बड़ी खबर: जेम्स ज्वेलरी पार्क के निर्माण पर हाई कोर्ट का स्थगन
रायपुर/बिलासपुर। छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वाकांक्षी योजना जेम्स एंड ज्वेलरी पार्क के नियमों कार्य को लेकर झटका लगा है। हाई कोर्ट ने इस मामले में स्थगन आदेश जारी किया है। सोमवार को उच्च न्यायालय में पूर्व धरसींवा विधायक एवं कृषि उपज मंडी समिति रायपुर के पूर्व अध्यक्ष देवजीभाई पटेल द्वारा रायपुर कृषि उपज मंडी रायपुर में सर्वसुविधायुक्त जेम्स एंड ज्वेलरी पार्क की स्थापना हेतु आबंटित भूमि आदेश दिनांक 11/06/2020 को विधि विरुद्ध बताते हुए जनहित याचिका क्रमांक 78/2020 मुख्य न्यायाधीश के डिवीज़न बेंच के समक्ष सुनवाई हुई, मामले की पैरवी सिनियर अधिवक्ता किशोर श्रीवास्तव, अशुतोष पांडेय, हिमांशु सिन्हा, शशांक ठाकुर एवं ए.वी. श्रीधर ने की। याचिकाकर्ता के अधिवक्ताओ ने न्यायालय के समक्ष इस बात को रखा की मंडी समिति की जमीन 1975 में किसानों द्वारा खरीदी गई थी और उसका भूमि स्वामी हक़ कृषि उपज मंडी रायपुर को प्राप्त है तथा कृषि उपज मंडी अधिनियम की धारा 1972 के तहत मंडी समिति की जमीन सिर्फ मंडी के प्रयोजन हेतु ही उपयोग में लायी जा सकती है ना कि किसी अन्य प्रयोजन में। याचिका में मुख्य सवाल भी यह उठाया गया कि 11/06/2020 को एक ही दिन में राज्य शाषन द्वारा 5 से 6 एजेंसियों को निर्देशित करते हुए कृषि उपज मंडी अधिनियम 1972 के प्रावधानों के विपरीत जेम्स एंड ज्वेलरी पार्क हेतु भूमि आबंटित की गई। महत्व पूर्ण बात है कि मुख्यसचिव की अध्यक्षता में 11/06/20 को शाम 6 बजे विभागीय अधिकारियों की बैठक आयोजित कर मंडी समिति की जमीन लेने का निर्णय लिया गया एवं उसी दिन रात में 8 बजे के बाद मण्डी बोर्ड, सीएसआईडीसी, मंडी समिति रायपुर,राजस्व सचिव,संचालक उद्योग एवं कलेक्टर रायपुर को जमीन अधिग्रहण हेतु निर्देश जारी किए गए एवं उपरोक्त सभी के द्वारा रात में ही पत्राचार करते हुए भूमि अधिग्रहण का आदेश जारी किया गया साथ ही रात में ही उक्त भूमि को उद्योग विभाग को कब्जा दिया गया।
शाषन की ओर से महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा ने कहा कि शाशन द्वारा विधि के अनुरूप आदेश पारित किया गया है। मामले में मण्डी समिति की ओर से अमृतो दास एवं सी. एसआईडीसी की ओर से सीनियर अधिवक्ता निर्मल शुक्ला एवं सुयश धर ने पैरवी की।
सुनवाई पश्चात मामले को गंभीर मानते हुए, प्रथम दृष्ट्या स्वीकार करते हुए मामले की सुनवाई को रेगुलर हियरिंग के लिए नियत करते हुए अंतिरिम राहत प्रदान की गई। अंतिरिम राहत के रूप में न्यायालय द्वारा अंतिरिम राहत प्रदान करते हुए समिति की जमीन पर किसी भी प्रकार के निर्माण पर रोक लगा दी गयी तथा मामले की अंतिम सुनवाई तक कार्यवाही पर रोक लगाने का आदेश पारित किया गया।