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आलेख: विधायको को सिर्फ एक पेंशन का ऐतिहासिक कदम!

आलेख: विधायको को सिर्फ एक पेंशन का ऐतिहासिक कदम!
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देश की जनता लंबे समय से यह मांग करती रही है कि विधायको व सांसदों की पेंशन या तो पूरी तरह से बंद हो या फिर उन्हें सिर्फ एक ही पेंशन मिले ,लेकिन आमजन की इस मांग को अनसुना कर जितनी बार भी सांसद या विधायक रहे उतनी ही पेंशन लेकर देश पर आर्थिक बोझ जारी है।इस बोझ को पहली बार पंजाब में हाल ही में बनी आम आदमी पार्टी की सरकार ने समझा है।इस सरकार ने हर कार्यकाल के लिए पूर्व विधायकों की पेंशन की प्रथा खत्म करते हुए, अब सिर्फ एक कार्यकाल के लिए पेंशन जारी रखने का ऐलान किया है। पूर्व विधायकों को पंजाब में 75 हजार रुपये पेंशन मिलेगी।पंजाब सरकार ने विधायकों की पेंशन को लेकर यह बड़ा फैसला लिया है। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने घोषणा की है कि पूर्व विधायकों को केवल एक कार्यकाल के लिए पेंशन मिलेगी। पंजाब ही नही देशभर में अभी तक प्रत्येक कार्यकाल के लिए पेंशन मिलती रही है। पंजाब सरकार के अधिकारियों को 'एक विधायक-एक पेंशनÓ योजना को लागू करने का निर्देश दिया गया है।अभी तक कई बार चुने गए विधायकों को पेंशन के रूप में कई बार की ही पेंशन के रूप में लाखों रुपये मिल रहे थे। उनमें से कुछ जो सांसद भी रहे हैं, उन्हें केंद्र और राज्य दोनों तरह की पेंशन मिल रही है। इस फैसले से राज्य सरकार के करीब 80 करोड़ रुपये बचेंगे।भगवंत मान ने कहा कि, लोगों की सेवा के वादे के साथ वोट मांगने वाले विधायकों को 3.5 लाख रुपये, 4.5 लाख रुपये और यहां तक कि 5.25 लाख रुपये मासिक पेंशन मिल रही थी। नए फैसले के साथ सरकार की योजना पांच साल में 80 करोड़ रुपये बचाने की है।बचाए गए धन का उपयोग कल्याणकारी योजनाओं के लिए किया जाएगा।उदाहरण के तौर पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राजिंदर कौर भट्टल, लाल सिंह और पूर्व अकाली दल नेता सरवन सिंह फिल्लौर को 3.25 लाख रुपये जबकि रवि इंदर सिंह और बलविंदर सिंह भिंडर को हर महीने 2.75 लाख रुपये पेंशन के रूप में मिलते हैं।पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने सरकार को पत्र लिखा था कि वह सरकार से किसी भी तरह की पेंशन का दावा नहीं करेंगे और न ही उन्हें कोई पेंशन दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा था कि पैसे का इस्तेमाल लोक कल्याण की योजनाओं के लिए किया जाना चाहिए।हरियाणा सरकार ने कुछ साल पहले पूर्व विधायकों के लिए एक साथ कई पेंशन खत्म कर दी थी। पंजाब में अमरिंदर सिंह की सरकार ने उस वक्त पड़ोसी राज्य से संकेत लेते हुए पेंशन नीति को बदलने पर चर्चा की थी। लेकिन कभी कोई निर्णय उनके द्वारा नहीं लिया गया।
