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भारत के गेहूं निर्यात पर बैन से अमेरिका भी परेशान, बोला...

भारत के गेहूं निर्यात पर बैन से अमेरिका भी परेशान, बोला...
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न्यूयॉर्क : भारत ने हाल ही में गेहूं के निर्यात पर बैन लगा दिया था जिसके चलते पूरी दुनिया में गेहूं की कीमतें आसमान छूने लगीं। दुनिया के सबसे अमीर देशों में से एक अमेरिका भी भारत के इस फैसले से परेशान है। हालांकि अमेरिका को उम्मीद है कि भारत गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करेगा। अमेरिका ने कहा है कि जिन देशों ने गेहूं के निर्यात पर बैन लगाया है वह उन देशों से अनुरोध करेगा कि ऐसा न करें। दरअसल यूक्रेन पर रूसी अटैक के बाद से पूरी दुनिया में भोजन की कमी देखी जा रही है क्योंकि इससे गेहूं के निर्यात को लेकर सप्लाई चेन बाधित हुई है।


भारत ने क्यों लगाया गेहूं निर्यात पर बैन?

भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक देश है। गर्मी और लू की वजह से गेहूं उत्पादन प्रभावित होने की चिंताओं के बीच भारत ने अपने प्रमुख खाद्यान्न की कीमतों में आई भारी तेजी पर अंकुश लगाने के मकसद से गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। इस निर्णय से गेहूं और गेहूं के आटे की खुदरा कीमतों को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी, जो पिछले एक साल में औसतन 14-20 प्रतिशत बढ़ी है, इसके अलावा पड़ोसी और कमजोर देशों की खाद्यान्न आवश्यकता को भी पूरा करने में मदद मिलेगी।


भारत से बोला अमेरिका- फैसले पर फिर से सोचें
संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने सोमवार को एक वर्चुअल न्यूयॉर्क फॉरेन प्रेस सेंटर ब्रीफिंग के दौरान कहा: हमने भारत के फैसले की रिपोर्ट देखी है। हम देशों को निर्यात को प्रतिबंधित नहीं करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं क्योंकि हमें लगता है कि निर्यात पर कोई भी प्रतिबंध भोजन की कमी को बढ़ा देगा। उन्होंने कहा कि लोग भुखमरी की कगार पर खड़ें हैं। उन्होंने कहा, भारत सुरक्षा परिषद में हमारी बैठक में भाग लेने वाले देशों में से एक होगा, और हमें उम्मीद है कि वे अन्य देशों द्वारा उठाई जा रही चिंताओं को सुनेंगे और हम उम्मीद करते हैं कि फिर वे उस स्थिति पर पुनर्विचार करेंगे।


विकासशील दुनिया के लिए रोटी की टोकरी था यूक्रेन

थॉमस-ग्रीनफील्ड गेहूं के निर्यात को प्रतिबंधित करने के भारत के निर्णय पर एक सवाल का जवाब दे रही थीं। अमेरिकी दूत ने कहा कि यूक्रेन विकासशील दुनिया के लिए एक रोटी की टोकरी हुआ करता था, लेकिन जब से रूस ने महत्वपूर्ण बंदरगाहों को ब्लॉक करना शुरू किया और नागरिक बुनियादी ढांचे और अनाज सिलोस को नष्ट करना शुरू कर दिया, तब से अफ्रीका और मध्य पूर्व में भूख की स्थिति और भी विकट हो गई है।


उन्होंने कहा, यह पूरी दुनिया के लिए एक संकट है, और इसलिए यह संयुक्त राष्ट्र का मुद्दा है। हमारी उन लाखों लोगों के प्रति जिम्मेदारी है जो इस बात को लेकर चिंतित हैं कि उन्हें अपना अगला भोजन कहां मिलेगा या वे अपने परिवार का भरण पोषण कैसे करेंगे। इस सप्ताह हम इसी बारे में चर्चा करेंगे और दुनिया भर में खाद्य असुरक्षा को कम करने के लिए कदम उठाएंगे। अमेरिका मई महीने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अध्यक्ष है और रूस-यूक्रेन युद्ध जैसे अंतरराष्ट्रीय संघर्षों की पृष्ठभूमि के खिलाफ इस सप्ताह खाद्य सुरक्षा पर एक हस्ताक्षर कार्यक्रम की मेजबानी करेगा।


19 मई को, विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के रखरखाव: संघर्ष और खाद्य सुरक्षा पर एक खुली बहस की अध्यक्षता करेंगे। सुरक्षा परिषद की बैठक की पूर्व संध्या पर, ब्लिंकन बुधवार को एक वैश्विक खाद्य सुरक्षा कॉल टू एक्शन मंत्रिस्तरीय बैठक की अध्यक्षता करेंगे। विदेश एवं संसदीय मामलों के राज्य मंत्री वी मुरलीधरन 17 मई से 20 मई तक न्यूयॉर्क में रहेंगे। वे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में वैश्विक खाद्य सुरक्षा - कॉल टू एक्शन पर उच्च स्तरीय मंत्रिस्तरीय बैठक में भाग लेंगे और एक बयान देंगे।
 


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