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बड़ी खबर: शहर को करोड़ों का चूना लगाकर ठेकेदार हुआ फरार, प्रशासन बना तमाशबीन

 बड़ी खबर: शहर को करोड़ों का चूना लगाकर ठेकेदार हुआ फरार, प्रशासन बना तमाशबीन
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कोरबा। राह चलते आम आदमी से लूट और ठगी की घटनाएं तो आए दिन सुनने को मिलती रहती हैं, मगर कोई दिनदहाड़े सरकार और प्रशासन को लूट ले, ऐसे वाक्ये विरले ही सुनने को मिलते हैं। परन्तु चिंता छोडिय़े जनाब और मुस्कुराइ, क्यूंकि आप कोरबा में हैं और ऐसा कोई कीर्तिमान नहीं जो नगर निगम कोरबा के नाम दर्ज न हो। वर्तमान मामला भी नगर पालिक निगम कोरबा की ही बहुचर्चित व महत्वाकांक्षी योजनाए कोरबा नगर के हृदयस्थल में 15 करोड़ की लागत से बनने वाली मल्टीलेवल पार्किंग का है, जिसका ठेका बिलासपुर की फर्म मेसर्स विकास कंस्ट्रक्शन को प्राप्त हुआ था।

जानकारी के अनुसार निर्माण कार्य की कुल लागत 15.36 करोड़ रुपये है जिसमे से निगम द्वारा ठेकेदार को लगभग 11 करोड़ रुपयों का भुगतान किया जा चूका है। 11 करोड़ का भुगतान लेने के बाद से ही ठेकेदार नदारद है और पिछले एक वर्ष से निर्माण कार्य बंद है। परन्तु इसे लेकर नगर निगम के कर्तव्यनिष्ठ अधिकारियों के कानों में जूं भी नही रेंग रही है और रेंगे भी क्यूँ? पैसा तो जनता की जेब से गया है, उनकी नहीं।

वहीँ हैरान करने वाली बात तो यह है कि इतने समय से कार्य बंद होने के बाद भी निगम प्रशासन द्वारा ठेकेदार को किसी प्रकार का नोटिस नहीं दिया गया है और न ही उस पर पार्किंग के निर्माण कार्य के मामले में किसी प्रकार की कार्यवाही करने की रूचि दिखाई जा रही है। अब इसका कारण 11 करोड़ के भुगतान के एवज में मिला मोटा कमीशन है या नगर निगम अधिकारियों की कुख्यात लापरवाह कार्यशैली, इसे लेकर निगम के गलियारों में सभी की अपनी अपनी राय है व कानाफू सी का दौर जारी है। दूसरी ओर गोपनीय सूत्रों से खबर मिली है कि ठेकेदार को जारी होने वाला नोटिस ऊपर से रोका गया है। अब नोटिस रोकने वाला अधिकारी, नगर निगम कोरबा के पदक्रम में कितना ऊपर है, इसके केवल कयास ही लगाए जा सकते है।

पार्किंग के अलावा 3.5 करोड़ की सी सी रोड का काम भी छोड़ा अधूराए लगभग 1 करोड़ रुपयों का ले चुका भुगतान:-मल्टी लेवल पार्किंग के अलावा विकास कंस्ट्रक्शन बिलासपुर के द्वारा नगर निगम कोरबा में वार्ड 61.62 में शांतिनगर से कुचैना बस्ती तक सीसी रोड के निर्माण कार्य का ठेका भी लिया गया था। रोड निर्माण कार्य की शुरुआत में ठेकेदार द्वारा मिटटी फि लिंग कर नगर निगम से लगभग 1 करोड़ रुपयों का भुगतान ले लिया गया था। भुगतान होने के बाद से ही ठेकेदार अपना असली रंग दिखाने लगा। प्राप्त जानकारी अनुसार ठेकेदार द्वारा गुणवत्ताहीन डीएलसी का कार्य किया गया था। डीएलसी कार्य में ठेकेदार द्वारा सीमेंट की जगह भारी मात्रा में राखड़ मिलाई गयी थी, जिसके कारण डीएलसी उखड गई। उसकी लीपापोती करने हेतु ठेकेदार द्वारा डीएलसी के ऊपर 1 इंच कांक्रीट कर दिया गया था, वर्तमान में जिसका नामोनिशान तक दिखाई नहीं दे रहा है। गुणवत्ता हीन निर्माण को देखकर निगम अधिकारियों के होश उड़ गये। अपनी नौकरी पर संकट आते देख अधिकारियों ने ठेकेदार का आगामी भुगतान रोक दिया, जिसके बाद से ही ठेकेदार द्वारा निर्माण कार्य बंद कर दिया गया। पार्किंग की तरह ही रोड का निर्माण कार्य बंद हुए आज लगभग एक वर्ष बीतने को है। परन्तु घबराइए नहीं, शासन को चूना लगाने वाले ठगराज ठेकेदार की कहानी यहीं खत्म नही होती, पिक्चर अभी बाकी है दोस्त।

