CG CORONA UPDATE : छत्तीसगढ़ में कोरोना के मामलों में बढ़त जारी...जानें 24 घंटे में सामने आए कितने नए केस    |    छत्तीसगढ़ में आज कोरोना के 10 नए मरीज मिले, कहां कितने केस मिले, देखें सूची…    |    प्रदेश में थमी कोरोना की रफ्तार, आज इतने नए मामलों की पुष्टिं, प्रदेश में अब 91 एक्टिव केस    |    CG CORONA UPDATE : छत्तीसगढ़ में कोरोना के मामलों में बढ़त जारी...जानें 24 घंटे में सामने आए कितने नए केस    |    BREAKING : प्रदेश में आज 15 नए कोरोना मरीजों पुष्टि, देखें जिलेवार आकड़े    |    प्रदेश में कोरोना का कहर जारी...कल फिर मिले इतने से ज्यादा मरीज, एक्टिव मरीजों का आंकड़ा पहुंचा 100 के पार    |    छत्तीसगढ़ में मिले कोरोना के 14 नए मरीज...इस जिले में सबसे ज्यादा संक्रमित,कुल 111 एक्टिव केस    |    सावधान : छत्तीसगढ़ में फिर बढ़ रहा कोरोना...जानें 24 घंटे में सामने आए कितने नए केस    |    Corona update: प्रदेश में 2 कोरोना मरीजों की मौत...इलाज के दौरान तोड़ा दम    |    छत्तीसगढ़ में तेजी से पांव पसार रहा कोरोना,कल फिर 8 नए मरीजों की पुष्टि...एक्टिव मरीजों की संख्या हुई 71    |

आलेख: कोरोना की दहाड़ और चुनावी हुंकार- प्रदीप कुमार दीक्षित

आलेख: कोरोना की दहाड़ और चुनावी हुंकार- प्रदीप कुमार दीक्षित
Share

त्योहारों के लिए प्रसिद्ध इस देश में एक नया त्योहार जुड़ा है, वह है चुनाव। आये दिन कहीं न कहीं, किसी न किसी स्तर के चुनाव होते रहते हैं। देश में फिर चुनाव का माहौल बन रहा है। हर मुद्दे पर एक-दूसरे की टांग-खिंचाई करने वाले और कभी एक-दूसरे से सहमत नहीं होने वाले दल कुछ राज्यों में चुनाव करवाने पर सहमत हो गए हैं। किसी निर्दलीय ने भी कोरोना के जोखिम में चुनाव करवाने पर असहमति दर्ज नहीं करवाई है। चुनाव आयोग ने मतदान की तिथियों की घोषणा कर दी है और चुनाव का बिगुल बज गया है। चुनाव आयोग ने महामारी से बचने के लिए कुछ दिशा-निर्देश दिए हैं। उनका उल्लंघन करने के लिए विभिन्न दल उतावले हो रहे हैं। महामारी की दहाड़ के बीच चुनाव की हुंकार भरी जा रही है।
कैसा भी मौसम हो, कैसी भी विपदा आई हो, किसी भी वायरस का खतरा सिर पर खड़ा हो, इन्हें तो चुनाव लडऩा है। सत्तारूढ़ दल किसी भी तरह सत्ता में टिका रहना चाहता है। कुर्सी में उसकी आत्मा है। सत्ता में रहते हुए उसे हरा ही हरा दिखाई देता है। विपक्षी दल किसी भी तरह सत्ता में आना चाहता है। इसके लिए वह भरपूर दांव-पेच आजमाता रहता है। उसे सत्ता की हरियाली सपने में भी लुभाती रहती है।
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर विभिन्न मुद्दों पर शब्दों से कुश्ती लडऩे वाले बांके इस मुद्दे पर 'शीत निष्क्रियता’ की स्थिति में हैं। वाद-विवाद और बयानबाजी के बाद भाषणबाजी का दौर शुरू हो चुका है। दोनों पक्षों की ओर से बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं। मास्क लगाने वाले और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने वाले अल्पसंख्यक रह गये हैं। कोरोना के ओमीक्रोन वेरिएंट के मामले तेजी से बढऩे के बीच चुनावी नारे हवा में गूंजने लगे हैं।
महामारी तो देर-सवेर काबू में आ जाएगी। इसकी कौन परवाह करता है। सत्ता के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है। भले ही नेता स्वयं चपेट में आ जाएं, वे वोटर और अपनी जान को जोखिम में डाल कर भी सत्ता का सुख लेना चाहते हैं। और वोटर... उसकी कौन चिंता करता है। सत्य बात तो यह है कि वोटर को स्वयं अपनी चिंता नहीं है, उसे तो बस इस-उस नेता का जय-जयकार करना है। वह मोहरा भर है।
(ये लेख लेखक के निजी विचार है)
 


Share

Leave a Reply