राजधानी के निजी स्कूल में बच्ची से अनाचार की कोशिश, स्कूल की मान्यता खत्म करने की मांग
रायपुर। प्रदेश के कुछ निजी स्कूलों में भारी भरकम फीस वसूल करने वाले प्रबंधन के लोग विद्यार्थियों की सुरक्षा के मामले में पूर्णत: लापरवाही बरत रहें हैं। यह आरोप आज यहां प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकारवार्ता में समाजसेवी संस्था ब्लू बर्ड ऑन द स्काई फाउंनडेशन की अध्यक्ष शिवानी सिह ने लगाया।
पत्रकार वार्ता में राजधानी रायपुर के टाटीबंध स्थित निजी क्षेत्र के भारतमाता हायर सेेकेण्ड्री स्कूल की उस 4 वर्षीय मासूम बच्ची के माता -पिता भी उपस्थित थे, जिससे हाल ही में स्कूल परिसर में स्थित वाशरूम में कथित रूप से एक व्यक्ति द्वारा अनाचार की कोशिश की गई थी। शिवानी सिंह ने पत्रकारवार्ता में बताया कि इस गंभीर मामले के आरोपी को हालांकि गिरफ्तार कर लिया गया है लेकिन बच्ची के माता-पिता को लग रहा है कि आरोपी के विरूद्ध कोई संतोषप्रद कार्यवाही नहीं हो रही है।
पत्रकारवार्ता में बच्ची के माता-पिता ने पत्रकारवार्ता में स्कूल प्रबंधन पर कई गंभीर आरोप भी लगाए । उन्होंने बताया कि उनकी बच्ची के साथ यह घटना इस महीने की 12 तारीख को हुई थी। उन्होंने इस आपराधिक घटना को देखते हुए सरकार से स्कूल की मान्यता खत्म करने की मांग की। शिवानी सिंह और पीडि़त बच्ची के माता-पिता सहित टाटीबंध क्षेत्र के कई नागरिक भी प्रेसवार्ता में मौजूद थे, जिन्होंने कहा कि इस घटना के बाद स्कूल के अन्य बच्चों के माता-पिता भी अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर काफी चिंतित हैं।
शिवानी सिंह ने प्रेसवार्ता में यह जानकारी भी दी की पीडि़त बच्ची के परिजनों द्वारा स्कूल का घेराव किया गया, जिसमें बच्ची के माता पिता से शाला के प्रबंधक द्वारा दुव्र्यवहार किया गया। परिजनों ने इस मामले में स्कूल के भीतर संचालित सीबीएसई बोर्ड की प्राचार्र्र्य बाला गोपू और सीजीबोर्ड की प्राचार्या अरूणा गोपू को दोषी बताया। पत्रकारवार्ता में शिवानी सिंह ने यह भी बताया कि हमारी संस्था द्वारा भी शाला प्रबंधक को दोषी मानते हुए उनके खिलाफ भी पुलिस कार्यवाही की मांग की गई है। लेकिन अब तक प्रबंधक पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है।
शिवानी सिंह ने पत्रकारों को बताया कि इस विद्यालय के प्रबंधक द्वारा वर्ष 2019 में स्कूली बच्चों को पिकनिक के लिए महानदी के किनारे सिरपुर ले जाया गया था जहां दो बच्चों की नदी में डूबने से मृत्यु हो गई थी। इस घटना में भी एफआईआर दर्ज होने के चार महीने बाद भी कोई कार्यवाही नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि दोनों मृत बच्चों के परिजनों द्वारा 50-50 लाख रूपये मुआवजे की मांग की गई थी। मुआवजे के रूप में सिर्फ 16 लाख रूपये प्राप्त हुए जिसे बच्चों के शालेय शुल्क के रूप में भुगतान कर दिया गया। शिवानी सिंह ने प्रेसवार्ता में इन बच्चों के लिए मुआवजे की शेष राशि भी जल्द भुगतान करने की मांग की।