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बच्चों के साथ होने वाले मानसिक व शारीरिक आघात के प्रति हों सचेत, बच्चों को दें 'गुड टच व बैड टच' की जानकारी

बच्चों के साथ होने वाले मानसिक व शारीरिक आघात के प्रति हों सचेत, बच्चों को दें 'गुड टच व बैड टच' की जानकारी
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राजनांदगांव | कोरोना संक्रमण के संकटकाल का व्यापक असर बच्चों के शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ा है. लॉकडाउन के कारण  लगातार घर में रहने व स्कूलों व कोचिंग संस्थानों के नियमित नहीं खुलने के कारण उनकी दिनचर्या पर असर पड़ा है. उनके जीवनशैली में अचानक हुए इस बदलाव के कारण उनका मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हुआ है. ऐसे में बच्चों में कई नकारात्मक सोच उभरने की आशंका भी बढ़ी है. इस परिस्थिति में उन्हें भावनात्मक मदद मिलनी जरूरी है अन्यथा वह किसी बड़े शारीरिक व मानसिक आघात का शिकार हो सकते हैं. बच्चों को इस संकट से उबारने के लिए 'दी ब्लू ब्रिगेड', 'राष्ट्रीय सेवा योजना' एवं 'यूनिसेफ' ने मिलकर लोगों को इसके प्रति जागरूक करने व उन्हें बच्चों के प्रति उनकी नैतिक जिम्मेदारियों के प्रति सजग बनाने के उद्देश्य से एक मार्गदर्शिका जारी की है. 

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मार्गदर्शिका के अनुसार बच्चों के साथ किसी प्रकार की भी ऐसी घटना जिसमें शारीरिक शोषण, बच्चें की पिटाई, किसी वस्तु से चोट पहुंचाना, घर से निकालना, काटना, जलाना या ज्यादा ही सख्ती से पेश आना, उपयुक्त भोजन एवं सुरक्षा प्रदान नहीं करना, अपमानित करना, अनुचित भाषा का प्रयोग करना, यौन शोषण करना व उपेक्षा करना आदि शामिल हों, इसकी सूचना चाइल्ड लाइन को 1098 पर कॉल कर देनी है. 
 
आवश्यक टीकाकरण को भी दी गई है तरजीह: 
कोविड 19 संक्रमण के असर के मद्देनजर बच्चों के आवश्यक टीकाकरण को भी तरजीह दी गयी है. बच्चों को आंगनबाड़ी केंद्र, जिला अस्पताल सहित सामुदायिक व प्राथमिक व उप स्वास्थ्य केंद्रों पर जाकर टीकाकरण जरूर दिलाया जाना चाहिए. बच्चों को दिये जाने वाले टीकाकरण में विशेषतौर पर हेपेटाइटिस बी, काली खांसी, टीबी, हिब इंफेक्शन, दिमागी बुखार, पोलियो, खसरा व रूबेला, डिप्थेरिया व टिटनेस शामिल हैं. ये टीकाकरण बच्चों को जानलेवा बीमारियों से रक्षा करने के साथ उनके रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाने का काम करती हैं. 
 
गर्भस्थ शिशु का भी रखा गया है पूरी तरह ध्यान:
मार्गदर्शिका में कोविड 19 संकटकाल में गर्भस्थ शिशु के भी स्वास्थ्य का संपूर्ण ध्यान रखते हुए गर्भवती महिलाओं से प्रसव के लिए सरकारी या निजी स्वास्थ्य केंद्रों का चयन करने के लिए कहा गया है. इस बात पर बल दिया गया है कि स्वास्थ्य केंद्र में प्रसव के क्या फायदे हैं और इसकी तैयारी किस प्रकार होनी चाहिए. साथ ही जननी सुरक्षा योजना, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना तथा भगिनी प्रसूति सहायता योजना आदि की भी जानकारी दी गयी है. गर्भवती महिलाओं में कोविड 19 के भय को दूर करने, तथा गर्भवती को आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व आशा या नर्स से मिलवाना व सरपंच या पंचायत प्रतिनिधियों से सहयोग दिलावाने के लिए लोगों से अपील की गयी है. 
 
'गुड टच, बैड टच' व्यवहार के प्रति भी जागरूकता:
जारी मार्गदर्शिका में बच्चों को शारीरिक स्पर्श के बारे में भी सजग व जागरूक बनाने के लिए कहा गया है. बच्चों को यह बताने की अपील की गयी है कि यदि कोई उन्हें अनुचित ढंग से छुए तो उसे रोकें और मदद के लिए जोर से चिल्लाए. ऐसे व्यवहार जिनमें वे स्वयं को सहज महसूस नहीं करते उन्हें बैड टच के रूप में देखा जाता है. पैर के बीच, नितंब व जांघों के बीच, छाती व चेहरा को छूना या ऐसे कोई भी स्पर्श जिससे बच्चा असहज होता है बैड टच की श्रेणी में आता है. ऐसी बातों को मां, पिता, दादा दादी व शिक्षक आदि से बताने के लिए कहा गया है.  
 
कोविड के दौरान घर पर ही सीखने की प्रक्रिया पर बल: 
कोविड के दौरान इस बात पर जोर दिया गया है कि बच्चों के घर पर सीखना जारी रहे. कोविड-19 के कारण बच्चों के सामने शिक्षा को लेकर कई चुनौतियां हैं. ऐसी चुनौतियों के बीच बच्चे घर पर रहते हुए सीखना जारी रखें. स्वयं को सीखने की प्रक्रिया में व्यस्त रख इस महामारी में तनाव से निपटन में मदद मिलेगी. सीखने की प्रक्रिया में उनके भाई बहन, माता पिता, या चाचा चाची अपनी जिम्मेदारी निभा सकते हैं. उनके साथ पंसदीदा कहानियां पढऩे या खेलने सहित अन्य रचनात्मक कार्य में मदद कर सकते हैं।
 


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