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नन्ही सरस्वती के पैरों में आई जान, मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान बना वरदान

नन्ही सरस्वती के पैरों में आई जान, मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान बना वरदान
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रायपुरमाता-पिता के लिए अपनी संतान के स्वास्थ्य और सुरक्षा से ज्यादा महत्वपूर्ण कुछ नहीं होता, परन्तु कभी-कभी अज्ञानता, निर्धनता, जागरूकता के अभाव जैसे कई कारणों से कुपोषण बच्चों को अपना शिकार बना लेता है। ऐसे बच्चों के लिए छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा 02 अक्टूबर 2019 से शुरू किया गया मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान वरदान साबित हो रहा है। इस अभियान के तहत् शिशुओं, किशोरियों, युवतियों और महिलाओं को कुपोषण और एनीमिया से मुक्ति दिलाने के निर्णायक कदम का दूरस्थ अंचलों मे अच्छा प्रतिसाद मिला है। अब यहां कुपोषित से सामान्य स्थिति में आने वाले बच्चों की संख्या बढ़ती जा रही है।
    आदिवासी जिले कोण्डागांव के ऐसे ही दूरस्थ अंचल मर्दापाल के सीमावर्ती ग्राम बेचा में रहने वाले किसान दम्पत्ति पिता श्री राजूू राम कोर्राम और मां श्रीमती सुकारो बाई मरकाम की डेढ़ वर्षीय पुत्री सरस्वती समुचित खान-पान के अभाव में कुपोषण की चपेट मे आ गई थी। कुपोषण की वजह से आई कमजोरी से वह चल-फिर भी नहीं पा रही थी। इसकी जानकारी मिलने पर स्थानीय आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सुश्री रजबती बघेल और सुपोषण अभियान के नोडल श्री प्रकाश बागड़े ने बच्ची को सतत् निगरानी में रखते हुए उसके पोषण का उचित प्रबंध किया। उन्होंने बच्ची सरस्वती का पंजीयन कर उसे प्रोटीन युक्त पोषण आहार जैसे अण्डा, चना, सोयाबड़ी, फल और अन्य समाग्रियां वैकल्पिक रूप से उपलब्ध कराने की शुरूवात की। इसके साथ ही सरस्वती को कोण्डागांव के पोषण पुर्नवास केन्द्र भेजा गया फलस्वरूप उसके स्वास्थ्य में सकारात्मक परिवर्तन आना शुरू हो गया। अब नन्ही सरस्वती बिना किसी सहारे के चल फिर रही है। उसके शरीर मे रक्त के मात्रा और वजन में वृद्धि हुई है। उचित देखभाल से उसके स्वास्थ्य मे लगातार सुधार हो रहा है।
    उल्लेखनीय है कि कोण्डागांव मे स्थापित पोषण पुर्नवास केन्द्र मे दूर-दराज के गांव जैसे कड़ेनार, कुदूर, कारसिंग, नुगाली, के कुपोषित शिशुओं को रखने की व्यवस्था की गई है। यहां उपचार के अलावा बच्चों को पूरी तरह स्वस्थ होकर सामान्य स्थिति मे लाने तक रखा जाता है। इन प्रयासो से कुपोषण की दर में तेजी से गिरावट देखने को मिल रही है।



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