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छत्तीसगढ़ के साथ केंद्र सरकार कर रहा सौतेला व्यवहार : संसदीय सचिव चंद्राकर

छत्तीसगढ़ के साथ केंद्र सरकार कर रहा सौतेला व्यवहार : संसदीय सचिव चंद्राकर
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महासमुंद । संसदीय सचिव व विधायक विनोद सेवनलाल चंद्राकर ने केंद्र सरकार पर छत्तीसगढ़ के साथ सौतेला व्यवहार करने का आरोप लगाते हुए कहा कि 60 लाख मैट्रिक टन धान खरीदने का वादा करके अब सिर्फ 24 लाख मैट्रिक धान खरीदने की बात कर रही है। इससे प्रदेश सरकार को करीब 2500 करोड़ का अतिरिक्त भार पड़ेगा। संसदीय सचिव चंद्राकर ने कहा कि कोरोना संकटकाल के बाद भी भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली छग सरकार ने विधानसभा चुनाव के दौरान किए गए वादे को पूरा कर रही है। समर्थन मूल्य में धान खरीदने के साथ ही किसानों की कर्जमाफी की। प्रदेश सरकार की आर्थिक नीतियों की प्रशंसा रिजर्व बैंक आफ इंडिया भी कर चुकी है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार के समय में छग में 50 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी की जाती थी, वहीं कांग्रेस सरकार ने 2019 में 80 लाख, 2020 में 83 लाख और 2021 में 93 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी हो चुकी है। संसदीय सचिव चंद्राकर ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना में भी छत्तीसगढ़ राज्य की उपेक्षा की गई जबकि कोरोना महामारी के समय मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के अथक मेहनत और प्रयासों के बाद पांच लाख से अधिक श्रमिक छत्तीसगढ़ राज्य में वापस लौटे। किसान सम्मान निधि योजना का लाभ भी छत्तीसगढ़ राज्य को नहीं दिया जा रहा है। अन्य योजनाओं और टैक्स से लेकर अनुदान तक देने में भेदभाव किया जा रहा है। जीएसटी की क्षतिपूर्ति में भी छत्तीसगढ़ राज्य की अनदेखी की गई है, राज्य को 9 हजार करोड़ रुपए मिलने से लेकिन इस वर्ष मात्र 350 करोड़ ही जारी किए गए हैं। जबकि कोरोना महामारी के समय जीएसटी संकलन में छत्तीसगढ़ राज्य पूरे देश में दूसरे स्थान पर रहा है।
 संसदीय सचिव के प्रयास से 20 लाख की स्वीकृति
संसदीय सचिव चंद्राकर के प्रयास से विकास कार्यों के लिए 20 लाख रूपए की स्वीकृति मिली है। मध्य क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण मद के तहत स्वीकृत इस राशि से सामुदायिक भवन व सीसी रोड का निर्माण कराया जाएगा। जिसमें पांच लाख की लागत से ग्राम अचानकपुर, चार-चार लाख की लागत से ग्राम जोगीडीपा, ग्राम बोड़रा व गब्राम बनसिवनी में सामुदायिक भवन निर्माण तथा तीन लाख की लागत से ग्राम रायकेरा में गली कांक्रीटीकरण का कार्य शामिल हैं।


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