ही मामला सामने आया था. दरअसल हांगकांग में एक 50 मंजिला रिहाइशी इमारत है. जब सार्स फैला तो यहां के एक परिवार को उसने अपने घेरे में ले लिया. आगे चलकर इसी इमारत के 321 लोग सार्स से पीड़ित हो गए जिसमें से 42 लोगों को जान गंवानी पड़ी. वैज्ञानिकों का मानना है कि लोगों के बीच वायरस शायद इमारत में मौजूद प्ल्मबिंग सिस्टम यानि पानी की पाइप लाइन के ज़रिए फैला होगा. दरअसल 2003 में जब सार्स फैला हुआ था तब एक मरीज एमोय गार्डन इमारत में आया. वो इमारत की बीच के मंजिल में जिनसे मिलने पहुंचा था, उसने उनके यहां का शौचालय इस्तेमाल किया, चूंकि उसे डायरिया हुआ था इसलिए उसने दोबारा शौचालय का इस्तेमाल किया. इसके बाद देखा गया कि उस कॉम्पलेक्स में मामले बढ़ते गए.

क्या कहती है रिसर्च


न्यू इंग्लैंड जरनल ऑफ मेडिसिन में छपे एक लेख के मुताबिक 187 में से 99 मरीज उसी इमारत में से थे जिसके शौचालय का इस्तेमाल पहले से सार्स पीड़ित मरीज ने किया था. दिलचस्प बात ये है कि जितने लोग बीमार पड़े वो सभी इस्तेमाल किए गए शौचालय के ऊपर की मंजिल पर रहते थे, इससे भी हैरान करने वाली बात ये थी कि प्रबंधन और सुरक्षा करने वाला स्टाफ जो 24 घंटे ग्राउंड फ्लोर पर मौजूद रहता है, उनमें से किसी को कुछ भी नहीं हुआ था. इसी तरह का मामला गुआंगज़ोउ में मौजूद ऊंची इमारत में भी देखने को मिला जब वहां की 15वीं मंजिल में रहने वाला एक परिवार वुहान से लौटने के बाद कोविड की गिरफ्त में आ गया और कुछ दिनों बाद ही 25वीं और 27वीं मंजिल पर मौजूद कुछ लोग कोरोना से पीड़ित हो गए. खास बात ये है कि ये लोग चाइन में लगे सख्त लॉकडाउन की वजह से घऱ से बाहर तक नहीं निकले थे लेकिन उनके घर तक 15वीं मंजिल की पाइपलाइन सीधी जाती थी. इस बात की जांच करने के लिए वैज्ञानिकों ने 15वीं मंजिल के ड्रेनपाइप से एक ट्रेसर गैस को छोड़ा और उन्होंने देखा की वो गैस 25वीं और 27वीं मंजिल के अपार्टमेंट में मौजूद थी.

क्या कहती है थ्योरी?
शौचालय में मौजूद ड्रेन पाइप यू के आकार में मुड़ा होता है. जो पानी को रोक कर उससे निकली गैस को घर के अंदर जाने से रोकता है. जब ये मुड़ी हुई जगह जहां पानी रुकता है वो सूख जाती है तो घर के अंदर सड़े हुए अंडों की तरह की बदबू फैल जाती है. 2003 में एमोय गार्डन में जिस इमारत में सार्स के मामले सामने आए थे वहां का ड्रेन पाइप सूखा हुआ था. इसी वजह से बदबू और जर्म्स निचली मंजिल से अंदर घुस गए थे.

तो अब क्या किया जा सकता है?
कुछ छोटी -छोटी बातों को अगर अमल में लाया जाए तो वैज्ञानिक जो कह रहे हैं, अगर वो सही है तो उससे बचा जा सकता है. जैसे कभी भी बाथरूम में आ रही बदबू को नज़रअंदाज़ ना करें. हो सकता है पाइप में लीक की वजह से ऐसा हो रहा है. कमोड की लिड को फ्लश करने के दौरान नीचे कर देना चाहिए, इस तरह से अगर किसी घर में कोविड मरीज होगा तो वहां से वायरस हवा के ज़रिये पड़ोसियों तक नहीं पहुंचेगा. अपने टॉयलेट की खिड़की को खुला रखें या एक्जॉस्ट फैन चालू रखें. बाथरूम की सतह को रोज़ाना अच्छे से साफ करना चाहिए. ऐसे कई तरीके हैं जिससे लोग मल के ज़रिये फैल रहे एयरोसोल से बचाव कर सकते हैं. कुल मिलाकर ये बात भी इस ओर इशारा करती है कि हमें सफाई रखने की बहुत ज्यादा ज़रूरत है.

वायरस फैल सकता है...
इसका ये मतलब भी नहीं है कि बाथरूम के पाइप वायरस के फैलने के मुख्य स्रोत हैं, अभी तक ऐसा माना जा रहा है कि कोविड मरीज के मल के ज़रिए शायद वायरस फैल सकता है. इसमें भी ये बात अहम है कि जिस कोविड मरीज के मल के ज़रिये वायरस फैल सकता है उसका वायरस लोड भी ज्यादा होना चाहिए. तो कुल मिलाकर कोविड को लेकर अभी तक वैज्ञानिक लगातार शोध कर रहे हैं और लगातार नए तथ्य सामने आ रहे हैं. ऐसे में ज़रूरी है कि हम लगातार नई जानकारियों पर नज़र रखें, ( लेकिन अत्यधिक और गैरज़रूरी जानकारी से बचें) लेकिन उन्हें लेकर परेशान नहीं हों बस सावधान रहें. घबराने से बेहतर बचाव है. 


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