अपनाए जा रहे दोहरे माप दंड:-इस पूरे मामले में ट्विस्ट तब आता है जब रोड निर्माण कार्य बंद करने के कारण ठेकेदार को निगम प्रशासन द्वारा नोटिस दिया जाता है। इस बात को लेकर निगम कर्मचारी भी अचंभित हैं कि दोनों निर्माण कार्य एक ही ठेकेदार द्वारा कराए जाने व एक ही अधिकारी की देख रेख में होने के बाद भी, केवल सड़क निर्माण कार्य में ही क्यों नोटिस दिया जा रहा है? और पार्किंग का कार्य बंद रखने पर क्यूँ नही? यही नहीं, निगम अधिकारियों द्वारा निकाला गया नोटिस भी सवालों के घेरे में हैं। जानकारों के अनुसार दो बड़े निर्माण कार्यों को 1 वर्ष तक बंद रखने पर ठेकेदार के विरुद्ध ब्लैकलिस्ट की कार्यवाही होनी चाहिये थी। परन्तु निगम अधिकारियों या कहें की निर्माण कार्य को देख रहे अधिकारियों द्वारा केवल रोड का ठेका निरस्त करने का नोटिस निकाला गया है, जबकि पूर्व के समान प्रकरणों में अन्य ठेकेदारों के विरुद्ध निगम अधिकारियों द्वारा ब्लैकलिस्ट करने की कार्यवाही की गई है। 

अब प्रश्न यह उठता है कि ये दोहरे मापदंड क्यूँ ?:-गुप्त सूत्रों के अनुसार ठेकेदार ने दोनों निर्माण कार्यों में लगी अपनी लागत से कई गुना ज्यादा कमाई कर ली है और भुगतान के एवज में मोटा कमीशन भी सम्बन्धित निगम अधिकारियों को पहुंचा दिया है। इसलिए न ही ठेकेदार काम करने में रूचि दिखा रहा है और न ही पेटभर कमीशन खा चुके अधिकारी ही ठेकेदार पर कोई ठोस कार्यवाही करना चाहते हैं। अब मामले को निपटाने के लिए केवल ठेका निरस्त करने का नोटिस निकाला गया है और ठेकेदार पर कोई बड़ी कार्यवाही नहीं की जा रही है ताकि साँप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे। बता दें कि उपरोक्त दोनों निर्माण कार्य, नगर निगम कोरबा के वरिष्ठतम अधिकारी, रिटायरमेंट के करीब की देख रेख में कराए जा रहे हैं, जो वर्तमान में निगम में विराजमान कांग्रेस सरकार के ख़ास तो हैं ही, अपने पूर्व के क्रियाकलापों के कारण जेलयात्रा भी कर चुके हैं। अब एक सवाल जो सबके मन में खलबली मचाए हुए है वो यह है कि पार्किंग के कार्य में ऊपर नोटिस रोकने वाला अधिकारी कहीं नटवरलाल साबित हो रहा ठेकेदार:-यहाँ बताना जरुरी होगा कि ठेकेदार महाशय ने केवल कोरबा को ही चूना नहीं लगाया है अपितु इनके कारनामे बिलासपुर में भी सुर्खियाँ बटोर रहें हैं। मेसर्स विकास कंस्ट्रक्शन बिलासपुर के द्वारा बिलासपुर नगर में ही लोक निर्माण विभाग  में 13.44 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले साइंस कॉलेज के 750 सीटर ऑडिटोरियम का ठेका भी लिया गया है। उक्त निर्माण कार्य को भी महाशय ने पिछले 1 साल से अधूरा छोड़ रखा था, जिस पर कार्यवाही करते हुए विभाग ने ठेका निरस्त कर दिया व आगे की कार्यवाही हेतु मामला अभी सुपरीटेंडिंग इंजिनियर, लोक निर्माण विभाग के कार्यालय में विचाराधीन है।

शुरू से विवादित रहा पार्किंग का निर्माण:-कोरबा में बन रहे मल्टीलेवल पार्किंग का कार्य शुरू से ही विवादों के घेरे में रहा है। अनेकों बार इसकी उपयोगिता को लेकर सवाल खड़े किये गये हैं। जहां एक ओर प्रशासन का मानना है कि पार्किंग के निर्माण होने के पश्चात त्योहारों में कोरबा नगर के मुख्य मार्केट पॉवर हाउस रोड में भीड़भाड़ व जाम की समस्या से मुक्ति मिलेगी, वहीँ कोरबा वासियों का कहना है कि कोई भी पार्किंग में गाड़ी खड़ी कर दूर से पैदल आना पसंद नहीं करेगा और भविष्य में यह असामाजिक तत्वों व नशेबाजों का अड्डा बन जाएगा। उपयोगिता को लेकर चल रही बहस के बीच एकाएक सांसद ज्योत्स्ना महंत ने आवश्यकता से अधिक जगह उपलब्ध होने के कारण पार्किंग में ही मैटरनल हॉस्पिटल खोलने की घोषणा कर दी, जिस पर कोरबा कलेक्टर ने भी स्थल निरीक्षण कर अपनी सहमति दे दी। परन्तु जिस प्रकार से पिछले एक साल से निर्माण कार्य बंद है व उसे शुरू करने में या आरोपी ठेकेदार पर कठोर कार्यवाही करने में निगम अधिकारी रूचि नही दिखा रहे, उससे यह प्रतीत होता है कि निगम प्रशासन ने सांसद महंत तथा कोरबा कलेक्टर को ठेंगा दिखा दिया है। बहरहाल शातिर ठेकेदार तो शहर को चूना लगाकर फ रार हो चुका है, अब देखना यह होगा कि जनकोष से करोड़ो रुपये स्वाहा करने के बाद कोरबा की जनता जनार्दन को कब पार्किंग का लाभ मिल पाता है।


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