"भाजपा मतलब भगवा नहीं है", अपने नेताओं के सेल्फ गोल से परेशान है भाजपा
इन दिनों देश में बुलडोजर की चर्चा खूब हो रही है। टीवी पर,सड़क पर,चौक चौराहे, पान की दुकान, चाय की गुमटियों में लोग बहस करते पाए जा रहे हैं कि गुनाहगारों के घरों पर बुलडोजर का चलना सही है या नहीं। हालांकि ऐसी बहस बेनतीजा ही खत्म हो रही है।
वही बुलडोजर के बहाने केंद्र व राज्य की भाजपा सरकारों को पूर्णता मुस्लिम विरोधी साबित करने का कोई भी मौका उनके विरोधी नहीं छोड़ रहे । जबकि घटनाक्रमों को बिना पूर्वाग्रह के नज़र डालें तो कार्रवाई बिना धर्म देखें सिर्फ अपराधियों पर हुई है। लेकिन अतिउत्साही भाजपाई सीना ठोक कर कहते दिख रहे है कि मुसलमानों पर हमारी सरकार का बुलडोजर चला है। पर उन्हें कौन कहे कि ऐसा कहकर वे अपनी ही पार्टी की राह में कांटे बिछा रहे है।
बुलडोजर के विशेष उपयोग की शुरुआत उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने की। उन्हें समझ आया कि अपराधियों, माफियाओं और दंगाईयों को जेल में बिठाकर खाना खिलाने से वे सुधरने वाले नहीं हैं।इसलिए उन्होंने ऐसे लोगों की आर्थिक रीढ़ तोड़ने का तरीका आजमाया और बुलडोजर लेकर निकल पड़े। बाबा ने जाति और धर्म देखे बगैर देश व समाज के लिए खतरा बनने वाले लोगो की अवैध संपत्तियों को अपने बुलडोजर के नीचे रौंदा। बाबा के कहर से ना माफिया मुख्तार अंसारी बच पाए और ना ही खूंखार अपराधी विकास दुबे। आत्मसमर्पण के बाद विकास दुबे की मौत भी गाड़ी पलटने से हुई थी। लोग इसे साधारण घटना नही अपितु समाज देश के लिए खतरा बन चुके अपराधी को बाबा की सजा के रूप में ही देखते है।
योगी आदित्यनाथ ने सीएए- एनआरसी आंदोलन के दौरान भी राज्य संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले पत्थरबाजों दंगाइयों पर भी इसी तरह की कड़ी कार्रवाई की थी। बाबा योगी आदित्यनाथ की देखा देखी मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार भी इसी तरह की कार्रवाई करते हुए अपराधियों के ठिकानों पर बुलडोजर चला रही है।
अब बात करते हैं नए घटनाक्रमों की। रामनवमी के अवसर पर निकली विभिन्न शोभायात्रा में कर्नाटक, मध्य प्रदेश के खरगोन और दिल्ली के जांहगीररपुरी में मुसलमानों ने पथराव किया। इस वजह से वहां दंगों सा माहौल बना। जिसके बाद हरकत में आए प्रशासन ने योगी फार्मूले के तहत अपराधियों की धरपकड़ की और दोषियों के अवैध ठिकानों पर बुलडोजर चलाया।
परंतु जब दिल्ली एमसीडी ने जांहगीरपुरी बुलडोजर की कार्रवाई शुरू हुई तो कथित सेकुलर गिरोह के कांग्रेस नेता व सुप्रीम कोर्ट के वकील कपिल सिब्बल ने अदालत का दरवाजा खटखटाया। जस्टिस एल नागेश्वर राव और पीआर गंवई के समक्ष इस तरह कार्रवाई को मुस्लिम विरोधी बताते हुए देश भर में रोक लगाने की मांग की।
इस मुद्दे पर दिल्ली एमसीडी की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि सरकार मुस्लिमों के ऊपर ही कार्रवाई कर रही है यह कहना गलत है। उन्होंने खरगोन हिंसा का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां 26 मुस्लिमों और 88 हिंदुओं के अवैध मकानों पर सरकारी बुलडोजर चढ़े है। दिल्ली में भी कार्रवाई अतिक्रमण को लेकर है न किसी धर्म निशाने पर है। हालांकि अदालत ने देश भर में चल रही कार्रवाईयों पर सुनवाई न करते हुए सिंर्फ जहांगीरपुरी मैं हो रही कार्रवाई को 15 दिनों के लिए टालने के आदेश दिए।
बुलडोजर की कार्रवाई कानून के दायरे में ही है। परंतु इन मामलों में भाजपा सरकार की मंशा पर जो सवाल खड़े किए जा रहे हैं उसका सीधा जवाब भाजपा के नेता ही नहीं दे रहे हैं।उल्टे कुछ तो सीधे हा मुसलमानों पर करवाई हम कर रहे है ऐसा कहते दिखे।
शायद इसीलिए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को आकर कहना पड़ा कि भगवा यानी भाजपा नहीं है। भाजपा का मतलब सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास है। नड्डा जी के इस बयान का साफ मतलब है कि संगठन के नेता वही कहे जो संगठन की लाइन है। लाइन से बाहर जाकर नमक मिर्च लगाकर बातों को प्रस्तुत करना अनुचित है। इससे पार्टी को नुकसान होगा और जनता में गलतफहमियां बढ़ेंगी।
(देवेंद्र गुप्ता - 9039010330)