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बजट 2021: होना चाहिए परिवर्तनकारी बजट- किशोर बरडिया

बजट 2021: होना चाहिए परिवर्तनकारी बजट- किशोर बरडिया
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रायपुर, कल पेश होने वाले केन्द्रीय बजट में रायपुर शहर के जाने माने CA किशोर बरडिया जो की Chairman, Raipur ICAI है , उनके द्वारा बजट में इन बातो के समावेश होने चाहिए कहा है
उन्होंने कहा कोरोना संक्रमण की आर्थिक मंदी से निकलने के लिए केंद्र सरकार के द्वारा सबसे ज्यादा आर्थिक पैकेज की घोषणा सूक्ष्म लघु व मझोले उपक्रमों (एमएसएमई) के लिए की गयी। मगर इसके बाद भी राज्य में एमएसएमई सेक्टर की हालत काफी बेहतर नहीं है। रोजगार के अवसर बढ़ाएं और संसाधनों को और अधिक मजबूत करें।
भारत के आर्थिक परिदृश्य को बदलने वाला परिवर्तनकारी बजट प्रस्तुत करना चाहिए। इतिहास गवाह है कि त्वरित और सतत विकास में सामाजिकता ईंधन का काम करती है और सामाजिक-आर्थिक पिरामिड के विकास का शक्तिशाली यंत्र भी है।

निवेश को बढ़ावा देना चाहिए

सरकार को निवेश को बढ़ावा देना चाहिए और उपभोक्ताओं की जेब में पैसे डालने चाहिए। वित्त मंत्री को जीएसटी दर में कटौती के साथ-साथ मांग का सृजन करने वाले मध्यम वर्ग के हित में आयकर में कमी लाने की व्यवस्था करनी चाहिए।

विकासशील बजट में खपत के विभिन्न चक्रों, मांग, नियोजन के अवसर, निवेश के साथ-साथ संपन्नता लाने की भी क्षमता होती है। विकास उपभोक्ताओं में आशा का संचार करता है, उद्यमियों में विश्वास पैदा करता है और निवेश को बढ़ावा देता है। वित्त मंत्री को आत्मनिर्भर भारत तक की सीमित नहीं रहना चाहिए। बजट दुनिया के लिए निवेश का रास्ता खोलने के साथ-साथ व्यावहारिक और तात्कालिकता पर केंद्रित होना चाहिए। वित्त मंत्री को वास्तविकता को स्वीकार करते हुए उसकी सराहना भी करनी चाहिए। मेक इन इंडिया पहल अवसरों का निमंत्रण तो देती है, साथ ही जटिल चुनौतियों को भी आमंत्रित करती है।

आलोचना की बजाय उन्हें इसके हल पर ध्यान देना होगा

अर्थव्यवस्था को औपचारिक बनाए जाने की आलोचना की बजाय उन्हें इसके हल पर ध्यान देना होगा। विकास में बड़ा योगदान देने वाले और सबसे ज्यादा रोजगार का सृजन करने वाले सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग यानी एमएसएमई की समस्याओं का समाधान करना चाहिए और औपचारीकरण के बड़े लक्ष्य को हासिल करने के लिए भी काम करना चाहिए। औपचारीकरण से मध्यम कंपनियों का सृजन होता है जो बड़े संगठनों में क्षमता और मूल्यों का समावेश करती हैं।

सूक्ष्म, लघु व मझोले उपक्रमों को थोड़ा मिला, थोड़े की जरूरत है

कोरोना संक्रमण की आर्थिक मंदी से निकलने के लिए केंद्र सरकार के द्वारा सबसे ज्यादा आर्थिक पैकेज की घोषणा सूक्ष्म, लघु व मझोले उपक्रमों (एमएसएमई) के लिए की गयी। मगर इसके बाद भी राज्य में एमएसएमई सेक्टर की हालत काफी बेहतर नहीं है। ऐसे में एमएसएमई उद्योग से जुड़े कारोबारी भी टैक्स में राहत, उद्योग पैकेज और व्यापार के लिए बेहतर इज आफ डूइंग बिजनेस का माहौल बनाने की राह देख रहे हैं।

एमएसएमई उद्योग अभी भी वेंटिलेटर पर है, हमें बजट में आक्सीजन मिलने की उम्मीद है। हमें मिलने वाले कर्ज के ब्याज पर अधिक छूट की आस है।

आर्थिक व्यवस्था पर मंथन

दो तरह की बातें होना चाहिए – एक साल में देश की अर्थव्यवस्था कैसी रही. सरकार का पैसा किस सेक्टर में कितना गया, देश में उद्योगों की हालत कैसी रही, रोज़गार कितना रहा, कृषि क्षेत्र का हाल क्या है, कितना हमने आयात-निर्यात किया. इन सब विषयों का डेटा होता है.

दूसरा, आर्थिक सर्वे में अगले साल की अर्थव्यवस्था का अनुमान दिया जाता है. ये बताया जाता है कि किस सेक्टर में कितनी ग्रोथ हो सकती है, और उसकी वजह बताई जाती हैं. यानी नए वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था तेज़ी से दौड़ेगी तो क्यों दौड़ेगी उसकी वजह बताई जाती है, या खराब रहेगी तो क्यों रहेगी, ये वजह बताई जाती है. एक तरह से आर्थिक सर्वे बजट का आधार तय करता है. बजट में सरकार ने किस सेक्टर को कितना फंड अलोकेट किया है, इसका तर्क आर्थिक सर्वे के आंकड़ों में खोजा जाता है.
 


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