पंजाब सरकार के नियमों के अनुसार विधायक को पहले कार्यकाल के लिए 75 हजार रुपये और उसके बाद हर अन्य कार्यकाल के लिए 50 हजार रुपये पेंशन दिए जाने का प्रावधान है।पंजाब में इस समय र 275 पूर्व विधायक अपने अलग-अलग कार्यकाल के लिए पेंशन ले रहे हैं। इसमें राज्य के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों समेत एक दर्जन पूर्व विधायक शामिल हैं जिन्हें कार्यकाल के हिसाब से 5-6 पेंशन तक एक साथ मिल रहीं हैं।पंजाब में मुख्यमंत्री का मासिक वेतन (भत्तों समेत) डेढ़ लाख रुपये बनता है। पूर्व विधायकों में पांच बार मु्ख्यमंत्री रहे प्रकाश सिंह बादल इस समय 11 पेंशन के हकदार हैं और उन्हें पेंशन की कुल राशि 5,76,150 रुपये मिलती थी। हालांकि उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर पेंशन न लेने की घोषणा की है। पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री राजिंदर कौर भ_ल, पूर्व मंत्री मनप्रीत सिंह बादल, लाल सिंह और परमिंदर सिंह ढींढसा समेत पंजाब के कई पूर्व विधायक ऐसे हैं जिन्हें उनके कार्यकाल के हिसाब से 5-6 पेंशन मिलती हैं। इसकी कुल रकम 2,75,550 रुपये से 3,25,650 रुपये बनती है।पंजाब राज्य विधान मंडल सदस्य (पेंशन व मेडिकल सुविधा) एक्ट 1977 और पंजाब राज्य विधान मंडल सदस्य (पेंशन व मेडिकल सुविधा) एक्ट 1984 में संशोधन के साथ पंजाब एक्ट नंबर 30 ऑफ 2016 के तहत नोटिफिकेशन जारी करके ऐसा प्रावधान कर दिया गया कि पूर्व विधायक को उनके पहले कार्यकाल के लिए पेंशन के रूप में 15000 रुपये और अगली प्रत्येक टर्म के लिए 1०० रुपये से आगाज होगा। इस रकम में पहले 50 फीसदी डीए मर्ज होगा और उसके बाद बनने वाली कुल रकम में फिर से 234 फीसदी महंगाई भत्ता जुड़ जाएगा। इस तरह पूर्व विधायकों को जबरदस्त लाभ हुआ, क्योंकि 15000 + 7500 (50 फीसदी डीए)= 22500 रुपये रकम बनी। 22500+52650 (234 फीसदी डीए) रुपये यानी कुल 75150 रुपये पेंशन बनती हैं। सूबे के 275 पूर्व विधायकों को वर्ष 2017 से हर साल 37 करोड़ और पांच वर्ष में 186 करोड़ रुपये पेंशन के तौर पर दिए जा रहे थे लेकिन जिस एक्ट के आधार पर यह पेंशन तय की गई, ऐसा कोई प्रावधान किसी भी एक्ट में था ही नहीं। पंजाब की अकाली-भाजपा सरकार ने अक्तूबर 2016 में पूर्व विधायकों की पेंशन को पहले कार्यकाल में 15000 रुपये और बाद के कार्यकाल के लिए 10-10 हजार रुपये का प्रावधान करते हुए साफ कर दिया था कि इस राशि में महंगाई भत्ता अन्य सरकारी कर्मचारियों को मिलने वाले महंगाई भत्ते के अनुसार ही जुड़ेगा। अगर इस तरीके से पेंशन तैयार होती तो 15000 रुपये और 28 फीसदी डीए को मिलाकर 19200 रुपये ही पूर्व विधायको को मिल पाते। लेकिन शासन स्तर की गई इस त्रुटि का नतीजा यह हुआ कि पूर्व विधायकों को 19200 रुपये की जगह 75150 रुपये पेंशन मिलती रही। इस तरह पांच साल के दौरान सरकारी खजाने से लगभग 192 करोड़ रुपये अधिक निकाल लिए गए। जिससे पंजाब सरकार पर आर्थिक बोझ बढ़ता चला गया।
- डॉ श्रीगोपाल नारसन एडवोकेट
नोट: उपरोक्त लेख में वर्णित बाते लेखक की व्यक्तिगत विचार है ।
 


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