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किसान आंदोलन: किसानों के समर्थन में उतरी कांग्रेस, कहा- सत्ता के नशे में है मोदी सरकार

 किसान आंदोलन: किसानों के समर्थन में उतरी कांग्रेस, कहा- सत्ता के नशे में है मोदी सरकार
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नई दिल्ली। नए कृषि कानूनों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कांग्रेस ने रविवार को कहा कि कानूनों के समर्थन में लगातार जोर देने से साबित होता है कि सरकार सत्ता के नशे में है। वह इस पर फिर से विचार करना भी नहीं चाहती। कांग्रेस ने यह मांग की कि प्रधानमंत्री मोदी को तत्काल तीनों कृषि संबंधी कानूनों को निलंबित करने की घोषणा करनी चाहिए। 

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने किसानों के आंदोलन को लेकर सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि किसानों की आमदनी दोगुनी करने का वादा किया गया था। मोदी सरकार ने आमदनी दोगुनी तो की, लेकिन अडानी-अंबानी की। उन्होंने ट्वीट किया, जो लोग काले कृषि कानूनों का बचाव कर रहे हैं, वे किसानों के पक्ष में क्या समाधान सुझाएंगे? अब होगी किसान की बात। 

मोदी सरकार सत्ता के नशे में: रणदीप सुरजेवाला  
कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने पार्टी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कहा, भारत के 62 करोड़ किसानों और खेतिहर श्रमिकों के मुद्दों पर प्रधानमंत्री की जिद, अहंकार और अड़ियल रवैया रविवार के मन की बात में स्पष्ट दिखा। उन्होंने संसद द्वारा गैरकानूनी और असंवैधानिक तरीके से पारित तीनों किसान-विरोधी और कृषि विरोधी कानूनों को सही ठहराया। सुरजेवाला ने कहा, जब लाखों किसान आंदोलन करते हुए और कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग करते हुए दिल्ली के पास डेरा डाले हों, ऐसे में प्रधानमंत्री का यह कहना, कि तीनों कानून पूरी तरह सही हैं, साफ दर्शाता है कि मोदी सरकार सत्ता के नशे में चूर है। प्रधानमंत्री को भारत के किसानों तथा खेतिहर श्रमिकों के कल्याण की कोई चिंता नहीं है। 

कांग्रेस ने कृषि मंत्री के बयान पर खड़े किए सवाल: 
सुरजेवाला ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के हैदराबाद में एक राजनीतिक कार्यक्रम में शामिल होने और तत्काल किसानों से नहीं मिलने को लेकर उन पर भी निशाना साधा। सुरजेवाला ने कहा, भारत के गृह मंत्री के पास एक जनसभा में शामिल होने के लिए 1,200 किलोमीटर दूर हैदराबाद जाने का समय है। लेकिन, उनके पास 15 किलोमीटर दूर दिल्ली की सीमाओं तक जाने और आंदोलन कर रहे किसानों से बात करने का वक्त नहीं है। कृषि मंत्री ने किसानों से बातचीत के लिए तीन दिसंबर की तारीख क्यों निकाली है और उससे पहले उनसे क्यों नहीं मिला जा सकता? क्या उन्होंने इसके लिए किसी ज्योतिषी से सलाह ली है।
 

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